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कलंक का टीका लगाना, अर्थ, प्रयोग(Kalank ka tika lagana)

"गाँव का बाजार दृश्य", "सुरेंद्र की दुकान", "मुनीश की दुकान", "गाँववाले सुनते हुए", "प्रोडक्ट्स की जाँच"

परिचय: हर भाषा में अनेक मुहावरे होते हैं जो विशेष संदर्भों में प्रयुक्त होते हैं। हिंदी भाषा में “कलंक का टीका लगाना” ऐसा ही एक मुहावरा है। आज हम इसी मुहावरे के बारे में विस्तार से जानेंगे।

अर्थ: “कलंक का टीका लगाना” मुहावरे का सीधा अर्थ है किसी पर दोष आरोपित करना या किसी की प्रतिष्ठा को धूमिल करना। जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की छवि को खराब करने के लिए झूठे आरोप लगाता है तो कहा जाता है कि उसने उस पर “कलंक का टीका लगा दिया”।

प्रयोग: जब किसी को बिना सबूत और तथ्यों के आधार पर झूठा आरोप लगाया जाता है तो इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है।

उदाहरण:

-> अभय ने अपने प्रतिस्पर्धी पर बिना किसी सबूत के धन घोटाले का आरोप लगा दिया, जिससे उसने उसकी छवि में “कलंक का टीका” लगा दिया।

-> पत्रकारिता की विश्वसनीयता के लिए झूठी खबरों से बचना चाहिए, वरना लोग कहेंगे कि पत्रकार ने समाज में “कलंक का टीका” लगा दिया।

निष्कर्ष: “कलंक का टीका लगाना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें किसी के प्रति अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान का समझौता नहीं करना चाहिए। किसी पर झूठे आरोप लगाने से पहले हमें सोचना चाहिए कि उसके परिणाम क्या हो सकते हैं। झूठे आरोप लगाने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी सफल नहीं होता है।

कलंक का टीका लगाना मुहावरा पर कहानी:

सुरेंद्र और मुनीश गाँव के दो प्रमुख व्यापारी थे। दोनों की दुकानें गाँव के बाजार में आमने-सामने थीं। सुरेंद्र की दुकान पर ज्यादा ग्राहक आते थे जबकि मुनीश की दुकान पर बहुत कम ग्राहक आते थे।

मुनीश को यह स्वीकार नहीं हो रहा था कि सुरेंद्र की दुकान पर इतने अधिक ग्राहक क्यों आ रहे हैं। उसने सोचा कि अगर वह सुरेंद्र की प्रतिष्ठा को कलंकित कर दे, तो शायद उसके ग्राहक घट जाएंगे और वह फिर से व्यापार में प्रमुख बन सकेगा।

एक दिन, मुनीश ने बाजार में अफवाह फैला दी कि सुरेंद्र अवैध तरीके से माल बेचता है और उसके प्रोडक्ट्स में दोष है। यह सुनकर गाँववाले चिंतित हो गए और सुरेंद्र की दुकान से दूर होने लगे। सुरेंद्र को समझ में नहीं आया कि अचानक उसके ग्राहक क्यों घट गए।

लेकिन, जल्दी ही एक ग्राहक ने उसे मुनीश की चाल के बारे में बताया। सुरेंद्र ने तय किया कि वह सचाई को सबके सामने लाएगा। उसने अपने सभी प्रोडक्ट्स की जाँच की और उनकी गुणवत्ता के प्रमाण पत्र गाँव में प्रदर्शित किए।

जब गाँववालों ने सच्चाई जानी, तो उन्होंने मुनीश को उसकी चालाकियों के लिए फटकार लगाई। उन्होंने समझाया कि ‘कलंक का टीका लगाना’ सही नहीं है और यह सिर्फ किसी की प्रतिष्ठा को नुक्सान पहुंचाता है।

संदेश: झूठे आरोप और अन्य की प्रतिष्ठा को कलंकित करने की कोशिश से कोई भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। ईमानदारी और सच्चाई ही असली सफलता की कुंजी है।

शायरी:

कलंक का टीका लगा जब कोई बेबुनियाद में,

दुनिया की रस्मों से अजनबी बना दिया मुझे।

हौसला नहीं हारा, मैंने आसमां चूम लिया,

जो चाहा उसको पाया, मेरी मोहब्बत की राह में।

 

कलंक का टीका लगाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of कलंक का टीका लगाना – Kalank ka tika lagana Idiom:

Introduction: Every language has numerous idioms that are used in specific contexts. In Hindi, “कलंक का टीका लगाना” is one such idiom. Today, we will delve deeper into this idiom.

Meaning: The direct translation of “कलंक का टीका लगाना” is to blame someone or tarnish someone’s reputation. When someone falsely accuses another to tarnish their image, it’s said that they have put a “stain” or “blot” on them.

Usage: This idiom can be used when someone is falsely accused without any evidence or factual basis.

Examples:

-> Abhay falsely accused his rival of financial embezzlement without any evidence, thus he “tarnished his reputation” or “put a blot on him”.

-> Journalists should steer clear of false news to maintain credibility, otherwise, people will say the journalist has “tarnished the society’s image” or “put a stain on society”.

Conclusion: The idiom “कलंक का टीका लगाना” teaches us that we should not compromise our integrity and respect towards others. Before accusing someone falsely, we should consider the possible consequences. Those who falsely accuse others rarely succeed in life.

Story of ‌‌Kalank ka tika lagana Idiom in English:

Surendra and Munish were the two prominent traders of the village. Their shops were located opposite each other in the village market. Most customers frequented Surendra’s shop, while very few visited Munish’s.

Munish couldn’t come to terms with why so many customers preferred Surendra’s shop. He thought that if he could tarnish Surendra’s reputation, perhaps his customer base would decline, allowing Munish to become the primary trader.

One day, Munish spread a rumor in the market that Surendra sold goods through illegal means and that his products were defective. Hearing this, the villagers became concerned and started avoiding Surendra’s shop. Surendra was puzzled about the sudden decline in his clientele.

Soon, a customer informed him about Munish’s plot. Determined to bring the truth to light, Surendra inspected all his products and displayed their quality certificates in the village.

When the villagers learned the truth, they reprimanded Munish for his cunning ways. They explained that tarnishing someone’s reputation is wrong and only causes harm.

Message: No one can achieve success through false accusations and attempts to tarnish another’s reputation. Honesty and truth are the real keys to success.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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