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गगरी दाना सूत उताना अर्थ, प्रयोग (Gagri dana soot utana)

“गगरी दाना सूत उताना” एक प्रचलित हिन्दी मुहावरा है, जो किसी व्यक्ति या संस्था के अत्यधिक कंजूसी या मितव्ययिता की प्रवृत्ति को दर्शाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है कि एक छोटी सी गगरी (मिट्टी का एक पात्र) में बस इतना ही दाना डाला जाता है जितना कि एक सूत (धागा) उठा सके। यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी कार्य या उद्देश्य के लिए न्यूनतम संसाधन या प्रयास का उपयोग किया जाता है।

परिचय: यह मुहावरा उन लोगों या संस्थाओं पर व्यंग्य करता है जो अपने काम या जिम्मेदारियों में अत्यंत कम निवेश करते हैं, चाहे वह धन का हो या प्रयास का।

अर्थ: “गगरी दाना सूत उताना” का अर्थ है किसी काम में इतना कम प्रयास या संसाधन लगाना कि वह नाकाफी साबित हो। यह उन परिस्थितियों को दर्शाता है जहाँ मितव्ययिता की हद पार कर दी गई हो।

प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब किसी को उसकी कंजूसी या अत्यंत मितव्ययी प्रवृत्ति के लिए आलोचना करनी हो।

उदाहरण:

मान लीजिए एक व्यक्ति अपने घर की मरम्मत के लिए इतना कम बजट रखता है कि मरम्मत का काम सही से नहीं हो पाता, तो इस स्थिति को “गगरी दाना सूत उताना” कहा जा सकता है।

निष्कर्ष: “गगरी दाना सूत उताना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि किसी भी काम या उद्देश्य के लिए आवश्यकता से कम संसाधन या प्रयास का निवेश करने से उस काम की सफलता में बाधा आती है। यह हमें यह भी बताता है कि किसी काम को सही तरीके से पूरा करने के लिए उचित संसाधनों और प्रयासों का होना आवश्यक है।

गगरी दाना सूत उताना मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक गाँव में सुधीर नाम का एक धनी व्यक्ति रहता था। सुधीर बहुत ही कंजूस था और हमेशा हर काम में से बचत करने की सोचता था। एक दिन उसके घर की छत में छेद हो गया। बारिश का मौसम आने वाला था, इसलिए छत की मरम्मत बहुत जरूरी थी।

सुधीर ने सोचा कि वह खुद ही छत की मरम्मत कर लेगा और इसके लिए बहुत कम खर्च करेगा। उसने बाजार से सबसे सस्ती सामग्री खरीदी और खुद ही छत की मरम्मत करने लगा। लेकिन उसने जो सामग्री खरीदी थी, वह बहुत कमजोर थी और सुधीर का मरम्मत का तरीका भी अनुचित था।

जैसे ही पहली बारिश हुई, छत से पानी टपकने लगा। सुधीर की सारी मेहनत और पैसा बर्बाद हो गया। उसे तब समझ आया कि “गगरी दाना सूत उताना” वाली सोच ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा।

उसने फिर से एक अच्छे मिस्त्री को बुलाया और उचित सामग्री खरीदकर छत की मरम्मत करवाई। इस बार छत मजबूत बनी और बारिश में भी कोई समस्या नहीं हुई।

इस घटना ने सुधीर को सिखाया कि किसी भी कार्य को करने के लिए उचित संसाधन और प्रयास का होना जरूरी है। कंजूसी करके या न्यूनतम प्रयास से काम नहीं चलता। “गगरी दाना सूत उताना” की सोच अंततः नुकसानदायक होती है।

शायरी:

गगरी में दाना बस इतना सारा,
सूत उठाने की कोशिश में गुजारा।
कंजूसी की आदत ने सिखाया,
खुद की ही बुनी हुई सीख पाया।

जितना दिया उसमें खुशी ढूँढ ली,
गगरी दाना सूत उताने में जिंदगी जी ली।
लेकिन सच ये है, सपनों का महल,
बिना पूर्ण प्रयास के रह जाएगा अधूरा, ये कहल।

मितव्ययिता की चादर ओढ़ के सोया नहीं करते,
सपनों को सच करने के लिए, जोर लगाया करते।
गगरी दाना सूत उताना, ये कहावत सुनी है,
पूरे दिल से किए गए प्रयास में ही, सच्ची खुशी मिली है।

जिन्होंने खुद को सीमित नहीं किया,
उन्होंने ही सच्चे मायने में जिया।
गगरी दाना सूत उताने की रीत छोड़,
खुले आसमान में, अपने सपनों को तोड़।

 

गगरी दाना सूत उताना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गगरी दाना सूत उताना – Gagri dana soot utana Idiom:

“Gagri dana soot utana” is a prevalent Hindi proverb, representing the tendency of extreme miserliness or frugality of an individual or institution. The literal meaning is that only so much grain is put into a small pot (a clay vessel) that it can be lifted with a thread. This proverb illustrates the situation when minimal resources or effort are utilized for a task or purpose.

Introduction: This proverb satirizes those people or institutions that invest extremely little in their work or responsibilities, whether it be in terms of money or effort.

Meaning: “Gagri dana soot utana” means to invest so little effort or resources in a task that it proves to be insufficient. It depicts situations where frugality has crossed its limits.

Usage: This proverb is used when someone needs to be criticized for their miserliness or extremely frugal behavior.

Example:

Suppose a person allocates such a low budget for repairing their house that the repair work cannot be properly completed, then this situation can be described as “Putting Just Enough Grain in a Pot to Lift with a Thread.”

Conclusion: The proverb “Gagri dana soot utana” teaches us that investing less resources or effort than necessary in any task or purpose hinders the success of that task. It also tells us that appropriate resources and efforts are essential to complete a task properly.

Story of ‌‌Gagri dana soot utana Idiom in English:

Once upon a time, in a village, there lived a wealthy man named Sudhir. Sudhir was very stingy and always thought of saving in every task he undertook. One day, a hole developed in the roof of his house. With the rainy season approaching, it was crucial to repair the roof.

Sudhir decided he would fix the roof himself and do so at minimal cost. He bought the cheapest materials from the market and started repairing the roof on his own. However, the materials he purchased were very weak, and Sudhir’s repair method was also inappropriate.

As soon as the first rain fell, water started leaking from the roof. All of Sudhir’s efforts and money went to waste. That’s when he realized that the mindset of “Putting Just Enough Grain in a Pot to Lift with a Thread” got him nowhere.

He then called a skilled mason and bought proper materials to get the roof repaired. This time, the roof was made strong and no problems occurred during the rain.

This incident taught Sudhir that appropriate resources and effort are necessary to accomplish any task. Being miserly or putting in the least effort doesn’t work out. The mindset of “Putting Just Enough Grain in a Pot to Lift with a Thread” ultimately leads to loss.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

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