परिचय: “जबान का कड़वा” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है जो अक्सर संवाद और व्यक्तित्व विश्लेषण में प्रयोग होता है।
अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि किसी व्यक्ति की बातें या उसका बोलने का तरीका बहुत कटु और अप्रिय होता है। यह उन लोगों के लिए कहा जाता है जिनकी बातें सुनने में कठोर और तीखी लगती हैं।
प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब किसी की भाषा या बोली कठोर और असंवेदनशील होती है। यह अक्सर उन लोगों पर लागू होता है जो बिना सोचे-समझे या बिना दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखे बोलते हैं।
उदाहरण:
-> काव्या हमेशा अपने दोस्तों से कड़वी बातें करती है, इसलिए उसके बहुत कम दोस्त हैं।
-> ऑफिस में बॉस की जबान का कड़वा होने के कारण कर्मचारी हमेशा उनसे बचने की कोशिश करते हैं।
निष्कर्ष: “जबान का कड़वा” मुहावरा हमें सिखाता है कि हमारे शब्दों और बोली का प्रभाव हमारे आसपास के लोगों पर गहरा होता है। यह मुहावरा हमें याद दिलाता है कि संवेदनशीलता और समझदारी के साथ बोलना महत्वपूर्ण है, ताकि हमारे शब्द किसी की भावनाओं को ठेस न पहुँचाएं।
जबान का कड़वा मुहावरा पर कहानी:
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में मुनीश नाम का एक किसान रहता था। मुनीश अपने काम में तो बहुत मेहनती था, लेकिन उसकी एक आदत थी जो सभी को परेशान करती थी – वह थी उसकी जबान का कड़वा होना। वह अक्सर बिना सोचे-समझे और बिना दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखे कड़वी और तीखी बातें कह देता था।
एक दिन गाँव के मेले में मुनीश की इस आदत की वजह से एक बड़ा झगड़ा हो गया। उसने अनजाने में एक अन्य किसान के बारे में कुछ ऐसी बात कह दी, जिससे वह किसान और उसके परिवार को बहुत ठेस पहुंची। इसका परिणाम यह हुआ कि मुनीश को गाँव के लोगों का गुस्सा और तिरस्कार सहना पड़ा।
मुनीश की पत्नी ने उसे समझाया कि उसकी इस आदत की वजह से न केवल उसे बल्कि पूरे परिवार को भी समाज में शर्मिंदगी और कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। मुनीश ने धीरे-धीरे यह महसूस किया कि उसकी जबान का कड़वापन ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है।
मुनीश ने फिर खुद में सुधार करने का निश्चय किया। उसने अपने शब्दों पर नियंत्रण रखना शुरू किया और बोलने से पहले सोचने लगा। धीरे-धीरे, गाँव वालों ने भी उसके इस परिवर्तन को देखा और सराहना की।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि ‘जबान का कड़वा’ होना किसी की सामाजिक स्थिति और रिश्तों को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। शब्दों का चुनाव सोच-समझकर और संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए।
शायरी:
जबान का कड़वापन जब छलकता है बातों में,
तो दिल की ख़ामोशी गुम हो जाती है रातों में।
लफ्ज़ों की तलवार से जब दिल जख्मी होते हैं,
अक्सर ये जख्म फूल बनकर नहीं खिलते हैं।
जबान का कड़वापन अक्सर दोस्ती तोड़ देता है,
एक लम्हे में सारे रिश्ते छोड़ देता है।
जिंदगी की राह में, शब्द ही साथी होते हैं,
चुनो उन्हें सोच समझ कर, ये क़ीमती मोती होते हैं।
मीठी जबान से ही तो दुनिया में प्यार बढ़ता है,
जीवन का हर रंग इसी से तो चमकता है।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of जबान का कड़वा – Jabaan ka kadva Idiom:
Introduction: “जबान का कड़वा” (Jabaan ka kadva) is a popular Hindi idiom often used in dialogue and personality analysis.
Meaning: The idiom means that a person’s words or manner of speaking are very harsh and unpleasant. It is said about those whose words sound severe and sharp to the listener.
Usage: This idiom is used when someone’s language or speech is harsh and insensitive. It often applies to people who speak without thinking or without considering the feelings of others.
Example:
-> Kavya always speaks bitterly to her friends, which is why she has very few friends.
-> In the office, because the boss is known for his bitter tongue, employees always try to avoid him.
Conclusion: The idiom “जबान का कड़वा” (Jabaan ka kadva) teaches us that our words and speech have a profound impact on the people around us. It reminds us that it is important to speak with sensitivity and wisdom, so that our words do not hurt anyone’s feelings.
Story of Jabaan ka kadva Idiom in English:
Once upon a time, in a small village, there lived a farmer named Munish. Munish was hardworking in his field, but he had a habit that troubled everyone – his bitter tongue. He often spoke harshly and sharply without thinking and without considering the feelings of others.
One day, at the village fair, Munish’s habit led to a big quarrel. Unknowingly, he said something about another farmer that deeply hurt the farmer and his family. As a result, Munish had to face the anger and scorn of the villagers.
Munish’s wife explained to him that this habit was not only causing him trouble but was also bringing shame and difficulty to the entire family. Gradually, Munish realized that his bitter tongue was his greatest weakness.
Munish then resolved to improve himself. He started to control his words and think before speaking. Gradually, the villagers noticed this change in him and appreciated it.
This story teaches us that having a ‘bitter tongue’ can greatly damage one’s social standing and relationships. One should choose words thoughtfully and sensitively.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
जबान का कड़वा’ मुहावरे का वास्तविक अर्थ क्या होता है?
यह मुहावरा किसी की बोली में व्यक्त तीखापन और कठोरता को संकेतित करता है।
इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से किया जाता है?
यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है जब किसी की वाणी में तीखापन या कठोरता हो।
क्या होता है ‘जबान का कड़वा’ मुहावरा?
जबान का कड़वा’ मुहावरा अर्थात किसी की बोली या वाणी की तीखापन या कठोरता को दर्शाता है।
क्या इस मुहावरे के कुछ उदाहरण दें?
उसकी बातों में हमेशा जबान का कड़वा होता है।” “जब वह गुस्से में होता है, तो उसकी जबान का कड़वा बड़ा ही सुनाई देता है।”
क्या इस मुहावरे का कोई और उपयोग है?
हां, इस मुहावरे को भी व्याख्यातिक परिस्थितियों में उपयोग किया जा सकता है, जैसे किसी की कठोर विचारधारा या निर्दयता को व्यक्त करने के लिए।
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