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घर की मुर्गी दाल बराबर, अर्थ, प्रयोग(Ghar ki Murgi Daal Barabar)

परिचय: “घर की मुर्गी दाल बराबर” एक प्रमुख हिंदी मुहावरा है, जिसे हम उस समय प्रयोग करते हैं जब हम किसी व्यक्ति या चीज को उसकी असली महत्व से कम महसूस करते हैं, क्योंकि वह हमारे निकट है या हम उसे रोज देखते हैं।

अर्थ: मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि जिस तरह से घर की मुर्गी को देखकर लगता है कि वह सामान्य है और उसकी महत्व को नकारा जाता है, वैसे ही हम अक्सर जो चीजें या व्यक्तियों को रोजाना देखते हैं, उनका महत्व कम समझते हैं।

प्रयोग: अगर किसी परिवार में पति अपनी पत्नी के प्रति उसके कामकाज या क्षमताओं की उपेक्षा करता है, क्योंकि वह उसे रोज देखता है, तो हम कह सकते हैं कि “वह अपनी पत्नी को घर की मुर्गी दाल बराबर मानता है।”

विवरण: ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ मुहावरा विशेष रूप से उस समय प्रयोग होता है जब हम अपने घर या परिवार में किसी व्यक्ति की महत्व को अनदेखा करते हैं। यह एक ऐसा मुहावरा है जो हमें यह सिखाता है कि हमें कभी भी अपने प्रियजनों या अपने घर की चीजों का महत्व समझना चाहिए और उन्हें उपेक्षित नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष: ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी हम उन व्यक्तियों या चीजों को नकारते हैं जो हमारे बहुत करीब होते हैं। हमें चाहिए कि हम सभी की महत्व को पहचानें और समझें, चाहे वह हमारे घर के हो या बाहर के।

Hindi Muhavare Quiz

घर की मुर्गी दाल बराबर मुहावरा पर कहानी:

अभय और अनुज दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे। अभय को अक्सर अपने दोस्तों और कॉलीग्स के साथ अधिक समय गुजारने की आदत थी, जबकि अनुज केवल अपने काम में ही व्यस्त रहता था। अभय का मानना था कि अनुज उससे कम समझदार है और वह उसे अक्सर उसका मजाक उड़ाता रहता था।

एक दिन कंपनी में एक बड़ी परियोजना की जिम्मेदारी उन दोनों को सौंपी गई। अभय ने सोचा कि वह आसानी से अनुज को ओवरशैडो कर देगा और प्रोजेक्ट की सभी प्रशंसा खुद ही प्राप्त कर लेगा।

परियोजना शुरू हो गई। अभय अपनी टीम के साथ उसे जल्दी से पूरा करने में लग गया। वहीं अनुज धैर्य और सोच-समझ के साथ काम कर रहा था। अभय का मानना था कि अनुज “घर की मुर्गी दाल बराबर” है और उसकी तुलना में वह बहुत आगे है।

जब परियोजना का समय समाप्त हुआ, तो अभय की टीम का काम पहले ही पूरा हो गया। वहीं अनुज अभी भी अपने काम में लगा हुआ था। अभय ने उसे देखकर हंसी की और उसका मजाक उड़ाया।

लेकिन जब परियोजना का परिणाम आया, तो सबको चौंकाने वाली बात हुई। अनुज की परियोजना की गुणवत्ता अद्भुत थी और उसने अभय को आसानी से हरा दिया।

इस घटना के बाद अभय को समझ में आया कि वह अकेले ही सबसे अच्छा नहीं है और उसने अनुज को अपने आंदर की शक्ति और सामर्थ्य को अनदेखा कर दिया। वह समझ गया कि “घर की मुर्गी दाल बराबर” का मतलब क्या होता है।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें कभी भी किसी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, चाहे वह हमारा सबसे करीबी व्यक्ति हो।

शायरी:

घर की मुर्गी को जब हम ने नकारा,

उसकी क़ीमत को समझ में नहीं आया।

जिस दाल को आंखों से हम ने छुपाया,

वोही दाल जीवन की मिठास बन जाया।

हर छुपी बात में एक गहरा राज़ है,

जो ज़िंदगी के हर पल में साज़ है।

 

घर की मुर्गी दाल बराबर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of घर की मुर्गी दाल बराबर – Ghar ki Murgi Daal Barabar Idiom:

Introduction: The idiom “घर की मुर्गी दाल बराबर” is a prominent Hindi phrase used when we undervalue someone or something because it’s familiar to us or we see it daily.

Meaning: The literal translation of the idiom is that just as one might undervalue their home-grown chicken considering it as ordinary as lentils, in the same way, we often undervalue those things or individuals we see daily.

Examples: If in a family, a husband takes his wife’s efforts or capabilities for granted because he sees her every day, one might say, “He considers his wife as ordinary as the home-grown chicken.”

Special Note: The phrase ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ is especially used when we overlook the importance of someone in our home or family. It is an idiom that teaches us to recognize the importance of our loved ones or household items and not to take them for granted.

Conclusion: ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ teaches us that sometimes we overlook the importance of those who are very close to us. It’s essential to recognize and understand the significance of everyone, whether they are from our household or outside.

Story of ‌‌Ghar ki Murgi Daal Barabar Idiom in English:

Abhay and Anuj both worked in the same company. Abhay often enjoyed spending time with his friends and colleagues, whereas Anuj was always engrossed in his work. Abhay believed that Anuj was less intelligent than him and often made fun of him.

One day, the responsibility for a major project was handed to both of them. Abhay thought he would easily overshadow Anuj and would receive all the praise for the project.

The project commenced. Abhay, with his team, began working rapidly to finish it. Meanwhile, Anuj was working patiently and thoughtfully. Abhay considered Anuj as ordinary as the home-grown chicken (“घर की मुर्गी दाल बराबर”) and believed he was way ahead of him.

When the project’s deadline approached, Abhay’s team had already completed their task, while Anuj was still at work. Seeing this, Abhay laughed and ridiculed him.

However, when the results of the project came out, everyone was in for a shock. The quality of Anuj’s project was outstanding, and he easily outperformed Abhay.

After this incident, Abhay realized he wasn’t the best alone and had overlooked Anuj’s inner strength and capabilities. He understood the true meaning of the idiom “घर की मुर्गी दाल बराबर.”

The story teaches us never to underestimate anyone, even if they are very close to us.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई और रूप है?

हाँ, इसे “घर का भेदी लंका ढाए” भी कहा जाता है जो समान अर्थ में होता है।

क्या इस मुहावरे का कोई विरोधाभास है?

नहीं, इस मुहावरे में कोई विरोधाभास नहीं होता है, बल्कि यह एक सामान्य और सत्यप्रेम मुहावरा है।

इस मुहावरे का इतिहास क्या है?

इस मुहावरे का उपयोग सामान्यत: सांस्कृतिक और लोककथाओं में होता है जहां इसे जीवन की मूल्यवान चीजों की कमी को बताने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

क्या इस मुहावरे का उपयोग आधुनिक समय में भी होता है?

हाँ, यह मुहावरा आधुनिक समय में भी उपयोग किया जाता है ताकि लोग अपने संसारीक अधिकारों को महत्वपूर्णता दें।

क्या इस मुहावरे का कोई उपयोग कहानियों या कविताओं में होता है?

हाँ, इस मुहावरे का उपयोग कविताओं, किस्सों और कहानियों में भी किया जाता है जिससे इसका सार्थक प्रयोग सुनिश्चित होता है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

यह मुहावरा जानवर पर मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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