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कान में तेल डालना, अर्थ, प्रयोग(Kaan me tel dalna)

"नियांत नदी में तैरते हुए", "गाँव वाला नियांत को बचाते हुए", "नियांत अपनी माँ के साथ"

परिचय: हर भाषा में कुछ मुहावरे ऐसे होते हैं, जो विशेष परिस्थितियों या भावनाओं को व्यक्त करने में सहायक होते हैं। हिंदी भाषा में “कान में तेल डालना” भी एक ऐसा ही मुहावरा है।

अर्थ: “कान में तेल डालना” मुहावरे का अर्थ है किसी की बातों को नकारते हुए, उसे ध्यान में नहीं लेना। इसका प्रयोग तब होता है जब किसी व्यक्ति ने जान बूझकर किसी की सलाह या बात को अनदेखा किया हो।

उदाहरण:

-> विकास ने अपने दोस्त की सलाह को नकारते हुए उससे बड़ा नुकसान उठाया। उसने तो पूरी तरह से “कान में तेल डाल” लिया।

-> पूजा को बार-बार समझाया गया कि उसे अपनी तबियत का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन उसने सभी की चिंता को अनदेखा किया, मानो उसने “कान में तेल डाल” रखा हो।

व्याख्या: हमारे जीवन में कई बार ऐसा होता है जब हम किसी की सलाह या चेतावनी को अनदेखा कर देते हैं, जिससे हमें बाद में पछतावा होता है। “कान में तेल डालना” मुहावरा इसी स्थिति को दर्शाता है।

निष्कर्ष: इस मुहावरे से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें चाहिए कि हम दूसरों की सलाह और संजीवनी बातों को सीरियसली लें और उस पर अमल करें, न कि उसे अनदेखा कर दें।

कान में तेल डालना मुहावरा पर कहानी:

गाँव में बड़ी तेज़ धारा वाली नदी बहती थी। इस नदी में पानी बहुत तेज़ बहता था, इसलिए गाँववाले बच्चों को हमेशा समझाते थे कि वे नदी में न जाएं।

नियांत, गाँव का एक चुलबुला लड़का था। उसने कई बार सुना था कि नदी में पानी बहुत तेज़ धारा से बहता है और वहाँ जाने से बचना चाहिए, लेकिन वह इन सभी बातों को नकारता था। उसके लिए यह सब बातें बेकार की थीं, जैसे वह कहता था, “मुझे तैरना आता है, मुझे कुछ नहीं होगा।”

एक दिन, नियांत अपने दोस्तों के साथ नदी में तैरने चला गया। जब वह नदी में कूदा, उसे समझ में आया कि वाकई पानी की धारा बहुत तेज़ थी। वह पानी में फंस गया और बहकर जाने लगा। उसके दोस्त छोटे-छोटे पत्थर फेंककर उसकी मदद करने की कोशिश कर रहे थे।

अच्छा हुआ, गाँव का एक व्यक्ति पास में ही मौजूद था, जिसने नियांत को बचा लिया। जब नियांत बाहर आया, तो उसका चेहरा पीला हो गया था। उसे समझ में आया कि वह गलत था। गाँववाले उसे समझाते रहे थे, लेकिन उसने उनकी बातों को सीरियसली नहीं लिया।

जब नियांत घर लौटा, तो उसकी माँ ने उससे कहा, “तू तो हमेशा ‘कान में तेल डालके ‘ रखता है मेरी सुनता कहा है।” नियांत ने सिर झुकाया और वादा किया कि वह दूसरों की सलाह को हल्के में नहीं लेगा।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें जरूरी सलाह और संजीवनी बातों को सीरियसली लेना चाहिए और अनदेखा नहीं करना चाहिए।

शायरी:

कान में तेल डालकर सोते रहो,

ज़िंदगी की सच्चाई से डरते रहो।

जो आँखों से बहकाव में चुर होते,

कभी कभी उन्हीं से सवाल की तलाश होती है।

जिस दुनिया का हर मोड़ सिखाता है,

उसी से कभी बेखौफ़ होकर मुकाम पाना।

 

कान में तेल डालना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of कान में तेल डालना – Kaan me tel dalna Idiom:

Introduction: Every language has certain idioms that assist in expressing specific situations or emotions. In the Hindi language, “Kaan me tel dalna” is one such idiom.

Meaning:  The idiom “Kaan me tel dalna” translates to “pouring oil in the ears” and is used to denote intentionally ignoring someone’s advice or words. It is invoked when someone deliberately disregards another person’s advice or statement.

Usage:

-> Vikas suffered a significant loss by ignoring his friend’s advice. It’s like he completely “poured oil in his ears”.

-> Pooja was repeatedly advised to take care of her health, but she ignored everyone’s concerns, as if she had “poured oil in her ears”.

Discussion: There are instances in our lives when we choose to overlook someone’s advice or warnings, leading to regret later on. The idiom “Kaan me tel dalna” portrays this scenario.

Conclusion: From this idiom, we learn that we should take others’ advice and insightful words seriously and act upon them, rather than neglecting them.

Story of ‌‌aan me tel dalna Idiom in English:

In the village, there was a river with a swift current. The water in the river flowed rapidly, so the villagers always warned children not to go near it.

Niyant was a lively boy from the village. He had heard countless times about the dangerous currents of the river and the advice to stay away. But he disregarded all these warnings. To him, all these cautions seemed pointless. He would often say, “I know how to swim, nothing will happen to me.”

One day, Niyant decided to swim in the river with his friends. When he jumped in, he realized how strong the current truly was. He got caught in the swift waters and began to drift away. His friends tried to help by throwing small stones in his direction.

Fortunately, a villager was nearby and rescued Niyant. When he emerged from the water, he looked pale and realized he had made a grave error. The villagers had warned him, but he did not take their words seriously.

Upon returning home, his mother said to him, “You always seem to ‘pour oil in your ears’; when will you ever listen to me?” Niyant hung his head in shame and promised that he would not disregard important advice in the future.

This story teaches us the importance of heeding valuable advice and warnings, and not ignoring them.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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