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जबान पर ताला पड़ना अर्थ, प्रयोग(Jabaan par tala padna)

परिचय: “जबान पर ताला पड़ना” मुहावरा उस स्थिति का वर्णन करता है जब किसी व्यक्ति को कुछ कहने में असमर्थता या हिचकिचाहट होती है। यह अक्सर तब प्रयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति डर, झिझक या अनिश्चितता के कारण कुछ बोलने में सक्षम नहीं होता।

अर्थ: इस मुहावरे का सीधा अर्थ है कि किसी व्यक्ति की जबान पर मानो ताला लग गया हो, यानी वह कुछ भी बोलने में असमर्थ हो। यह व्यक्ति की बोलने की क्षमता पर अस्थायी रूप से रोक लगाने को दर्शाता है।

प्रयोग: यह मुहावरा व्यंग्य या आलोचना के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। जब किसी व्यक्ति को कुछ कहने की जरूरत होती है, लेकिन वह डर या झिझक के कारण चुप रहता है, तब इस मुहावरे का प्रयोग करके उसकी इस स्थिति का वर्णन किया जाता है।

उदाहरण:

-> जब विशाल से उसके काम के बारे में पूछा गया, तो उसकी जबान पर ताला पड़ गया।

-> अदालत में गवाह की जबान पर ताला पड़ गया और वह कुछ न कह सका।

निष्कर्ष: “जबान पर ताला पड़ना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि कई बार डर या झिझक के कारण लोग अपने मन की बात नहीं कह पाते। यह हमें यह भी बताता है कि संवाद के महत्व को समझना और बोलने की क्षमता का सही उपयोग करना जरूरी है। इस मुहावरे के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि अपनी बात कहने में संकोच न करें और साहस के साथ अपने विचार प्रकट करें।

Hindi Muhavare Quiz

जबान पर ताला पड़ना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अंश नाम का एक लड़का रहता था। अंश बहुत ही शर्मीला और संकोची था। उसे नए लोगों से बात करने में हमेशा हिचकिचाहट होती थी।

एक दिन गाँव में एक महत्वपूर्ण सभा हुई, जहाँ गाँव के सभी लोगों को अपनी-अपनी राय रखनी थी। अंश ने भी सोचा कि वह इस सभा में अपने विचार प्रकट करेगा।

सभा का समय आया, और एक-एक करके सभी लोग अपनी बात रखने लगे। जब अंश की बारी आई, तो उसकी जबान पर मानो ताला पड़ गया। वह चाहकर भी कुछ न कह सका। उसके मन में बहुत सारे विचार थे, पर वह उन्हें शब्दों में नहीं ढाल पाया।

सभी गाँववाले अंश की ओर देख रहे थे, पर वह बस चुप खड़ा रहा। उसे अपने आप पर बहुत निराशा हुई। सभा समाप्त होने के बाद, गाँव के एक बुजुर्ग ने अंश को समझाया कि बोलने में संकोच न करें और अपनी बातों को बेझिझक प्रकट करें।

इस घटना के बाद, अंश ने धीरे-धीरे अपने आप में बदलाव किया। वह अब जब भी कुछ कहता, तो पूरे आत्मविश्वास के साथ कहता। उसने सीखा कि अपनी बात कहने में कभी भी संकोच नहीं करना चाहिए।

अंश की कहानी हमें यह सिखाती है कि “जबान पर ताला पड़ना” से बचने के लिए आत्मविश्वास और साहस जरूरी है। अपने मन की बात को निडरता से व्यक्त करना हमें आत्मसंतुष्टि और सम्मान दिलाता है।

शायरी:

जबान पर ताला जब पड़ जाए, दिल में उठते हैं तूफान,

चुप्पी की ये जंजीरें, बयां करती हैं अनकही दास्तान।

बोलने की जब चाहत हो, पर लब पे आए न बात,

जबान पर ताला लग जाए, तो समझो दिल की आवाज़।

आंखों में हैं हजारों सवाल, पर जबान पे चुप्पी का ताला,

ये खामोशी भी कहती है, बिन बोले हर इक राज़ खोला।

लफ्जों की कमी नहीं है, दिल में जज्बात हैं प्याले भरे,

पर जब जबान पे ताला पड़ जाए, तो शब्द भी लगते हैं अधूरे।

जबान की ये खामोशी, बताती है दिल की गहराई,

जब शब्द न हों जरूरी, तब चुप्पी भी कुछ कह जाई।

 

जबान पर ताला पड़ना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation ofजबान पर ताला पड़ना – Jabaan par tala padna Idiom:

Introduction: The idiom “Jabaan par tala padna” describes a situation where an individual feels unable or hesitant to speak. It is often used when a person is unable to express themselves due to fear, hesitation, or uncertainty.

Meaning: The direct meaning of this idiom is that it’s as if a lock has been placed on someone’s tongue, meaning they are unable to speak. It represents a temporary impediment to a person’s ability to speak.

Usage: This idiom can be used satirically or critically. It is applied to describe a situation where someone needs to speak, but remains silent due to fear or hesitation.

Example:

-> When Vishal was asked about his work, his tongue seemed to be locked.

-> In court, the witness’s tongue was locked, and he couldn’t say anything.

Conclusion: The idiom “Jabaan par tala padna” teaches us that sometimes people are unable to express their thoughts due to fear or hesitation. It also indicates the importance of understanding the value of communication and utilizing the ability to speak effectively. This idiom serves as a lesson to express oneself without hesitation and with courage.

Story of ‌‌Jabaan par tala padna Idiom in English:

In a small village, there lived a boy named Ansh. Ansh was very shy and hesitant. He always felt hesitant to talk to new people.

One day, an important meeting was held in the village, where all the villagers were supposed to express their opinions. Ansh also thought of sharing his views in this meeting.

When the time for the meeting came, everyone began to speak one after another. When it was Ansh’s turn, it was as if a lock had been placed on his tongue. Despite wanting to, he couldn’t say anything. He had many thoughts in his mind, but he couldn’t convert them into words.

All the villagers were looking at Ansh, but he just stood there silently, feeling very disappointed in himself. After the meeting, an elderly person from the village explained to Ansh that he should not hesitate to speak and should express his thoughts freely.

After this incident, Ansh gradually changed himself. Whenever he spoke, he did so with full confidence. He learned that one should never hesitate to express themselves.

Ansh’s story teaches us that confidence and courage are essential to avoid “having one’s tongue locked.” Expressing one’s thoughts fearlessly brings self-satisfaction and respect.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का उपयोग सामान्य भाषा में होता है?

हाँ, यह मुहावरा सामान्य भाषा में अक्सर सुना जाता है और उस समय की कठिनाईयों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है।

क्या इस मुहावरे का प्रयोग व्यापकता से होता है?

हाँ, इस मुहावरे का प्रयोग विभिन्न स्थितियों में, जहां बोलने की आज़ादी नहीं हो, किया जा सकता है।

क्या है मुहावरा “जबान पर ताला पड़ना” का अर्थ?

यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी को कुछ कहने या बोलने की स्वतंत्रता नहीं होती है।

क्या यह मुहावरा किसी को अपनी भाषा की प्रतिबद्धता को व्यक्त करने में मदद कर सकता है?

हाँ, इस मुहावरे का उपयोग किसी को अपनी भाषा की प्रतिबद्धता या स्वतंत्रता की कमी को बताने में मदद कर सकता है।

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक संदर्भ है?

इस मुहावरे का कोई विशेष ऐतिहासिक संदर्भ नहीं है, लेकिन यह सामान्य रूप से व्यक्तिगत और सामाजिक स्थितियों के लिए प्रयुक्त होता है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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