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जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर अर्थ, प्रयोग (Jab apni utri to doosre ki utarte kya der)

“जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसका प्रयोग अक्सर समाजिक या नैतिक संदर्भ में किया जाता है। इसका संबंध खासकर सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ होता है।

परिचय: हिंदी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ भाषा की अभिव्यक्ति को समृद्ध बनाते हैं। “जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर” मुहावरा भी इसी तरह की गहराई और विविधता प्रदान करता है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि जब एक व्यक्ति का सम्मान या प्रतिष्ठा पहले ही घट चुकी होती है, तो उसे दूसरों की प्रतिष्ठा घटाने में देर नहीं लगती। यह आमतौर पर उन स्थितियों में प्रयोग होता है जहां लोग अपनी प्रतिष्ठा खो चुके होते हैं और फिर दूसरों की प्रतिष्ठा को भी खराब करने की कोशिश करते हैं।

प्रयोग: यह मुहावरा उन परिस्थितियों में प्रयोग होता है जहां व्यक्ति अपने नैतिक मानदंडों को खो चुका होता है और इसके बाद वह दूसरों की प्रतिष्ठा को भी कम करने में संकोच नहीं करता।

उदाहरण:

-> जैसे कि एक राजनीतिज्ञ जिसने अपनी प्रतिष्ठा घोटाले में खो दी, वह अपने विरोधियों की प्रतिष्ठा खराब करने में देरी नहीं करता।

-> एक व्यापारी जिसका व्यवसाय अनैतिक कार्यों से बदनाम हुआ, वह अन्य व्यापारियों की प्रतिष्ठा को भी खराब करने लगा।

निष्कर्ष: इस मुहावरे का महत्व यह है कि यह हमें याद दिलाता है कि प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण संपत्ति है और इसे संजोये रखना चाहिए। साथ ही, यह हमें सिखाता है कि हमें दूसरों की प्रतिष्ठा के साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए और उसे नीचे गिराने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में दो व्यापारी रहते थे, अभय और अनुज। अभय एक ईमानदार और मेहनती व्यापारी था, जबकि अनुज अक्सर अनैतिक तरीकों से अपना व्यापार चलाता था।

एक बार अनुज ने एक बड़ा धोखा दिया और उसके व्यवसाय में बड़ा घोटाला हुआ। इस घोटाले की वजह से अनुज की प्रतिष्ठा गाँव में बहुत गिर गई। लोग उसके व्यवसाय से दूर हो गए और उसे भरोसे के लायक नहीं समझते थे।

इस बीच, अभय का व्यापार फल-फूल रहा था और वह गाँव में सम्मान प्राप्त कर रहा था। अनुज को यह देखकर ईर्ष्या होने लगी और उसने सोचा कि क्यों न अभय की प्रतिष्ठा को भी खराब कर दिया जाए। उसने अभय के खिलाफ झूठी अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं।

लेकिन गाँव वाले समझदार थे। उन्होंने अनुज की बातों में आने के बजाय अभय का समर्थन किया क्योंकि वे अभय की ईमानदारी और मेहनत को जानते थे। अंत में, अनुज की यह चाल उसी पर भारी पड़ी और उसकी प्रतिष्ठा और भी गिर गई।

गाँव वाले कहते हैं, “जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर”। यह कहानी हमें सिखाती है कि अपनी प्रतिष्ठा खो देने के बाद, व्यक्ति को दूसरों की प्रतिष्ठा खराब करने का नहीं सोचना चाहिए। बल्कि, उसे अपनी प्रतिष्ठा सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।

शायरी:

जब अपनी इज्जत की दीवार गिरी, तो फिर हमने सोचा,

दूसरों की इज्जत के महल में दरार डालने में क्या रोका।

मगर ये सोच कर दिल को थाम लिया हमने,

कि दूसरों का घर उजाड़, अपना घर सजाने में क्या रखा।

वो जो खुद की नज़रों में गिर गये एक दिन,

उनके लिए दूसरों की नज़रों का क्या कीमत।

अपनी तो नाव डूबी सागर की लहरों में,

फिर दूसरों की नाव के छेद ढूंढने में क्या बात।

इस दुनिया में सबकी अपनी कहानी है,

खुद की कहानी संवारने में ही सब कुछ बसता है।

 

जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर – Jab apni utri to doosre ki utarte kya der Idiom:

“जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर” is a famous Hindi idiom often used in social or moral contexts. It particularly relates to honor and reputation.

Introduction: In the Hindi language, idioms and proverbs enrich the expression of the language. The idiom “जब अपनी उतरी तो दूसरे की उतारते क्या देर” also provides such depth and diversity.

Meaning: The meaning of this idiom is that when a person’s honor or reputation has already diminished, they do not hesitate to tarnish the reputation of others. It is commonly used in situations where people have lost their reputation and then try to spoil the reputation of others as well.

Usage: This idiom is used in situations where a person has lost their moral standards and then does not hesitate to diminish the reputation of others as well.

Example:

-> Like a politician who lost his reputation in a scandal, he does not delay in tarnishing the reputation of his opponents.

-> A businessman, whose business became infamous due to unethical practices, began to spoil the reputation of other businessmen as well.

Conclusion: The importance of this idiom is that it reminds us that reputation is a valuable asset that should be cherished. Additionally, it teaches us that we should treat others’ reputations with respect and not attempt to degrade it.

Story of ‌‌Jab apni utri to doosre ki utarte kya der Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived two businessmen, Abhay and Anuj. Abhay was an honest and hardworking merchant, while Anuj often conducted his business through unethical means.

Once, Anuj committed a major deceit, leading to a huge scandal in his business. This scandal significantly tarnished Anuj’s reputation in the village. People distanced themselves from his business, no longer considering him trustworthy.

Meanwhile, Abhay’s business was thriving and he was gaining respect in the village. Anuj, envious of this, thought of tarnishing Abhay’s reputation as well. He began spreading false rumors against Abhay.

However, the villagers were wise. Instead of believing Anuj’s words, they supported Abhay, knowing his honesty and hard work. In the end, Anuj’s scheme backfired, further degrading his own reputation.

The villagers say, “When one’s own reputation is lowered, how long does it take to lower someone else’s?” This story teaches us that after losing one’s own reputation, one should not think of tarnishing others’ reputation. Instead, one should focus on improving their own reputation.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस मुहावरे का प्रयोग किन वर्गों में होता है?

यह मुहावरा आमतौर पर व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर प्रयोग होता है, जहां लोग दूसरों को प्रेरित करते हैं कि वे किसी काम को तत्काल करें।

क्या यह मुहावरा किसी विशेष स्थिति के लिए है?

नहीं, यह मुहावरा विभिन्न स्थितियों में प्रयोग किया जा सकता है, जैसे कि किसी कार्य में देरी होने पर, पढ़ाई में धीमा गति से आगे बढ़ने पर, आदि।

इस मुहावरे का अर्थ क्या है?

इस मुहावरे का अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति किसी काम को करने में अधिक समय लेता है तो दूसरे लोग उसे प्रेरित करते हैं ताकि काम जल्दी हो जाए।

क्या यह मुहावरा अक्सर वार्तालाप में प्रयोग होता है?

जी हां, यह मुहावरा अक्सर वार्तालाप में प्रयोग होता है जब किसी को किसी कार्य का आरंभ करने में समय लगता है।

क्या इस मुहावरे का कोई और अन्यायापन है?

जी हां, इस मुहावरे का प्रयोग करके अधिकतर लोग अपनी धीमी प्रक्रिया को सुधारने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं और कार्यों को समय पर पूरा करने की भावना विकसित करते हैं।

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