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गया मर्द जो खाई खटाई, गई नार जो खाई मिठाई, अर्थ, प्रयोग(Gaya mard jo khayi khatayi gayi naar jo khayi mithai)

"गाँव के दृश्य जहाँ अभय और अनीता रहते थे", "अभय अचार और चटनी खाते हुए", "अनीता गाँव की मिठाई दुकान पर", "गाँव के वैद्य की जाँच"

परिचय: हर भाषा में कुछ मुहावरे होते हैं जिनका अर्थ सीधा नहीं होता, लेकिन जब उसे समझ जाते हैं, तो वह बहुत महत्वपूर्ण संदेश देता है। हिंदी भाषा में “गया मर्द जो खाई खटाई, गई नार जो खाई मिठाई” भी ऐसा ही एक मुहावरा है।

अर्थ: इस मुहावरे का सीधा अर्थ है कि अत्यधिक खटाई पुरुषों के लिए हानिकारक है और अधिक मिठाई महिलाओं के लिए हानिकारक है।

व्याख्या: यह मुहावरा उस समय का संकेत करता है जब लोग ख़ासतौर पर पुराने समय में अपने खाने को लेकर सतर्क रहते थे। खटाई से यहाँ खट्टा खाना मुख्य रूप से कहा गया है, जैसे की अचार और चटनियाँ। अत्यधिक मिठाई से मधुमेह जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिसका संकेत इस मुहावरे से दिया गया है।

प्रयोग: “अरे अमन, तुम तो हर दिन अचार खा रहे हो। क्या तुमने वह मुहावरा नहीं सुना ‘गया मर्द जो खाई खटाई’?”

उपयोग की समझ: यह मुहावरा हमें यह समझाने के लिए है कि हमें अपने आहार में संतुलन रखना चाहिए और किसी भी चीज़ का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए। चाहे वह खट्टा हो या मीठा।

आज के समय में, जब हम अपनी सेहत और पोषण के प्रति और अधिक जागरूक हो रहे हैं, ऐसे मुहावरों का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए हमें इस मुहावरे के संदेश को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

गया मर्द जो खाई खटाई, गई नार जो खाई मिठाई मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, गाँव में दो अच्छे मित्र रहते थे – अभय और अनीता। अभय को खट्टा खाना बहुत पसंद था। वह अपनी भोजन में हमेशा अचार और चटनी जैसी खट्टी चीज़ें शामिल करता। अनीता को वहीं मिठाई बहुत पसंद थी और वह रोज़ गाँव की मिठाई की दुकान पर मिठाई खरीदने जाती।

धीरे-धीरे समय बीतता गया, और अभय की तबियत बिगड़ गई। वह बार-बार पेट से परेशान रहता और उसका पेट बार-बार खराब होता। अनीता की तबियत भी बिगड़ने लगी। उसकी त्वचा पर चकत्ते पड़ने लगे और वह बहुत थकावट महसूस करती।

गाँव के वैद्य ने दोनों की जाँच की और बताया कि अभय के पेट में खट्टा पदार्थ से असंतुलन हो गया है और अनीता के शरीर में अधिक मिठास है। वैद्य ने दोनों को सलाह दी कि वे अपनी खानपान में परिवर्तन करें और खट्टा और मिठा सेवन को कम करें।

यह सुनकर गाँववाले हैरान रह गए और सोचने लगे कि कैसे ऐसा हुआ। तब गाँव के बुजुर्ग ने सभी से कहा, “बच्चों, हमेशा याद रखो ‘गया मर्द जो खाई खटाई, गई नार जो खाई मिठाई’।” गाँववालों को समझ में आ गया कि उन्हें भी अपने खानपान में संतुलन बनाए रखना चाहिए।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अत्यधिकता में कुछ भी अच्छा नहीं होता। हमें अपने आहार में संतुलन रखना चाहिए।

शायरी:

खट्टा खाकर जो आदमी डगमगा गया है,

मिठास में जो नारी खोई है समझा गया।

जिंदगी में मीठा-खट्टा संग ही चलता,

जो समझे वही जीवन का असली मजा लिया।

 

गया मर्द जो खाई खटाई, गई नार जो खाई मिठाई शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गया मर्द जो खाई खटाई, गई नार जो खाई मिठाई – Gaya mard jo khayi khatayi gayi naar jo khayi mithai Idiom:

Introduction: In every language, there are certain idioms that don’t have a direct meaning, but when understood, they convey a very significant message. In the Hindi language, “गया मर्द जो खाई खटाई, गई नार जो खाई मिठाई” is one such idiom.

Meaning: The direct meaning of this idiom is that excessive consumption of sour foods is harmful for men and excessive sweets are harmful for women.

Explanation: This idiom alludes to a time when people, especially in earlier times, were cautious about their food intake. Here, “khatai” refers primarily to sour foods like pickles and chutneys. Excessive consumption of sweets could lead to problems like diabetes, which this idiom hints at.

Usage: “Hey Aman, you’re eating pickles everyday. Haven’t you heard the saying ‘गया मर्द जो खाई खटाई’?”

Understanding the Usage: This idiom is meant to educate us about maintaining balance in our diet and not to over consume anything, be it sour or sweet.

In today’s times, as we become more conscious about our health and nutrition, the importance of such idioms becomes even more pronounced. Therefore, we should adopt the message of this idiom in our lives.

Story of ‌‌Gaya mard jo khayi khatayi gayi naar jo khayi mithai Idiom in English:

Once upon a time, in a village, there lived two close friends – Abhay and Anita. Abhay had a fondness for sour food. He would always include pickles and chutneys, and other sour items in his meals. On the other hand, Anita loved sweets and would visit the village’s sweet shop daily to buy her favorite delicacies.

As time passed, Abhay began to fall ill. He frequently suffered from stomach ailments and constant indigestion. Anita’s health also started deteriorating. She began to develop rashes on her skin and felt constant fatigue.

The village doctor examined both of them and concluded that Abhay’s stomach had been disrupted due to excessive sour food, and Anita’s body had an overabundance of sugar. He advised them to make changes in their diets and reduce their intake of sour and sweet foods respectively.

Hearing this, the villagers were astounded and wondered how this could happen. An elder from the village then reminded everyone, “Always remember, ‘A man who consumes too much sour food suffers, and a woman who consumes too much sweet does too’.” The villagers understood the importance of maintaining balance in their diets.

This story teaches us that anything in excess is not good. It’s crucial to maintain a balance in our diet.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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