परिचय: ‘गुबार निकालना’ एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति अपना गुस्सा या झुंझलाहट किसी पर निकालता है। यह अक्सर उन स्थितियों में प्रयोग होता है जहां किसी का क्रोध या असंतोष एक सीमा को पार कर जाता है और वह इसे दूसरों पर उतारता है।
अर्थ: मुहावरे ‘गुबार निकालना’ का अर्थ है किसी पर अपना क्रोध या असंतोष प्रकट करना। यह अक्सर अनुचित या असमान्य रूप से क्रोध व्यक्त करने की स्थिति को व्यक्त करता है।
प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग तब होता है जब किसी को अपनी नाअनुभवगी या क्रोध को व्यक्त करना होता है, खासकर जब वह इसे किसी अन्य व्यक्ति पर निकालता है।
उदाहरण:
-> ऑफिस में बॉस का गुस्सा बढ़ गया और उसने अपने सहकर्मी पर ‘गुबार निकाल दिया’।
-> जब मीरा को पता चला कि उसका बेटा स्कूल से भाग गया था, तो उसने घर आकर ‘गुबार निकाला’।
निष्कर्ष: ‘गुबार निकालना’ मुहावरा हमें यह सिखाता है कि क्रोध और असंतोष को दूसरों पर निकालना न तो उचित है और न ही समाधानकारी। इससे हमें यह भी सीखने को मिलता है कि हमें अपने क्रोध को संयमित रूप से व्यक्त करना चाहिए और दूसरों पर इसका असर नहीं पड़ने देना चाहिए।
गुबार निकालना मुहावरा पर कहानी:
एक शहर में अनुभव नाम का एक युवक रहता था। अनुभव एक मेहनती और ईमानदार कर्मचारी था, लेकिन उसका स्वभाव कुछ चिड़चिड़ा था। छोटी-छोटी बातों पर भी उसका गुस्सा भड़क उठता था।
एक दिन, अनुभव के ऑफिस में कुछ गड़बड़ी हो गई। उसके बॉस ने उसे और उसकी टीम को इसका जिम्मेदार माना और उन पर अपना गुस्सा निकाला। अनुभव का मन बहुत आहत हुआ, लेकिन उसने ऑफिस में कुछ नहीं कहा।
जब अनुभव शाम को घर पहुंचा, तो उसके मन में दिनभर की घटनाओं का गुबार भरा हुआ था। उसकी पत्नी ने उसे खाना परोसा, लेकिन उसने गुस्से में आकर ‘गुबार निकाल दिया’ और खाना फेंक दिया। उसकी पत्नी और बच्चे डर गए और उन्हें समझ नहीं आया कि अनुभव को क्या हुआ।
रात को जब अनुभव शांत हुआ, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने महसूस किया कि उसने अपने ऑफिस की नाअनुभवगी अपने परिवार पर ‘गुबार निकालकर’ उतारी थी, जो गलत था। उसने अपनी पत्नी और बच्चों से माफी मांगी और वादा किया कि वह आगे से ऐसा नहीं करेगा।
निष्कर्ष:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ‘गुबार निकालना’ यानी अपने क्रोध या असंतोष को दूसरों पर उतारना न केवल गलत है बल्कि यह रिश्तों में दरार भी पैदा कर सकता है। हमें अपने भावनाओं को संयमित तरीके से व्यक्त करना चाहिए और दूसरों को इसका शिकार नहीं बनाना चाहिए।
शायरी:
गुबार दिल में छुपाए बैठे हैं, गमों का बोझ उठाए बैठे हैं,
इस दुनिया की रुसवाई में, अपनों पर ही गुस्सा आजमाए बैठे हैं।
गुस्से की आग में जलते रहे, ‘गुबार निकालते’ रहे,
अनजाने में ही सही, अपनों के दिल को दुखाते रहे।
कभी ये सोचा नहीं, गुस्सा किस पर निकाला जाए,
अपने ही दर्द में, किसी और का दिल क्यों जलाया जाए।
‘गुबार निकालने’ की आदत से, अब दूर जाना है,
सीखा है दिल की बात, प्यार से बताना है।
गुस्से की आंधी में, सब कुछ बह जाता है,
जब ‘गुबार निकालते’ हैं, अपना ही कुछ खो जाता है।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of गुबार निकालना – Gubar nikalna Idiom:
Introduction: ‘Gubar nikalna’ is a common Hindi idiom used when a person expresses their anger or frustration on someone else. It is often used in situations where someone’s anger or dissatisfaction crosses a limit and is taken out on others.
Meaning: The idiom ‘Gubar nikalna’ means to express one’s anger or dissatisfaction towards someone. It typically refers to inappropriately or abnormally expressing anger.
Usage: This idiom is used when someone needs to express their frustration or anger, especially when it is directed at another person.
Usage:
-> The boss got angry in the office and ‘vented his anger’ on his colleague.
-> When Meera found out that her son had run away from school, she ‘vented her anger’ upon returning home.
Conclusion: The idiom ‘Gubar nikalna’ teaches us that expressing anger and dissatisfaction on others is neither appropriate nor a solution. It also reminds us that we should express our anger in a controlled manner and not let it affect others.
Story of Gubar nikalna Idiom in English:
In a city, there lived a young man named Anubhav. Anubhav was a hardworking and honest employee, but he had a somewhat irritable nature. He would quickly lose his temper over trivial matters.
One day, something went wrong in Anubhav’s office. His boss blamed him and his team for the issue and vented his anger on them. Anubhav felt deeply hurt but said nothing in the office.
When Anubhav returned home in the evening, he was full of the day’s frustrations. His wife served him dinner, but in a fit of anger, he ‘vented his frustration’ and threw the food away. His wife and children were frightened and couldn’t understand what was wrong with Anubhav.
At night, when Anubhav calmed down, he realized his mistake. He recognized that he had unfairly taken out his office frustrations on his family, which was wrong. He apologized to his wife and children and promised that he would not do this again.
Conclusion:
This story teaches us that ‘venting one’s frustration’ on others is not only wrong but can also create rifts in relationships. We should express our emotions in a controlled manner and not let them negatively affect others.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या “गुबार निकालना” का उपयोग केवल भाषा के सीमित है?
नहीं, इस मुहावरे का उपयोग विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों में और अधिकतर भाषाओं में भी हो सकता है।
इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से होता है?
यह मुहावरा विशेषकर किसी गहरी या संवेदनशील बात को स्पष्टता से साझा करने के लिए प्रयुक्त होता है।
गुबार निकालना मुहावरा का क्या अर्थ है?
गुबार निकालना” का मतलब होता है किसी बात को स्पष्ट रूप से समझाना या व्यक्त करना।
इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार के साहित्यिक रचनाओं में हो सकता है?
यह मुहावरा कहानियों, कथाएँ और कविताओं में विविधता और समृद्धि को व्यक्त करने के लिए उपयोग हो सकता है।
क्या इस मुहावरे का कोई विरुद्धार्थी रूप है?
नहीं, “गुबार निकालना” का कोई विरुद्धार्थी रूप नहीं है, बल्कि यह सीधा और सकारात्मक अर्थ में होता है।
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