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गये थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी अर्थ, प्रयोग (Gaye the roza chudane, Namaaz gale padi)

परिचय: “गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी” यह हिंदी मुहावरा उन परिस्थितियों को दर्शाता है जहाँ व्यक्ति किसी छोटी समस्या से बचने के प्रयास में बड़ी मुसीबत में फंस जाता है। इस मुहावरे के माध्यम से जीवन की उन स्थितियों का चित्रण किया गया है जहाँ व्यक्ति का इरादा कुछ और होता है, लेकिन परिणाम कुछ और ही निकलता है।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि कोई व्यक्ति रोजा (उपवास) तोड़ने जाता है, लेकिन उसे नमाज़ (प्रार्थना) करनी पड़ जाती है। यानी, वह किसी हल्की समस्या से निपटने गया था, लेकिन उसे कुछ और ही ज़िम्मेदारी या कार्य करना पड़ता है जो अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।

प्रयोग: यह मुहावरा उन स्थितियों में उपयोगी होता है जब किसी व्यक्ति का प्रयास किसी छोटी समस्या का समाधान करने के लिए होता है, लेकिन वह खुद को एक बड़ी और जटिल समस्या में पाता है। यह अनपेक्षित परिणामों और जीवन की अनिश्चितताओं को दर्शाता है।

उदाहरण:

-> अभय अपने दोस्त के साथ मॉल में मामूली खरीदारी करने गया था, लेकिन वहाँ एक बड़ी सेल देखकर वह अधिक खर्च में फंस गया। इस स्थिति को “गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी” कहा जा सकता है।

निष्कर्ष: “गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी” मुहावरा हमें जीवन में सावधानीपूर्वक निर्णय लेने और हर कदम पर तैयार रहने की शिक्षा देता है। यह हमें बताता है कि जीवन में अक्सर वही नहीं होता जिसकी हम उम्मीद करते हैं, इसलिए हमें हमेशा अप्रत्याशित के लिए तैयार रहना चाहिए।

गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में सुरेंद्र नाम का एक किसान रहता था। सुरेंद्र ने सुना कि उसके गाँव के पास एक नई नहर खोदी जा रही है जिससे उसके खेतों की सिंचाई की समस्या हल हो जाएगी। वह इस खबर से बहुत खुश हुआ और नहर के काम में मदद करने का फैसला किया।

सुरेंद्र ने सोचा कि वह सिर्फ नहर के निर्माण में मदद करेगा और फिर अपने खेतों की सिंचाई की समस्या हल हो जाने के बाद वापस अपने खेती के काम में लग जाएगा। लेकिन, जैसे ही वह नहर के निर्माण स्थल पर पहुंचा, उसे पता चला कि नहर का काम काफी बड़ा है और इसमें उसकी मदद की बहुत ज्यादा जरूरत है।

सुरेंद्र ने खुद को नहर के निर्माण में पूरी तरह से समर्पित कर दिया। दिन-रात वह नहर के काम में लगा रहा। इस दौरान, उसके खेत की सिंचाई का काम रुक गया और उसकी फसलें सूखने लगीं।

जब नहर का निर्माण पूरा हुआ, तो सुरेंद्र को एहसास हुआ कि उसने अपने खेतों की देखभाल के लिए जाने की बजाय नहर के निर्माण में अपना सारा समय और प्रयास लगा दिया। उसकी फसलें खराब हो गईं और वह आर्थिक रूप से नुकसान में चला गया।

सुरेंद्र के मित्र ने उसे समझाया, “गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी”। यानी सुरेंद्र ने जो छोटी समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश की थी, उसमें उसे एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि हमें अपने निर्णय लेते समय सावधानीपूर्वक सोच-विचार करना चाहिए और हर कदम पर तैयार रहना चाहिए। जीवन में अक्सर वही नहीं होता जिसकी हम उम्मीद करते हैं, इसलिए हमें हमेशा अप्रत्याशित के लिए तैयार रहना चाहिए।

शायरी:

गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी,

ज़िंदगी की इस दौड़ में, एक नई सीख मिली।

जिस ख्वाब के पीछे भागे, वो तो दूर हो गया,

अनचाही राहों पे चलना, किस्मत ने सिखा दिया।

सोचा था आसानी से, सब कुछ पा लेंगे हम,

मगर ये ज़िंदगी के मायने, कुछ और ही निकले।

हर फैसले की गहराई में, एक सबक छुपा होता है,

जो चाहा था, वो तो नहीं, पर कुछ और ही सिला होता है।

‘गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी’,

ज़िंदगी कहती है, हर पल में एक नया रंग भरी।

 

गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गये थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी – Gaye the roza chudane, Namaaz gale padi Idiom:

Introduction: “गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी” (Went to break the fast, ended up having to pray) is a popular Hindi idiom used to describe situations where a person tries to avoid a minor issue but ends up facing a bigger problem. This idiom illustrates life’s scenarios where the intention is something else, but the outcome turns out to be entirely different.

Meaning: The literal meaning of this idiom is that a person goes to break their fast (Roza) but ends up having to perform a prayer (Namaz). It signifies situations where one’s attempt to solve a small problem results in encountering a more challenging situation or responsibility.

Usage: This idiom is particularly used in contexts where an individual or group tries to solve or avoid a minor issue but ends up dealing with a more significant and unexpected challenge. It teaches the importance of adaptability and flexibility.

Example:

-> A student who tries to skip studying for a minor test to relax but ends up failing the test, resulting in having to study even harder for the retest, perfectly illustrates “गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी”.

Conclusion: The idiom “गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज़ गले पड़ी” teaches us the lesson of being careful with our decisions and always being prepared for every situation in life. It reminds us that life doesn’t always turn out as expected, hence the need to always be prepared for the unexpected.

Story of ‌‌Gaye the roza chudane, Namaaz gale padi Idiom in English:

Once in a small village lived a farmer named Surendra. Surendra heard that a new canal was being dug near his village, which would solve the irrigation problems of his fields. He was overjoyed by this news and decided to help with the canal work.

Surendra thought he would just assist in constructing the canal and then return to his farming work once the irrigation issue was resolved. However, upon reaching the construction site, he realized the canal work was extensive and required a lot of help.

Surendra dedicated himself entirely to the construction of the canal. He spent days and nights working on the canal, during which his fields were neglected, and his crops began to dry out.

When the canal construction was completed, Surendra realized that instead of caring for his fields, he had spent all his time and effort on the canal construction. His crops were ruined, and he suffered financial losses.

A friend explained to him, “You went to break the fast, but ended up having to pray.” Meaning, Surendra tried to solve a minor problem but ended up facing a bigger issue.

This story teaches us to carefully consider our decisions and always be prepared for every step. Life often doesn’t turn out as we expect, so we should always be ready for the unexpected.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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