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गरीब की लुगाई सबकी भौजाई, अर्थ, प्रयोग(Garib ki lugai sabki bhojai)

परिचय: हर भाषा में कुछ ऐसे मुहावरे होते हैं, जो समाज की उस सच्चाई को बयां करते हैं जिसे हम आम तौर पर उपेक्षित कर देते हैं। हिंदी भाषा में ऐसा ही एक मुहावरा है “गरीब की लुगाई सबकी भौजाई”।

अर्थ: इस मुहावरे का सीधा अर्थ है कि जो व्यक्ति या संस्था कमजोर होती है, उस पर हर कोई अपना अधिकार जताने की कोशिश करता है या उसे अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है।

प्रयोग: अगर किसी गरीब व्यक्ति को उसके अधिकारों की जानकारी नहीं होती, तो उस पर अक्सर अमीर और शक्तिशाली लोग अपना अधिकार जताने का प्रयास करते हैं। उसकी ज़मीन, उसकी सम्पत्ति, उसके संसाधन – सभी चीज़ों पर अन्य लोग अपना हक़ जताने की कोशिश करते हैं।

उदाहरण: मान लीजिए एक गाँव में एक गरीब किसान है जिसके पास थोड़ी ज़मीन है। वह ज़मीन पर अपनी मेहनत से कृषि करता है। लेकिन गाँव के एक अमीर व्यक्ति ने उसकी ज़मीन पर अपना हक़ जताने की कोशिश की। वह सोचता है कि गरीब किसान उसके खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता, इसलिए उसे उसकी ज़मीन पर कब्जा करने में कोई परेशानी नहीं होगी।

महत्व: “गरीब की लुगाई सबकी भौजाई” इस मुहावरे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी कमजोर व्यक्ति या संस्था को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हमें सभी के साथ समानता और न्याय के साथ व्यवहार करना चाहिए।

आज के समय में, जब आधुनिक समाज में असमानता और अन्याय बढ़ रहा है, इस मुहावरे का महत्व और भी बढ़ जाता है। हमें यह समझना होगा कि कमजोरों को उनके अधिकारों से वंचित करना न केवल समाज के लिए गलत है, बल्कि यह मानवता के प्रति भी अन्याय है।

Hindi Muhavare Quiz

गरीब की लुगाई सबकी भौजाई मुहावरा पर कहानी:

वही गांव में एक अमीर ज़मींदार भी रहता था, जिसका नाम था प्रेमचंद्र। प्रेमचंद्र को हमेशा और अधिक ज़मीन चाहिए थी, और वह उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता था।

एक दिन, प्रेमचंद्र ने सुरेंद्र को उसकी ज़मीन बेचने के लिए प्रलोभित किया। जब सुरेंद्र ने इनकार किया, प्रेमचंद्र ने उसे धमकी दी। उसने सोचा कि गरीब सुरेंद्र उसके सामने कभी नहीं टिक सकेगा।

“गरीब की लुगाई सबकी भौजाई,” प्रेमचंद्र मुस्कराते हुए अपने मित्र से बोला।

सुरेंद्र ज़रूर गरीब था, लेकिन उसमें हिम्मत और आत्म-सम्मान था। उसने गाँव के अन्य लोगों को जगाया और सभी ने मिल कर प्रेमचंद्र के खिलाफ खड़ा हो गया। उन्होंने समझाया कि गरीबी का मतलब यह नहीं कि किसी को भी उसका फ़ायदा उठाने का अधिकार हो।

गाँववालों के एकजुट होने से प्रेमचंद्र को अच्छी तरह से सबक सिखाया गया। सुरेंद्र और गाँव के अन्य लोगों ने प्रदर्शित किया कि सच्ची ताकत आत्म-सम्मान में होती है, न कि धन और सत्ता में।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर किसी की मजबूती उसकी सम्पत्ति या पद में नहीं होती, तो वह उसकी मानवता में होती है। और किसी को भी अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का फ़ायदा नहीं उठाना चाहिए।

शायरी:

