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जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार अर्थ, प्रयोग(Janh-janh charan pade santan ke tanh-tanh bantadhar)

परिचय: “जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार” यह हिंदी की एक प्रसिद्ध मुहावरा है। इसका प्रयोग परिहासपूर्वक या व्यंग्यात्मक रूप से किया जाता है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि जहाँ भी संत या महापुरुष के चरण पड़ते हैं, वहाँ विनाश या बर्बादी होती है। यह विडंबनापूर्ण भाव व्यक्त करता है क्योंकि सामान्यतः संतों के चरणों को पवित्र और कल्याणकारी माना जाता है।

प्रयोग: यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी अच्छे या सम्मानित व्यक्ति के आने से अप्रत्याशित रूप से नुकसान या विपत्ति हो जाती है।

उदाहरण:

-> जब से नए मैनेजर ने कार्यालय संभाला, कर्मचारियों की समस्याएँ बढ़ गई हैं। कहने को तो वे अनुभवी हैं, पर “जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार”।

-> प्रेमचंद्र के आने के बाद से ही घर में कलह बढ़ गई। वाकई “जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार”।

निष्कर्ष: यह मुहावरा व्यंग्य और परिहास का सुंदर उदाहरण है। यह बताता है कि कभी-कभी अच्छे इरादे या प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भी अनपेक्षित परिणाम ला सकते हैं। इस मुहावरे का प्रयोग किसी भी परिस्थिति में किया जा सकता है जहां परिणाम उम्मीद के विपरीत हो।

Hindi Muhavare Quiz

जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बहुत ही प्रतिष्ठित और सम्मानित साधु आने वाले थे। गाँव के लोग उनके आगमन की बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे थे। उनके आने की खबर सुनकर, गाँववालों ने साधु के स्वागत की भव्य तैयारियाँ की।

साधु के आगमन के दिन, पूरा गाँव उनके स्वागत में जुट गया। लेकिन, जैसे ही साधु गाँव में प्रवेश किए, अजीब संयोग से गाँव में एक के बाद एक कई अनिष्ट घटनाएँ शुरू हो गईं। पहले, एक बड़ा पेड़ गिर गया, फिर एक घर में आग लग गई, और फिर गाँव के कुएँ का पानी अचानक दूषित हो गया।

गाँववाले हैरान और परेशान हो गए। वे सभी एक सम्मानित साधु के आने से आशीर्वाद और खुशियों की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उनके आने से उल्टा अनहोनी और विपत्तियाँ आ गईं।

तब किसी बुजुर्ग ने कहा, “यह तो ‘जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार’ वाली बात हो गई। हमने सोचा था कि साधु के आने से गाँव में खुशियाँ आएंगी, लेकिन यहाँ तो उल्टा ही हो गया।”

इस कहानी के माध्यम से, हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी अच्छी उम्मीदें और सम्मानित व्यक्तित्व भी अनपेक्षित परिणाम ला सकते हैं। यही इस मुहावरे का सार है।

शायरी:

संत आए गाँव में, सोचा था खुशियाँ आएंगी,

जहँ-जहँ चरण पड़े, तहँ-तहँ बंटाधार लाएंगी।

उम्मीदों के दीपक जलाए थे हमने बहुत,

आँधियों ने बुझा दिए, छोड़ गए सिर्फ धुआँ।

वो जिनके आने की खबर से खिलते थे चेहरे,

उन्हीं के कदमों ने, गाँव का माहौल बदल दिया।

सोचा था उनकी राह में फूल बिछाएंगे हम,

पर उनके चरणों में काँटे छिपे पाए हमने।

हर आने वाले का स्वागत करना आदत है अपनी,

पर ‘जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के’, वहाँ बंटाधार ही लिखा।

 

जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार – Janh-janh charan pade santan ke tanh-tanh bantadhar Idiom:

Introduction: “जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार” is a well-known Hindi idiom. It is used in a satirical or ironic manner.

Meaning: The meaning of this idiom is that wherever the feet of a saint or great person tread, destruction or ruin follows. This expression conveys irony because the feet of saints are generally considered holy and auspicious.

Usage: This idiom is used when the arrival of a good or respected person unexpectedly leads to damage or disaster.

Example:

-> Since the new manager took over the office, the problems of the employees have increased. Although he is experienced, it turned out to be “जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार.”

-> Ever since Premchand arrived, discord in the house has increased. Truly, it’s like “जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार.”

Conclusion: This idiom is a beautiful example of satire and humor. It suggests that sometimes even good intentions or a prestigious personality can lead to unexpected outcomes. This idiom can be used in any situation where the results are contrary to expectations.

Story of ‌‌Janh-janh charan pade santan ke tanh-tanh bantadhar Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, a highly esteemed and respected sage was expected to visit. The villagers eagerly awaited his arrival. Hearing the news of his coming, the villagers made grand preparations to welcome the sage.

On the day of the sage’s arrival, the entire village gathered to greet him. However, as soon as the sage entered the village, a series of unfortunate events began to occur strangely. First, a large tree fell, then a fire broke out in a house, and then the water in the village well suddenly became contaminated.

The villagers were shocked and distressed. They all had hoped for blessings and happiness with the arrival of the respected sage, but instead, misfortune and calamities struck.

Then an elder said, “This is just like the saying, ‘जहँ-जहँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार’. We thought the sage’s arrival would bring joy to the village, but the opposite happened.”

This story teaches us that sometimes good expectations and esteemed personalities can also bring unexpected outcomes. This is the essence of this idiom.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस मुहावरे का उदाहरण क्या है?

जब से नए मैनेजर ने कार्यालय संभाला, कर्मचारियों की समस्याएँ बढ़ गई हैं। कहने को तो वे अनुभवी हैं, पर “जहाँ-जहाँ चरण पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार”।

इस मुहावरे का प्रयोग कब किया जाता है?

यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी अच्छे या सम्मानित व्यक्ति के आने से अप्रत्याशित रूप से नुकसान या विपत्ति हो जाती है।

इस मुहावरे का अर्थ क्या है?

इस मुहावरे का अर्थ है कि जहाँ भी संत या महापुरुष के चरण पड़ते हैं, वहाँ विनाश या बर्बादी होती है। यह विडंबनापूर्ण भाव व्यक्त करता है क्योंकि सामान्यतः संतों के चरणों को पवित्र और कल्याणकारी माना जाता है।

इस मुहावरे का पर्यायवाची क्या है?

इस मुहावरे का पर्यायवाची “जहाँ-जहाँ चरण पड़े, तहँ-तहँ बर्बादी” है।

इस मुहावरे का उद्गम क्या है?

इस मुहावरे का उद्गम निश्चित नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि यह किसी लोककथा या कहानी से उत्पन्न हुआ है।

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