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इधर न उधर, यह बला किधर अर्थ, प्रयोग (Idhar na udhar, yah bala kidhar)

“इधर न उधर, यह बला किधर” यह एक हिंदी मुहावरा है जो कि अक्सर परिस्थितियों की अनिश्चितता और दुविधा की स्थिति को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग ऐसी स्थितियों में किया जाता है जहाँ व्यक्ति को यह समझ नहीं आता कि सही दिशा कौन सी है और वह किस ओर जाए।

परिचय: मुहावरे का अर्थ होता है कि जब कोई व्यक्ति दो विकल्पों के बीच फंस जाता है और उसे यह निश्चित नहीं होता कि कौन सा विकल्प सही है। इसका प्रयोग अक्सर उस समय किया जाता है जब व्यक्ति को कोई स्पष्ट दिशा नहीं मिलती और वह असमंजस में होता है।

अर्थ: “इधर न उधर, यह बला किधर” मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि मुसीबत या समस्या न तो इस दिशा में है और न ही उस दिशा में, तो फिर यह किस दिशा में है? इसका प्रतीकात्मक अर्थ है कि व्यक्ति निर्णय लेने में असमर्थ होता है क्योंकि उसे सही मार्ग की पहचान नहीं होती।

प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग व्यक्ति की दुविधा और असमंजस की स्थिति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। यह अक्सर तब प्रयोग किया जाता है जब व्यक्ति किसी निर्णय को लेकर उलझन में होता है और उसे यह समझ नहीं आता कि कौन सा रास्ता चुने।

उदाहरण:

मान लीजिए, एक व्यक्ति को दो नौकरियों के ऑफर मिले हैं, एक उसके घर के पास है लेकिन कम वेतन देता है, दूसरा दूर है लेकिन वेतन अधिक है। वह यह निर्णय नहीं ले पा रहा है कि कौन सी नौकरी चुने। इस स्थिति में वह कह सकता है, “मैं इधर न उधर, यह बला किधर”।

निष्कर्ष: “इधर न उधर, यह बला किधर” मुहावरा व्यक्ति की दुविधा और अनिश्चितता की स्थिति को बखूबी व्यक्त करता है। यह हमें यह सिखाता है कि जीवन में कभी-कभी हमें ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जहाँ निर्णय लेना कठिन होता है। ऐसी स्थितियों में, धैर्य और सोच-विचार के साथ आगे बढ़ना ही सबसे उत्तम मार्ग है।

इधर न उधर, यह बला किधर मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में सुरेंद्र नाम का एक किसान रहता था। सुरेंद्र के पास दो खेत थे, एक पूर्व दिशा में और दूसरा पश्चिम दिशा में। पूर्व वाले खेत में मिट्टी उपजाऊ थी, लेकिन वहां पानी की कमी थी। पश्चिम वाले खेत में पानी की भरमार थी, पर मिट्टी बंजर थी। सुरेंद्र हर साल इसी दुविधा में पड़ जाता कि वह किस खेत में खेती करे।

एक दिन सुरेंद्र ने सोचा कि वह गाँव के बुजुर्ग से सलाह लेगा। बुजुर्ग ने ध्यान से सुरेंद्र की समस्या सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, “सुरेंद्र, तुम्हारी समस्या तो ‘इधर न उधर, यह बला किधर’ की तरह है। लेकिन तुम्हें एक समाधान ढूंढना होगा।”

सुरेंद्र ने बुजुर्ग की बातों पर गौर किया और फैसला किया कि वह दोनों खेतों में खेती करेगा। पूर्व वाले खेत में उसने ऐसी फसलें लगाईं जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है, और पश्चिम वाले खेत में उसने ऐसी फसलें लगाईं जिन्हें अधिक पानी की जरूरत होती है।

समय के साथ, सुरेंद्र को दोनों खेतों से अच्छी उपज मिलने लगी। उसने सीखा कि किसी भी दुविधा में फंसे बिना, थोड़ी सोच-विचार और प्रयास से समाधान निकाला जा सकता है।

