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घर का भेदी लंका ढाए, अर्थ, प्रयोग(Ghar ka bhedi lanka dhaye)

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परिचय: हिंदी भाषा में कई मुहावरे प्रचलित हैं जो हमें जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देते हैं। इनमें से एक प्रमुख मुहावरा है “घर का भेदी लंका ढाए”।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि घर का ही आदमी ही अपने घर या परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है। जब किसी परिवार के सदस्य को परिवार से कुछ विवाद या मतभेद होता है, तो वह सदस्य परिवार के भीतरी राज और सीक्रेट्स को बाहर लाकर परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है।

उदाहरण:

-> रावण ने विभीषण की सलाह को अनदेखा किया था, जिससे वह राम के पक्ष में चला गया और रावण की हार में अहम भूमिका निभाई। विभीषण ने राम को रावण की कमजोरी बताई, जिससे रावण का वध हुआ।

प्रयोग: किसी परिवार में अगर आपसी मतभेद होते हैं, तो सदस्यों को चाहिए कि वे उसे आपस में ही हल करें। अगर किसी एक सदस्य ने परिवार की गोपनीय बातों को बाहर लाकर बता दिया, तो पूरे परिवार की इज्जत खो सकती है।

उपसंहार: “घर का भेदी लंका ढाए” इस मुहावरे से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें अपने परिवार के सदस्यों पर पूरा विश्वास रखना चाहिए, लेकिन अगर कोई सदस्य परिवार के भीतरी मामले को बाहर लाकर बताए, तो उससे परिवार को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। हमें चाहिए कि हम आपसी मतभेदों को हल करने के लिए संवाद करें, न कि परिवार को नुकसान पहुंचाए।

घर का भेदी लंका ढाए मुहावरा पर कहानी:

विशाल और विकास दो भाई थे और वह एक ही शहर में रहते थे। दोनों भाइयों में बचपन से ही बहुत प्यार था। लेकिन समय के साथ उनके बीच आपसी मतभेद बढ़ गये।

एक दिन, उनके पिता जी ने अपनी संपत्ति को लेकर एक नई वसीयत तैयार की। वह चाहते थे कि उनकी संपत्ति को उनके मृत्यु के बाद बराबरी में बाँटा जाए। लेकिन इस वसीयत के बारे में सिर्फ विशाल को ही पता था।

विशाल, जो पहले से ही अपने भाई विकास से झगड़ा चुका था, उस वसीयत की जानकारी को उसके दुश्मन अभय को बता दिया। उसने सोचा कि इससे उसके भाई को नुकसान होगा। अभय ने इस जानकारी का फायदा उठाया और संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश शुरू की।

विकास जब इसका पता चला, तो वह बहुत हैरान हुआ। वह समझ गया कि उसके भाई ने ‘घर का भेदी लंका ढाए’ वाली बात की है। परिवार की गोपनीयता को बाहर लाकर विशाल ने पूरे परिवार का पतन कर दिया।

इस घटना से दोनों भाईयों को समझ में आया कि परिवार के आपसी मतभेदों को बाहर नहीं लाना चाहिए। इससे परिवार की इज्जत और सम्मान खो सकता है। अब वह दोनों एक-दूसरे के प्रति समझदारी और सहयोग का अहसास करते हैं।

उपसंहार:

“घर का भेदी लंका ढाए” – इस मुहावरे का अर्थ इस कहानी से स्पष्ट होता है कि हमें अपने परिवार की बातों को बाहर नहीं लाना चाहिए, नहीं तो इससे परिवार को बड़ा नुकसान हो सकता है।

शायरी:

घर के ही चीरे जब आँगन में पड़े,
लंका जलाने वाला कहाँ से आएगा।
आँखों में सपनों की बारिश होती ज़रा,
दिल में जलान की अग्नि लहराएगा।

दिल के जज्बात को लिखने चले थे हम,
लेकिन घर की दीवारों की खामोशी बता दी।
खुदा करे ऐ दोस्त, तुम्हें ऐसा वक़्त न आए,
जब अपने ही, अपनों का लंका ढाए।

 

घर का भेदी लंका ढाए शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of घर का भेदी लंका ढाए – Ghar ka bhedi Lanka dhaye Idiom:

Introduction: There are many idioms in the Hindi language that offer vital life lessons. One such significant idiom is “घर का भेदी लंका ढाए” (Ghar ka bhedi Lanka dhaye).

Meaning: This idiom implies that a person from within the family or group can cause the most harm to it. When a member of the family has disputes or disagreements with the family, they can reveal the family’s internal secrets, leading to harm or embarrassment.

Examples:

-> Ravana ignored the advice of Vibhishana, who eventually sided with Lord Rama and played a crucial role in Ravana’s defeat. Vibhishana informed Rama about Ravana’s vulnerability, leading to Ravana’s demise.

Usage: In families where internal disagreements arise, it’s essential for members to resolve them internally. If a member discloses the family’s confidential matters, it can tarnish the entire family’s reputation.

Conclusion: The idiom “घर का भेदी लंका ढाए” teaches us the importance of trusting our family members. However, if someone from within reveals family matters, it can result in significant harm. It’s always better to engage in dialogue to resolve differences rather than causing harm to the family.

Story of ‌‌Ghar ka bhedi Lanka dhaye Idiom in English:

Vishal and Vikas were two brothers who lived in the same city. From childhood, the two brothers shared a deep bond. However, as time progressed, differences grew between them.

One day, their father prepared a new will regarding his property. He wanted his assets to be equally divided after his demise. However, only Vishal was aware of this new will.

Vishal, already in dispute with his brother Vikas, revealed the details of the will to his enemy, Abhay. He thought that this would harm his brother. Taking advantage of this information, Abhay started plotting to seize the property.

When Vikas discovered this, he was taken aback. He realized that his brother had acted in the vein of “घर का भेदी लंका ढाए” (A traitor within brings downfall). By revealing family secrets, Vishal had jeopardized the entire family’s stability.

From this incident, both brothers learned a valuable lesson – internal family disagreements should remain private. Exposing them can compromise the family’s honor and dignity. Now, both brothers understand the importance of mutual understanding and cooperation.

Conclusion: “घर का भेदी लंका ढाए” – This idiom is exemplified by the story, emphasizing the importance of keeping family matters private to prevent potential harm to the family.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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