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हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय अर्थ, प्रयोग (Hing lage na fitkari rang bhi chokha hoye)

“हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय” यह एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसका उपयोग आमतौर पर उस स्थिति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है, जहां किसी काम को बिना किसी मेहनत या प्रयास के ही उत्कृष्ट परिणाम मिल जाते हैं। इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि बिना हींग और फिटकरी के उपयोग के भी रंग अच्छा हो जाना।

परिचय: हींग (असफोटिडा) और फिटकरी को प्राचीन काल से रंगाई में उपयोग किया जाता रहा है। ये दोनों सामग्री रंग को चोखा (उज्ज्वल और स्थायी) बनाने के लिए जरूरी मानी जाती थीं। लेकिन जब बिना इनके उपयोग के ही रंग अच्छा निकल आता है, तो इसे एक अप्रत्याशित और सौभाग्यशाली परिणाम माना जाता है।

अर्थ: मुहावरे “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय” का अर्थ है कि बिना किसी विशेष प्रयास या खर्च के उत्तम परिणाम प्राप्त होना। यह उन परिस्थितियों को व्यक्त करता है जहां सफलता आसानी से और अपेक्षित से अधिक अच्छे तरीके से प्राप्त हो जाती है।

प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग व्यक्ति तब करता है, जब वह किसी कार्य को बहुत कम प्रयास में या फिर बिना किसी विशेष प्रयास के सफलतापूर्वक पूरा कर लेता है। यह उस समय भी प्रयोग किया जा सकता है, जब किसी व्यक्ति को उम्मीद से ज्यादा लाभ होता है या कोई काम अचानक से बहुत अच्छा हो जाता है।

उदाहरण:

-> अमन ने बिना किसी तैयारी के परीक्षा दी और टॉप कर गया, सच में “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय।”

-> अनीता ने जो व्यापार शुरू किया था, उसमें उसे बहुत कम समय में ही बड़ी सफलता मिली, वाकई “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय।”

निष्कर्ष: “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी जीवन में बिना ज्यादा प्रयास के भी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। हालांकि, यह हमेशा प्रयास करने की महत्वता को कम नहीं करता, बल्कि यह भाग्य और संयोग की भूमिका को भी स्वीकार करता है।

हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में अभय नाम का एक युवक रहता था। अभय बहुत ही मेहनती और लगनशील व्यक्ति था, लेकिन किस्मत अक्सर उसके साथ नहीं होती थी। उसने कई बार व्यापार में हाथ आजमाया, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी।

एक दिन, अभय ने सुना कि गाँव में एक प्रतियोगिता होने वाली है, जिसमें सबसे अच्छा रंग बनाने वाले को बड़ा इनाम मिलेगा। अभय ने सोचा कि यह उसके लिए एक सुनहरा अवसर है। उसने ठान लिया कि वह इस प्रतियोगिता में भाग लेगा और सबसे अच्छा रंग बनाकर दिखाएगा।

अभय ने दिन-रात एक कर दिया और रंग बनाने की विभिन्न विधियों पर शोध करने लगा। लेकिन जब प्रतियोगिता का दिन आया, तो उसे एहसास हुआ कि वह हींग और फिटकरी, जो कि रंग को चोखा बनाने के लिए जरूरी सामग्री थी, खरीदना भूल गया था। अभय बहुत निराश हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

उसने जो भी सामग्री उसके पास थी, उसका उपयोग करके एक अनोखा रंग तैयार किया। अभय ने अपने बनाए रंग को प्रतियोगिता में पेश किया। जब निर्णायक मंडल ने उसके रंग को देखा, तो वे सभी चकित रह गए। रंग बेहद उज्ज्वल और स्थायी था, बिना हींग और फिटकरी के उपयोग के।

