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गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती अर्थ, प्रयोग(Ganje ko kanghi achchi nahi lagti)

परिचय: हिंदी साहित्य में मुहावरे अक्सर गहरे अर्थों को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत करते हैं। “गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती” इसी तरह का एक मुहावरा है जो अनुपयोगी चीजों के प्रति व्यंग्य करता है।

अर्थ: इस मुहावरे का सीधा अर्थ है कि जिन चीजों की किसी व्यक्ति को जरूरत नहीं होती या जो उसके लिए उपयोगी नहीं होतीं, उन्हें वह महत्व नहीं देता। यह मुहावरा उन परिस्थितियों को दर्शाता है जहाँ कुछ चीजें किसी विशेष व्यक्ति या स्थिति के लिए अनावश्यक होती हैं।

प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब किसी अनुपयोगी या अनावश्यक वस्तु या स्थिति की ओर संकेत करना होता है।

उदाहरण:

मान लीजिए, किसी अमीर व्यक्ति को जो पहले से ही कई कारों का मालिक है, अगर कोई और कार गिफ्ट में दे देता है, तो उस स्थिति में यह मुहावरा प्रयोग हो सकता है: “अमीर के लिए एक और कार तो ‘गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती’ वाली बात है।”

निष्कर्ष: “गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए और उन चीजों की कद्र करनी चाहिए जो हमारे लिए वास्तव में महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं। यह हमें यह भी बताता है कि हर चीज का अपना महत्व और स्थान होता है, और हर व्यक्ति की अपनी जरूरतें होती हैं। अनावश्यक और उपयोगहीन चीजों को महत्व न देकर हमें अपने संसाधनों का सही और बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए।

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गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में विकास नाम का एक लड़का रहता था। विकास के सिर पर बाल बहुत कम थे, जिस कारण वह हमेशा चिंतित रहता था। एक दिन गाँव के मेले में उसने एक सुन्दर कंघी देखी और उसे खरीद लिया।

विकास कंघी लेकर खुशी-खुशी घर आया और अपने दोस्तों को दिखाने लगा। लेकिन उसके दोस्त हंसने लगे और कहने लगे, “विकास, तुम्हारे सिर पर तो बाल ही नहीं हैं, फिर इस कंघी का क्या फायदा?”

विकास को समझ में आया कि उसने जो कंघी खरीदी थी, वह उसके लिए बिलकुल भी उपयोगी नहीं थी। उसे एहसास हुआ कि वह अनावश्यक चीजों पर पैसा खर्च कर रहा था।

विकास ने तब से अपने खर्चों पर ध्यान देना शुरू किया और केवल उन्हीं चीजों को खरीदने लगा जो उसके लिए वास्तव में आवश्यक थीं।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि “गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती”, यानी हमें उन्हीं चीजों पर ध्यान और पैसा खर्च करना चाहिए जो हमारे लिए वास्तव में उपयोगी और आवश्यक हों। अनावश्यक और अनुपयोगी चीजों पर समय और संसाधन व्यर्थ नहीं करना चाहिए।

शायरी:

गंजे को कंघी की क्या जरूरत, बेवजह की बातें हैं,
जिंदगी में जरूरी है, सिर्फ सच्चाई और जज्बातें हैं।

ख्वाहिशों का क्या है, वे तो बेखुदी में बहती हैं,
कभी खिलौने चाहिए, कभी गंजे को कंघी रहती है।

दुनिया की रीत है अजीब, जहाँ जरूरत की बात नहीं,
गंजे को कंघी देख, यहाँ हर कोई हंसी उड़ाता है।

अनावश्यक चीजों का यहाँ कोई मोल नहीं,
जो चीज बेकार है, उसका कोई रोल नहीं।

गंजे की कंघी सी बातें, दिल को क्यों भाती हैं,
जरूरत से ज्यादा चीजें, अक्सर दिल को सताती हैं।

सीख ये है कि जिंदगी में, अनावश्यकता से दूर रहें,
जो जरूरी नहीं, उसे अपनी ज़िंदगी से दूर करें।

 

गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती – Ganje ko kanghi achchi nahi lagti Idiom:

Introduction: In Hindi literature, idioms often present deep meanings in a simple and interesting manner. “Ganje ko kanghi achchi nahi lagti” is one such idiom that satirizes the use of superfluous items.

Meaning: The direct meaning of this idiom is that a person does not value things they do not need or that are not useful to them. This idiom illustrates situations where certain things are unnecessary for a particular person or context.

Usage: This idiom is used when pointing out something that is useless or unnecessary.

Example:

For instance, if a rich person, who already owns several cars, is gifted another car, this idiom could be aptly used: “For the rich person, another car is just like ‘a comb is of no use to a bald person.'”

Conclusion: The idiom “Ganje ko kanghi achchi nahi lagti” teaches us that we should always use resources appropriately and value things that are truly important and useful to us. It also tells us that every item has its importance and place, and every person has their own needs. Instead of giving importance to unnecessary and useless items, we should use our resources wisely and judiciously.

Story of ‌‌Ganje ko kanghi achchi nahi lagti Idiom in English:

In a small village, there lived a boy named Vikas. Vikas had very little hair on his head, which always worried him. One day, at the village fair, he saw a beautiful comb and bought it.

Vikas came home happily with the comb and started showing it to his friends. But his friends started laughing and said, “Vikas, you don’t even have hair on your head, what’s the use of this comb?”

Vikas realized that the comb he had bought was not useful for him at all. He understood that he was spending money on unnecessary things.

From then on, Vikas began to pay attention to his expenses and only bought things that were really necessary for him.

This story teaches us that “a comb is of no use to a bald person”, meaning we should only focus and spend money on things that are truly useful and necessary for us. We shouldn’t waste time and resources on unnecessary and useless items.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती” मुहावरे का इतिहास क्या है?

इस मुहावरे का इतिहास विभिन्न साहित्यिक और लोकप्रिय कहानियों के माध्यम से प्रसारित हुआ है।

गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती” मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से हो सकता है?

इस मुहावरे का उपयोग किसी को अपनी क्षमता से अधिक चीज़ को करने का प्रयास करने वाले व्यक्ति को समझाने के लिए किया जा सकता है।

गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती” मुहावरे का क्या अर्थ है?

इस मुहावरे का मतलब है कि व्यक्ति जो खुद ही किसी स्थिति में नहीं है, वह उस स्थिति का मज़ा नहीं उठा सकता है।

गंजे को कंघी अच्छी नहीं लगती” मुहावरे का विस्तार से वर्णन करें।

इस मुहावरे में “गंजा” और “कंघी” दोनों ही संकेत होते हैं, जहां गंजा व्यक्ति को और कंघी उसकी क्षमता को प्रतिष्ठित करती है।

इस मुहावरे का उपयोग व्यावसायिक संदर्भ में कैसे किया जा सकता है?

इस मुहावरे को व्यावसायिक दृष्टिकोण से उदाहरण के रूप में उठाया जा सकता है, जैसे कि किसी कंपनी को अपनी क्षमता से बाहर के कार्य करने का प्रयास करना।

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