सुरेंद्र की कहानी ने गाँव वालों को यह सिखाया कि “इधर न उधर, यह बला किधर” की स्थिति में भी, अगर हम धैर्य और बुद्धिमानी से काम लें, तो हम हर समस्या का हल निकाल सकते हैं। और इस तरह, सुरेंद्र ने न केवल अपनी समस्या का समाधान निकाला, बल्कि अन्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गया।

शायरी:

इधर की जो बात नहीं, उधर का भी सिलसिला नहीं,

इस दिल की गलियों में, अब तो बस एक फिलसफा नहीं।

कहाँ जाएँ हम, ‘इधर न उधर, यह बला किधर’,

दो राहों में बंटा दिल, खोजे अपना घर।

मुश्किलों की राह पर, हमने चलना सीख लिया,

‘इधर न उधर’, के सफर में, मंजिल को पीछे छोड़ दिया।

जिंदगी के मेले में, हर खुशी से गुज़ारा है,

‘इधर न उधर’, की बातें, फिर भी दिल को प्यारा है।

आंसू और हंसी के, इस खेल में हम खो गए,

‘इधर न उधर’ के सवाल में, जवाबों को ढूँढते रह गए।

दिल की इस उलझन को, कैसे कोई समझ पाएगा,

‘इधर न उधर’, यह बला किधर, कौन इसे बताएगा।

फिर भी चलते रहेंगे हम, इस उम्मीद की राह पर,

‘इधर न उधर’, के जहां में, ढूंढ लेंगे अपना दर।

 

इधर न उधर, यह बला किधर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of इधर न उधर यह बला किधर – Idhar na udhar yah bala kidhar Idiom:

“Idhar na udhar yah bala kidhar” is a Hindi proverb often used to express the uncertainty and dilemma of situations. It is utilized in scenarios where a person is unable to comprehend the correct direction to take or which way to go.

Introduction: The meaning of the proverb is when an individual is caught between two options and is unsure of which one is the correct choice. It is often used when a person does not receive clear guidance and finds themselves in a state of confusion.

Meaning: The literal meaning of the proverb “Neither here nor there, where does this trouble lie?” is that the trouble or problem is neither in this direction nor in that, so in which direction is it? Its symbolic meaning is that an individual is unable to make a decision because they cannot identify the correct path.

Usage: This proverb is used to express the dilemma and confusion of a person. It is often applied when someone is perplexed about making a decision and cannot understand which path to choose.

Example:

Suppose a person has received job offers from two places, one close to their home but offering lower pay, and the other far away but with higher pay. They are unable to decide which job to choose. In this situation, they might say, “I am neither here nor there, where does this trouble lie?”

Conclusion: The proverb “Neither here nor there, where does this trouble lie?” excellently expresses the state of dilemma and uncertainty of an individual. It teaches us that sometimes in life, we face situations where making decisions is difficult. In such situations, moving forward with patience and careful thought is the best course of action.

Story of ‌‌Idhar na udhar yah bala kidhar Idiom in English:

In a small village lived a farmer named Surendra. Surendra had two fields, one to the east and the other to the west. The soil in the eastern field was fertile, but there was a scarcity of water. In contrast, the western field had an abundance of water, but the soil was barren. Every year, Surendra faced the dilemma of which field to cultivate.

One day, Surendra thought of seeking advice from the village elder. The elder listened to Surendra’s problem attentively and, with a smile, said, “Surendra, your problem is like ‘neither here nor there, where does this trouble lie?’ But you must find a solution.”

Taking the elder’s advice to heart, Surendra decided to cultivate both fields. In the eastern field, he planted crops that required less water, and in the western field, he planted crops that needed more water.

Over time, Surendra began to receive good yields from both fields. He learned that without getting stuck in a dilemma, a solution could be found with some thought and effort.

Surendra’s story taught the villagers that even in a situation of “neither here nor there, where does this trouble lie?”, if we act with patience and wisdom, we can find a solution to every problem. Thus, Surendra not only solved his own problem but also became a source of inspiration for others.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

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