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कान पर जूं न रेंगना, अर्थ, प्रयोग(Kaan par ju na rengna)

हिंदी भाषा अपनी संप्रेषण शैली में अनेक मुहावरों को समाहित करती है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को चित्रित करते हैं। “कान पर जूं न रेंगना” भी ऐसा ही एक मुहावरा है।

अर्थ: “कान पर जूं न रेंगना” मुहावरे का अर्थ होता है किसी की बातों का प्रभाव नहीं पड़ना, अर्थात उसकी बातों पर ध्यान नहीं देना।

उदाहरण:

-> मैंने रामु को बहुत समझाया, पर उसके कान पर जूं भी नहीं रेंगी।

-> गुरुजी की उपदेश की बातें राम के कान पर जूं नहीं रेंगीं, वह वैसा करता रहा जैसा कर रहा था।

प्रयोग: जब किसी को समझाने पर भी वह समझता नहीं हो, तब “कान पर जूं न रेंगना” मुहावरे का प्रयोग होता है।

विवरण: इस मुहावरे में “कान” और “जूं” शब्दों का संयोजन है। कान यहाँ पर सुनने की क्षमता को दर्शाता है, जबकि जूं यहाँ पर एक ताजगी और प्रभाव को। इसलिए, जब किसी बात का कोई प्रभाव नहीं होता, तो इसे कान पर जूं नहीं रेंगना कहा जाता है।

निष्कर्ष: “कान पर जूं न रेंगना” मुहावरा उस स्थिति को चित्रित करता है, जब किसी व्यक्ति के समझाने पर भी दूसरा व्यक्ति अपनी मर्जी की करता रहता है। यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा सही और उपयुक्त मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

कान पर जूं न रेंगना मुहावरा पर कहानी:

मोहन और सोहन गाँव के दो अच्छे दोस्त थे। सोहन हमेशा समझदारी से चीजों को समझने की कोशिश करता था, जबकि मोहन कभी-कभी बिना सोचे-समझे ही कार्य कर बैठता।

एक दिन गाँव में मेला आया। सोहन ने मोहन को सलाह दी कि वह मेले में जाते समय अपनी मूल धन-राशि को घर पर ही छोड़ दे, जिससे उसका पैसा सुरक्षित रहे। सोहन की इस सलाह पर मानो मोहन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। वह सोहन की बातों को अनदेखा करता हुआ अपनी पूरी धन-राशि लेकर मेले में पहुंच गया।

मेले में उसने विभिन्न मनोरंजन का आनंद लिया और खूब खरीदारी भी की। जब वह झूला झूल रहा था, उसकी जेब से पैसे चोरी हो गए। मोहन को तब समझ में आया कि सोहन की सलाह में कितनी सच्चाई थी।

जब मोहन घर वापस पहुंचा, उसने सोहन से माफी मांगी और कहा, “तुमने मुझे सही सलाह दी थी, मैं समझता ही नहीं था।”

सोहन मुस्कराया और बोला, “दोस्त, अगली बार मेरी बातों पर ध्यान देना।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हम अच्छी सलाह पर ध्यान नहीं देते और अनदेखा कर देते हैं, तो कभी भी हो सकती है।

शायरी:

कान पर जूं न रेंगी, तेरी बातों की रेशमी डोर,

उस डोर में बंधा, ग़ज़लों की वह ख़ास महसूसियत का जोर।

तेरी बातों की मिठास में, वो ख़ामोशियां छुपी है,

जैसे किसी माहिर शायर की शायरी, जो हर दिल को छू ले ज़रा हर बार।

 

कान पर जूं न रेंगना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of कान पर जूं न रेंगना- Kaan par ju na rengna Idiom:

The Hindi language incorporates numerous idioms in its expressive style that depict various facets of life. “Kaan par ju na rengna” is one such idiom.

Meaning:  The idiom “Kaan par ju na rengna” literally translates to “Not even a louse crawls on the ear”, which means not being influenced by someone’s words or, in other words, not paying attention to what someone is saying.

Examples:

-> I advised Ramu multiple times, but he didn’t heed my advice at all (lit: Not even a louse crawled on his ear). 

-> Ram was unaffected by the guru’s teachings; he continued doing what he was doing.

Usage: The phrase “Kaan par ju na rengna” is used when someone doesn’t understand or heed advice, even after being explained multiple times.

Explanation:  This idiom comprises the words “kaan” (ear) and “ju” (louse). Here, the “ear” symbolizes the ability to listen, while “louse” represents a sense of freshness and impact. Therefore, when someone’s words have no effect on another, it is said that not even a louse is crawling on their ear.

Conclusion: The idiom “Kaan par ju na rengna” illustrates the situation when one person disregards the counsel or advice of another, continuing to act as per their own will. This idiom teaches us that one should always follow proper and appropriate guidance.

Story of ‌‌Kaan par ju na rengna in English:

Mohan and Sohan were two good friends from the village. Sohan always tried to understand things wisely, while Mohan sometimes acted impulsively without thinking. 

One day, a fair came to the village. Sohan advised Mohan to leave his primary money at home when going to the fair, ensuring its safety. But Sohan’s advice fell on deaf ears; it seemed as if not even a louse crawled upon Mohan’s ear regarding this matter. 

Ignoring Sohan’s words, Mohan took all his money and went to the fair. At the fair, he enjoyed various entertainments and did a lot of shopping. While he was on a swing, his money was stolen. 

It was then that Mohan realized the truth in Sohan’s advice. When Mohan returned home, he apologized to Sohan and said, “You had given me the right advice; I just didn’t understand.” Sohan smiled and replied, “Friend, pay attention to my words next time.” The story teaches us that if we don’t heed good advice and ignore it, mishaps can occur anytime.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का प्रयोग पति-पत्नी के बीच के गोपनीय बातचीत में होता है?

हाँ, यह मुहावरा पति-पत्नी के बीच के गोपनीय विचारों को साझा न करने के लिए भी प्रयुक्त हो सकता है।

क्या “कान पर जूं न रेंगना” का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में हो सकता है?

हाँ, यह मुहावरा शिक्षा के क्षेत्र में भी हो सकता है, जब किसी छात्र या शिक्षक को किसी प्रकार की गोपनीयता की आवश्यकता होती है।

क्या “कान पर जूं न रेंगना” का प्रयोग सरकारी कार्यालयों में हो सकता है?

हाँ, यह मुहावरा सरकारी कार्यालयों में भी प्रयुक्त हो सकता है, जब किसी आधिकारी को गोपनीय जानकारी को गोपनीय रखने की आवश्यकता होती है।

क्या “कान पर जूं न रेंगना” का प्रयोग दिल्ली के राजनीतिक संदर्भों में होता है?

हाँ, यह मुहावरा राजनीतिक संदर्भों में भी प्रयुक्त हो सकता है, जब किसी नेता या पार्टी को किसी राजनीतिक गोपनीय रखने की आवश्यकता होती है।

क्या इस मुहावरे का प्रयोग खबरों और मीडिया में होता है?

हाँ, इस मुहावरे का प्रयोग खबरों और मीडिया में भी हो सकता है, जब किसी रिपोर्टर या पत्रकार को किसी खबर को गोपनीय रखने की आवश्यकता होती है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

यह मुहावरा जानवर पर मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

यह मुहावरा मानव शरीर के अंगों पर आधारित मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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