गरीब की ज़िंदगी, सबका खेल बनी बैठी है,

हर कोई राज़ी है, उसकी मुसीबत में हंसने के लिए।

लुगाई की तरह, वो घर-घर की चर्चा बनी बैठी है,

सबकी भौजाई बनी, अपना दर्द भूल बैठी है।

दुनिया के ताने, उसकी चौखट पे हर रोज़ बजते हैं,

लेकिन वो मजबूत है, खुद में ही कहीं खोज बैठी है।

उसने सीखा है कैसे, ग़म के बादलों को चीरा जाए,

वो गरीब है साहब, लेकिन उसमें जीने की उम्मीद बची बैठी है।

हर किसी ने सोचा, उसे तोड़ देंगे, झुका देंगे,

लेकिन वो गरीब की लुगाई, अपने हौसले में जीती बैठी है।

उसने यह बता दिया, दुनिया को अपनी बातों से,

कि गरीबी में भी जीने का हुनर, उसके दिल में बसा बैठी है।

 

गरीब की लुगाई सबकी भौजाई शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गरीब की लुगाई सबकी भौजाई – Garib ki lugai sabki bhojai Idiom:

Introduction: Every language has certain idioms that portray truths of society, often overlooked by the majority. In the Hindi language, one such idiom is “गरीब की लुगाई सबकी भौजाई”.

Meaning: The direct interpretation of this idiom is that individuals or entities that are weak or vulnerable are often subjected to others asserting their dominance or exploiting them for their personal gain.

Usage: If a poor individual is unaware of their rights, the affluent and powerful often try to assert dominance over them. They might claim rights over their land, wealth, or resources.

Example: Consider a village where there’s a poor farmer who owns a small piece of land. He cultivates that land with his hard work. However, a wealthy individual in the village tries to stake claim over the farmer’s land. The rich man believes that the poor farmer wouldn’t dare challenge him, thinking it would be easy to seize the land.

Special Note: The idiom “गरीब की लुगाई सबकी भौजाई” teaches us not to exploit or take advantage of the weak or vulnerable. Everyone should be treated with fairness and equality. In today’s era, as modern society witnesses increasing inequality and injustice, the relevance of this idiom

Conclusion: becomes even more profound. It’s essential to recognize that depriving the weak of their rights is not only detrimental to society but also an injustice to humanity.

Story of ‌‌Garib ki lugai sabki bhojai Idiom in English:

In that same village, there was also a wealthy landlord named Premchandra. Premchandra always coveted more land and would go to any lengths to acquire it.

One day, Premchandra tried to tempt Surendra into selling his land. When Surendra refused, Premchandra threatened him. He thought that poor Surendra would never stand up to him.

“The poor are at everyone’s mercy,” Premchandra said with a smirk to his friend.

Surendra, while poor, was brave and had self-respect. He rallied the other villagers, and together they stood against Premchandra. He made them realize that just because someone is impoverished doesn’t mean they are open to exploitation.

United, the villagers taught Premchandra a valuable lesson. Surendra and the rest of the village demonstrated that true strength lies in self-respect, not in wealth or power.

This story teaches us that one’s strength isn’t in their assets or status, but in their humanity. And no one should exploit others for personal gain.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?

हाँ, यह मुहावरा भारतीय सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ा हुआ है और गरीबी और सामाजिक असमानता को बयान करता है।

इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से होता है?

यह मुहावरा आमतौर पर किसी की आर्थिक कमी या सामाजिक असमानता को व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल होता है।

क्या इस मुहावरे का कोई संबंध धर्म या सामाजिक विमूढ़ता से है?

नहीं, यह मुहावरा सिर्फ आर्थिक स्थिति और समाजिक असमानता को व्यक्त करने के लिए है, और इसमें किसी विशेष धर्म या सामाजिक विमूढ़ता का संदेह नहीं है।

क्या यह मुहावरा केवल गरीबी को ही व्यक्त करता है, या इसमें और भी कोई पहलुओं का मामूला हो सकता है?

इस मुहावरे का मुख्य संदेश गरीबी और समाजिक असमानता से है, लेकिन यह भी दिखाता है कि कभी-कभी ऐसी स्थितियाँ हो सकती हैं जब किसी को सभी की ठुकाई भी सहनी पड़ती है।

क्या इस मुहावरे का कोई सामाजिक संदेश है?

हाँ, इस मुहावरे का सामाजिक संदेश है कि हमें गरीबी और सामाजिक असमानता के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और व्यक्तियों की आत्महत्या से बचाव के लिए सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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