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गीदड़ भभकी देना अर्थ, प्रयोग (Geedad Bhabhki dena)

परिचय: “गीदड़ भभकी देना” हिंदी भाषा का एक लोकप्रिय मुहावरा है जो अक्सर धमकी और डराने-धमकाने के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। यह मुहावरा हमारे समाज के विभिन्न पहलुओं में उपयोगी होता है।

अर्थ: “गीदड़ भभकी देना” का अर्थ है किसी को निराधार या खोखली धमकी देना। यह आमतौर पर उन स्थितियों में प्रयोग किया जाता है जहाँ व्यक्ति वास्तव में कोई कार्रवाई करने में सक्षम नहीं होता, फिर भी धमकी देता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति बिना किसी ठोस आधार के दूसरों को धमकाने की कोशिश करता है।

उदाहरण:

-> विकास ने अपने सहकर्मी को नौकरी से निकालने की गीदड़ भभकी दी, जबकि उसके पास ऐसा करने की कोई शक्ति नहीं थी।

-> कंपनी के मालिक ने कर्मचारियों को गीदड़ भभकी दी कि वे सभी को बर्खास्त कर देंगे, लेकिन वास्तव में उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था।

निष्कर्ष: “गीदड़ भभकी देना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि खोखली धमकियाँ देना न केवल अनुचित है, बल्कि यह व्यक्ति की कमजोरी को भी दर्शाता है। यह हमें ईमानदारी और सच्चाई के साथ व्यवहार करने की प्रेरणा देता है।

गीदड़ भभकी देना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से कस्बे में, अभय नामक एक व्यक्ति रहता था। अभय को अक्सर अपने आस-पड़ोस में बड़ी-बड़ी बातें करने की आदत थी। वह हमेशा दूसरों को धमकाने की कोशिश करता और अपने आप को बहुत शक्तिशाली दिखाने की कोशिश करता था।

एक दिन, अभय ने अपने पड़ोसी विनोद को धमकी दी कि अगर उसने अभय की बात नहीं मानी, तो वह विनोद को उसके काम से निकलवा देगा। विनोद पहले तो डर गया, लेकिन जल्द ही उसे समझ में आ गया कि अभय के पास ऐसा करने की कोई शक्ति नहीं थी। यह अभय की गीदड़ भभकी मात्र थी।

विनोद ने अभय को चुनौती दी और उसकी खोखली धमकियों को अनदेखा कर दिया। इससे अभय की असली औकात सबके सामने आ गई। लोगों ने अभय की इस हरकत पर हंसी उड़ाई और उसे अवास्तविक धमकियाँ न देने की सलाह दी।

इस घटना से अभय को एहसास हुआ कि गीदड़ भभकी देने से न सिर्फ उसकी इज्जत कम होती है, बल्कि वह लोगों की नजरों में भी गिर जाता है। उसने तय किया कि आगे से वह वास्तविकता के आधार पर ही बात करेगा और खोखली धमकियों से बचेगा।

इस कहानी से “गीदड़ भभकी देना” मुहावरे का अर्थ स्पष्ट होता है कि बिना किसी ठोस आधार के दूसरों को डराने-धमकाने की कोशिश न सिर्फ व्यर्थ है, बल्कि इससे व्यक्ति की अपनी छवि भी खराब होती है।

शायरी:

गीदड़ भभकी की बातें, सच्चाई से दूर,

जिंदगी की राहों में, ये बस एक शोर।

खोखली धमकियों का आलम, हवा में तैरता धुआँ,

जिसकी हकीकत में कुछ नहीं, बस बेवजह का शोर-ओ-गुलाँ।

गीदड़ की भभकी में, न कोई दम होता है,

खुद की बड़ाई में, अक्सर इंसान भरम होता है।

जो डराने की कोशिश करते, अंदर से खाली,

उनकी बातों में वजन नहीं, गीदड़ भभकी सब गाली।

इस शायरी में बयान हुआ, जिंदगी का एक सबक,

गीदड़ भभकी देने वाले, असल में होते हैं नर्म-दिल के शर्मनाक।

 

गीदड़ भभकी देना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गीदड़ भभकी देना – Geedad Bhabhki dena Idiom:

Introduction: “गीदड़ भभकी देना” (Giving a jackal’s threat) is a popular Hindi idiom often used in the context of threats and intimidation. This idiom is useful in various aspects of our society.

Meaning: “गीदड़ भभकी देना” means to give a baseless or hollow threat. It is commonly used in situations where a person is not actually capable of taking any action but still issues a threat.

Usage: This idiom is used when a person tries to intimidate others without any solid basis.

Example:

-> Vikas gave a jackal’s threat to his colleague about firing him, even though he had no power to do so.

-> The company owner gave a jackal’s threat to the employees that he would dismiss all of them, but in reality, he had no such intention.

Conclusion: The idiom “गीदड़ भभकी देना” teaches us that giving hollow threats is not only inappropriate but also reflects a person’s weakness. It inspires us to act with honesty and truthfulness.

Story of ‌‌Geedad Bhabhki dena Idiom in English:

In a small town, there lived a person named Abhay. Abhay often had the habit of making grandiose statements in his neighborhood. He always tried to intimidate others and tried to portray himself as very powerful.

One day, Abhay threatened his neighbor Vinod that if he did not listen to Abhay, he would get Vinod fired from his job. Initially, Vinod got scared, but soon he realized that Abhay had no power to do so. It was just an empty threat from Abhay.

Vinod challenged Abhay and ignored his hollow threats. This exposed Abhay’s true capabilities to everyone. People laughed at Abhay’s behavior and advised him not to give unrealistic threats.

This incident made Abhay realize that giving jackal threats not only diminishes his respect but also degrades him in the eyes of others. He decided that from then on, he would speak based on reality and avoid empty threats.

This story clearly explains the meaning of the idiom “गीदड़ भभकी देना” (Giving a jackal’s threat), indicating that trying to scare or intimidate others without any solid basis is not only futile but also tarnishes one’s own image.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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