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जबरा मारे रोने न दे अर्थ, प्रयोग(Jabra maare rone na de)

परिचय: “जबरा मारे रोने न दे” यह हिंदी का एक प्रचलित मुहावरा है, जो ताकतवर व्यक्ति द्वारा किए गए अत्याचारों को सहने की मजबूरी को दर्शाता है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि जब कोई शक्तिशाली व्यक्ति किसी पर अत्याचार करता है और पीड़ित को उसका विरोध करने या उसके खिलाफ बोलने का अवसर तक नहीं देता, तो उस स्थिति को “जबरा मारे रोने न दे” कहा जाता है।

प्रयोग: यह मुहावरा उन परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है जहां व्यक्ति को अन्याय या अत्याचार सहने पड़ते हैं और उसे अपनी पीड़ा या विरोध प्रकट करने का भी अवसर नहीं मिलता।

उदाहरण:

-> जब एक कर्मचारी को उसके बॉस ने बिना किसी गलती के डांटा और उसे विरोध करने का मौका भी नहीं दिया, तो उसके सहकर्मी ने कहा, “यह तो ‘जबरा मारे रोने न दे’ वाली स्थिति है।”

-> एक छोटे किसान को बड़े जमींदार ने उसकी जमीन से बेदखल कर दिया और उसे अपनी बात रखने का भी मौका नहीं दिया। गाँववालों ने कहा, “इसे कहते हैं ‘जबरा मारे रोने न दे’।”

निष्कर्ष: “जबरा मारे रोने न दे” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि अक्सर शक्तिशाली लोग अपनी ताकत का इस्तेमाल कर दूसरों पर अत्याचार करते हैं और उन्हें उनके खिलाफ बोलने का मौका भी नहीं देते। यह मुहावरा समाज में असमानता और अन्याय की स्थितियों को उजागर करता है।

Hindi Muhavare Quiz

जबरा मारे रोने न दे मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में विनीत नाम का एक किसान रहता था। वह अपनी मेहनत से खेती कर अपना और अपने परिवार का गुजारा करता था। गाँव के ठाकुर साहब, जो गाँव के सबसे बड़े जमींदार भी थे, अक्सर छोटे किसानों पर अत्याचार किया करते थे।

एक दिन ठाकुर साहब ने विनीत की जमीन पर बिना उसकी मर्जी के कब्जा करने की कोशिश की। विनीत ने विरोध किया, लेकिन ठाकुर साहब के सामने उसकी एक न चली। जब विनीत ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की, तो ठाकुर साहब ने उसे धमकाया और उसकी आवाज दबा दी। गाँव के लोग भी ठाकुर साहब के खौफ से चुप रहे।

विनीत की पत्नी ने कहा, “यह तो ‘जबरा मारे रोने न दे’ वाली बात हो गई। तुम्हें न्याय के लिए लड़ना होगा, विनीत।” विनीत ने फिर से हिम्मत जुटाई और इस बार वह पुलिस और अदालत के पास गया। लंबी लड़ाई के बाद विनीत को न्याय मिला और उसकी जमीन उसे वापस मिली।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि शक्तिशाली लोगों के अत्याचार का सामना करते समय, चुप रहने की बजाय अपने अधिकारों के लिए खड़े होना और संघर्ष करना महत्वपूर्ण होता है। “जबरा मारे रोने न दे” का यही संदेश है।

शायरी:

जुल्मों की दास्तां में, कई आवाज़ दबी हैं,

“जबरा मारे रोने न दे”, किस्से ऐसे रबी हैं।

हर आँसू की कीमत है, फरियाद में ताकत,

चुप्पी के आगोश में, छिपी वो करवट।

जिस दर्द को दबा दिया, वो फिर से क्यों उभरे,

जबरा का डर टूटेगा, जब हौसला न डगमगे।

अधिकार की ये जंग है, हर दर्द की एक कहानी,

जुल्म के खिलाफ आवाज़, बन जाएगी रवानी।

चुप रहने से क्या होगा, ये दर्द का सिलसिला,

बोलो तो सही, क्योंकि हर जबरा का अंत है तय।

 

जबरा मारे रोने न दे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of जबरा मारे रोने न दे – Jabra maare rone na de Idiom:

Introduction: “जबरा मारे रोने न दे” (Jabra Maare Rone Na De) is a common Hindi idiom that depicts the plight of enduring oppression by a powerful person.

Meaning: The literal meaning of this idiom is that when a powerful person inflicts suffering on someone and doesn’t even allow the victim to protest or speak against it, the situation is described as “Jabra Maare Rone Na De.” It reflects the helplessness of the oppressed under the tyranny of the oppressor.

Usage: This phrase is typically used in scenarios where individuals have to endure injustice or tyranny and are not even given the opportunity to express their pain or opposition.

Usage:

-> When an employee was unfairly reprimanded by his boss without any mistake and wasn’t given a chance to respond, his colleague said, “This is a ‘Jabra Maare Rone Na De’ situation.”

-> A small farmer was evicted from his land by a powerful landlord without any opportunity to present his case. The villagers said, “This is what is called ‘Jabra Maare Rone Na De.'”

Conclusion: The idiom “Jabra Maare Rone Na De” teaches us that powerful people often use their strength to oppress others and prevent them from speaking against injustice. It highlights the situations of inequality and injustice in society.

Story of ‌‌Jabra Maare Rone Na De Idiom in English:

In a small village, there lived a farmer named Vineet. He sustained himself and his family through hard work in agriculture. Thakur Sahab, the village’s largest landowner, often oppressed the small farmers.

One day, Thakur Sahab tried to seize Vineet’s land without his consent. Vineet protested, but his efforts were in vain against Thakur Sahab. When Vineet attempted to raise his voice against the injustice, Thakur Sahab intimidated him and suppressed his voice. The villagers, too, remained silent out of fear of Thakur Sahab.

Vineet’s wife said, “This is exactly the ‘Jabra Maare Rone Na De’ situation. You have to fight for justice, Vineet.” Vineet gathered courage again and this time approached the police and the court. After a long battle, justice was served, and Vineet got his land back.

This story teaches us that when facing oppression from powerful people, it’s important to stand up and fight for one’s rights rather than staying silent. This is the essence of the idiom “Jabra Maare Rone Na De.”

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का अर्थ है कि रोने को मंजूर नहीं है?

हाँ, यह मुहावरा बात करता है कि व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होना चाहता और संघर्ष करने के लिए तैयार है।

इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से होता है?

यह मुहावरा उस समय का संकेत करता है जब कोई व्यक्ति कठिनाईयों का सामना कर रहा हो और उसे अपनी मजबूती दिखाने का इरादा हो।

जबरा मारे रोने न दे का मतलब क्या है?

इस मुहावरे का मतलब है कि कोई व्यक्ति अपनी आत्मविश्वासी और साहसी होकर किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानता।

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक प्रसंग है?

ऐसा कोई विशेष ऐतिहासिक प्रसंग नहीं है, लेकिन यह आम जीवन में उत्साह और साहस को बताने का माध्यम है।

क्या यह मुहावरा सकारात्मकता को बढ़ावा देता है?

हाँ, इस मुहावरे का उपयोग सकारात्मकता और साहस को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा सकता है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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