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गढ़े कुम्हार भरे संसार अर्थ, प्रयोग (Gadhe kumhar bhare sansar)

“गढ़े कुम्हार भरे संसार” एक प्रचलित हिन्दी मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि दुनिया में हर तरह के लोग मौजूद हैं। यह मुहावरा विविधता और व्यक्तित्व की अद्भुत रेंज को दर्शाता है जो मानव समाज में पाई जाती है।

परिचय: कुम्हार मिट्टी को गढ़ते हैं और विभिन्न प्रकार के बर्तन बनाते हैं। इसी तरह, समाज में भी विभिन्न प्रकार के लोग होते हैं, जिनके अपने-अपने विचार, आदतें, और प्रकृति होती है।

अर्थ: “गढ़े कुम्हार भरे संसार” मुहावरे का अर्थ है कि इस दुनिया में विभिन्न प्रकार के लोग हैं, जैसे कि कुम्हार द्वारा बनाए गए विभिन्न प्रकार के बर्तन।

प्रयोग: यह मुहावरा तब उपयोगी होता है जब हम मानव समाज की विविधता और प्रत्येक व्यक्ति की अनूठी पहचान को स्वीकार करते हैं।

उदाहरण:

यदि किसी समूह में विभिन्न प्रकार के लोगों का संगम हो, जहाँ हर किसी की अपनी विशेषता हो, तो कह सकते हैं कि “गढ़े कुम्हार भरे संसार।”

निष्कर्ष: “गढ़े कुम्हार भरे संसार” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें हर व्यक्ति की विशेषता और विविधता को समझना और स्वीकार करना चाहिए। यह हमें दिखाता है कि हर व्यक्ति अपने आप में अनूठा है और समाज में उसका अपना महत्व है।

गढ़े कुम्हार भरे संसार मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक कुम्हार रहता था, जिसका नाम अभय था। अभय दिन भर मिट्टी गूंथता, उसे आकार देता और सुंदर-सुंदर बर्तन बनाता। उसके बनाए हर बर्तन अलग-अलग आकार और डिज़ाइन के होते थे, कोई गोल तो कोई लम्बा, कोई गहरा तो कोई उथला।

एक दिन गाँव के लोगों ने अभय से पूछा, “तुम इतने अलग-अलग तरह के बर्तन कैसे बना लेते हो?” अभय ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “जैसे इस संसार में हर व्यक्ति अलग होता है, उसी तरह मेरे बर्तन भी अलग-अलग होते हैं। ‘गढ़े कुम्हार भरे संसार’ कहावत की तरह, मेरे बर्तन भी इस संसार की विविधता को दर्शाते हैं।”

अभय की बात सुनकर गाँव वाले समझ गए कि हर व्यक्ति की अपनी एक खासियत होती है, और हर एक की अपनी जगह होती है। जिस तरह अभय के बर्तन अलग-अलग होते हैं पर सभी उपयोगी होते हैं, उसी तरह हर व्यक्ति भी इस समाज में अपनी विशेषता लेकर आता है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि “गढ़े कुम्हार भरे संसार” मुहावरे की तरह, हमें हर व्यक्ति की अनूठी पहचान और विविधता को स्वीकार करना चाहिए। हम सभी अलग-अलग हैं, लेकिन साथ मिलकर ही इस समाज का निर्माण करते हैं।

शायरी:

गढ़े कुम्हार ने जैसे, भरे इस संसार को,
वैसे ही रंग बिखेरे हैं हर इंसान ने अपने प्यार से।
कोई सागर है गहरा, तो कोई नदी का किनारा,
इस जहान में हर किसी का है, अपना एक नजारा।

कोई खुशबू से बातें करे, कोई रंगों से खेले,
हर किसी की अपनी कहानी, अपने सपनों से मेले।
“गढ़े कुम्हार भरे संसार” में, हर एक है खास,
जोड़े सबको एक डोर से, बिना किसी आभास।

अनेकता में एकता की, यही तो बात निराली है,
समझे जो इसे दिल से, उसकी जिंदगी में खुशहाली है।
चलो मिलके बनाएं एक ऐसा संसार,
जहाँ हर कोई अपनी पहचान से हो प्यार।

जीवन के इस मेले में, हर कोई है एक कलाकार,
“गढ़े कुम्हार भरे संसार” में, हर इंसान है एक सितारा।
हर रंग, हर खुशबू, हर धुन में, बसा है एक राज,
जोड़ता है हमें सबको, बिना किसी फर्क के साथ।

 

गढ़े कुम्हार भरे संसार शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गढ़े कुम्हार भरे संसार – Gadhe kumhar bhare sansar Idiom:

“Gadhe kumhar bhare sansar” is a prevalent Hindi proverb, meaning the world is filled with all kinds of people. This proverb showcases the amazing range of diversity and personalities found in human society.

Introduction: Just as a potter molds clay and creates various types of pots, similarly, society comprises people of various thoughts, habits, and natures.

Meaning: The meaning of the proverb “The Potter Shapes, the World Fills” is that there are various types of people in this world, just like the various types of pots made by a potter.

Usage: This proverb is useful when we accept the diversity of human society and the unique identity of each individual.

Example:

If a group consists of a variety of people, each with their own uniqueness, it can be said that “The Potter Shapes, the World Fills.”

Conclusion: The proverb “Gadhe kumhar bhare sansar” teaches us that we should understand and accept the uniqueness and diversity of each individual. It shows us that every person is unique in their own way and has their own importance in society.

Story of ‌‌Gadhe kumhar bhare sansar Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a potter named Abhay. Abhay would knead the clay all day, shape it, and make beautiful pots. Each pot he made was different in shape and design – some were round, some were tall, some deep, and some shallow.

One day, the villagers asked Abhay, “How do you make such a variety of pots?” Abhay replied with a smile, “Just as every person in this world is different, so are my pots. Like the saying ‘The Potter Shapes, the World Fills,’ my pots too reflect the diversity of this world.”

Hearing Abhay’s words, the villagers understood that every person has their own uniqueness, and everyone has their own place. Just as Abhay’s pots were different but all useful, similarly, every person brings their own uniqueness to society.

This story teaches us that, like the proverb “The Potter Shapes, the World Fills,” we should accept the unique identity and diversity of each person. We are all different, but it is together that we build society.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

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