अभय को प्रतियोगिता में पहला स्थान मिला और उसे बड़ा इनाम भी मिला। उसकी मेहनत और नवीनता ने उसे सफलता दिलाई थी। गाँव के लोग उसकी सफलता पर बहुत खुश हुए और उसे बधाई दी।

इस घटना ने सभी को यह सिखाया कि “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय”। यानी कभी-कभी बिना विशेष प्रयास या साधनों के भी उत्कृष्ट परिणाम मिल सकते हैं, बशर्ते हम अपने प्रयासों में ईमानदार और नवीन हों।

शायरी:

बिना मेहनत के ही जब किस्मत से मिल जाए बहार,

“हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा” यही है इसका आधार।

जिंदगी के सफर में कभी ऐसा भी होता है,

बिना बुलाए मेहमान की तरह खुशी चली आती है।

दिल लगा के काम में, जब नतीजा हो बेमिसाल,

ये दुनिया चकित रह जाए, ऐसी होती है कामयाबी की चाल।

ख्वाब बुने थे जो कल, आज वो हकीकत में बदल जाए,

बिना हींग फिटकरी के जब जिंदगी का रंग निखर जाए।

इस दास्तान में है एक गहरी सीख छुपी,

कि कभी-कभी बिना कोशिश के भी, दिल से मिलती है खुशी।

बिना दावत के मेहमान की तरह, जब खुशियाँ आ बसें,

समझ लेना ये जिंदगी का, एक खूबसूरत गेस है।

चलो इस जहान में, खुशियों की एक नई रवायत बुनते हैं,

“हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा” की मिठास सब में घोलते हैं।

 

हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय – Hing lage na fitkari rang bhi chokha hoye Idiom:

The idiom “हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होय” is a famous Hindi proverb used to describe situations where excellent results are achieved without any effort or hard work. The literal meaning of this idiom is that the color turns out well even without the use of asafoetida and alum.

Introduction: Asafoetida (hing) and alum (fitkari) have been used in dyeing since ancient times. Both ingredients were considered essential for making the color bright (chokha) and lasting. However, when a good color is achieved without their use, it is considered an unexpected and fortunate outcome.

Meaning: The proverb “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय” means achieving excellent results without any special effort or expense. It expresses situations where success comes easily and in a better way than expected.

Usage: This idiom is used by a person when they successfully complete a task with minimal effort or without any special endeavor. It can also be applied when someone gains more profit than expected or when a task suddenly turns out very well.

Example:

-> Aman topped the exam without any preparation, truly “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय.”

-> Anita achieved great success in her business venture in a very short time, indeed “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय.”

Conclusion: The idiom “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय” teaches us that sometimes, good outcomes can be achieved in life without much effort. However, it does not diminish the importance of making an effort but also acknowledges the role of luck and coincidence.

Story of ‌‌Hing lage na fitkari rang bhi chokha hoye Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a young man named Abhay. Abhay was very hardworking and diligent, but luck often did not favor him. He had tried his hand at business several times, but each time he only met with failure.

One day, Abhay heard that a competition was going to be held in the village, where the person who could create the best color would win a big prize. Abhay thought this was a golden opportunity for him. He resolved to participate in the competition and show everyone that he could create the best color.

Abhay worked day and night, researching various methods of creating colors. However, when the day of the competition arrived, he realized that he had forgotten to buy asafoetida and alum, which were essential ingredients for making the color vibrant and long-lasting. Abhay was very disappointed, but he did not give up.

Using whatever materials he had at his disposal, he created a unique color. Abhay presented his color at the competition. When the judges saw his color, they were all amazed. The color was extremely bright and durable, even without the use of asafoetida and alum.

Abhay won first place in the competition and also received a large prize. His hard work and innovation had brought him success. The people of the village were very happy for his success and congratulated him.

This incident taught everyone that “हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा होय” (Even without asafoetida and alum, the color can still be vibrant). That is, sometimes excellent results can be achieved without special efforts or resources, provided we are honest and innovative in our endeavors.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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