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गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़ अर्थ, प्रयोग (Gaay gun bachda, Pita gun ghod, Bahut nahi to thode thod)

“गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है, जिसका उपयोग वंशानुगत गुणों की विरासत को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह मुहावरा बताता है कि संतान में माता-पिता के गुण स्वाभाविक रूप से आते हैं, चाहे वह बहुत हो या थोड़ा।

परिचय: यह मुहावरा संतान में माता और पिता के गुणों के प्रतिबिंब को दर्शाता है। गाय और घोड़े का उदाहरण देकर यह स्पष्ट किया गया है कि बछड़े और घोड़े में क्रमशः उनके माता और पिता के गुण होते हैं।

अर्थ: मुहावरे का अर्थ है कि प्रत्येक संतान में उसके माता-पिता के गुण होते हैं, जो उसे वंशानुगत रूप से प्राप्त होते हैं। यह गुण सीधे तौर पर या किसी हद तक उसमें दिखाई देते हैं।

प्रयोग: जब भी संतान में माता-पिता के समान गुण या विशेषताएँ देखने को मिलती हैं, तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है।

उदाहरण:

यदि एक व्यक्ति अपने पिता की तरह अच्छा गायक है, तो कह सकते हैं “गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़।”

निष्कर्ष: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि वंशानुगत गुण और प्रवृत्तियाँ संतान में प्राकृतिक रूप से आती हैं। यह विविधता और समानता के बीच के संबंध को भी उजागर करता है, जो हमें अपने माता-पिता से जोड़ता है। इससे हमें अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और आभार की भावना को भी महसूस होता है।

गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़ मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अनुभव नाम का एक युवक रहता था। अनुभव के पिता एक प्रसिद्ध गायक थे और उन्होंने अपने जीवन में कई संगीत समारोहों में प्रस्तुतियाँ दी थीं। अनुभव की माँ भी एक उत्कृष्ट कवयित्री थीं। बचपन से ही अनुभव ने अपने माता-पिता को संगीत और कविता की दुनिया में डूबे देखा था।

समय के साथ अनुभव में भी उसके माता-पिता के गुण दिखने लगे। वह जब भी गाता, लोग उसके पिता की याद में खो जाते। उसकी कविताएँ भी उसकी माँ की कविताओं की याद दिलातीं। गाँव वाले अक्सर कहते, “देखो, अनुभव में उसके माता-पिता के गुण कितने स्पष्ट हैं। गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़।”

एक दिन गाँव में एक बड़ा संगीत समारोह आयोजित हुआ। अनुभव ने उसमें अपनी प्रस्तुति दी। उसकी गायन शैली और कविता पाठ में उसके माता-पिता के गुण स्पष्ट रूप से झलकते थे। समारोह के बाद, एक वरिष्ठ कलाकार ने अनुभव से कहा, “तुम्हारे प्रदर्शन में तुम्हारे माता-पिता की छवि साफ नज़र आती है। यह सच है कि ‘गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़।'”

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि संतान में माता-पिता के गुण स्वाभाविक रूप से आते हैं, और वे उनकी प्रतिभा और व्यक्तित्व में परिलक्षित होते हैं। यह हमें यह भी बताता है कि प्रत्येक पीढ़ी अपने पूर्वजों के गुणों को आगे बढ़ाती है, चाहे वह बहुत हो या थोड़ा।

शायरी:

गाय गुण बछड़े में दिखे, पिता गुण घोड़े में पाया,
बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़, हर संतान में छुपा साया।

माँ की ममता, पिता का साहस, संतान में बस जाता है,
जैसे हर फूल में खुशबू, अपने आप खिल जाता है।

वंश की इस कड़ी में, हर पीढ़ी कुछ नया लाती है,
फिर भी माता-पिता की छाप, कहीं ना कहीं छुप जाती है।

बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़, गुणों का यह मेल है न्यारा,
संतान में विरासत का, ये संगीत बजता सारा।

कहते हैं लोग अक्सर, वंशानुगत ये खेल है पुराना,
गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, जीवन का यह अफसाना।

जीवन के इस मंच पर, हर किरदार अपना रोल निभाता,
माता-पिता के गुण संतान में, जैसे सूरज चाँद में समाता।

 

गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़ शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़ै थोड़ – Gaay gun bachda, Pita gun ghod, Bahut nahi to thode thod Idiom:

“Gaay gun bachda, Pita gun ghod, Bahut nahi to thode thod” is a prevalent Hindi idiom used to denote the inheritance of genetic traits. This idiom illustrates that the offspring naturally inherit traits from their parents, whether those traits are abundant or minimal.

Introduction: This idiom reflects the reflection of the parents’ traits in the offspring. By giving examples of the cow and the horse, it clarifies that calves and colts respectively possess their mother’s and father’s traits.

Meaning: The meaning of the idiom is that every offspring has traits from their parents, which they inherit genetically. These traits are either directly visible or to some extent in them.

Usage: This idiom can be used whenever similar traits or characteristics are observed in the offspring that are akin to their parents.

Example:

If a person is a good singer like his father, it can be said, “Gaay gun bachda, Pita gun ghod, Bahut nahi to thode thod.”

Conclusion: This idiom teaches us that genetic traits and tendencies naturally come to the offspring. It also highlights the relationship between diversity and similarity, which connects us to our parents. It evokes a feeling of respect and gratitude towards our ancestors.

Story of ‌‌Gaay gun bachda, Pita gun ghod, Bahut nahi to thode thod Idiom in English:

In a small village, there lived a young man named Anubhav. Anubhav’s father was a renowned singer who had performed at many music festivals throughout his life. Anubhav’s mother was also an exceptional poetess. From a young age, Anubhav saw his parents immersed in the world of music and poetry.

Over time, Anubhav also began to show traits of his parents. Whenever he sang, people were reminded of his father. His poetry reminded them of his mother’s poems. The villagers often said, “Look, how clearly Anubhav has inherited his parents’ traits. The calf inherits from the cow, the colt from the horse, if not much then a little.”

One day, a large music festival was organized in the village. Anubhav performed at the event. His singing style and poetry reading clearly reflected his parents’ qualities. After the event, a senior artist said to Anubhav, “Your performance clearly shows the image of your parents. It’s true that ‘The calf inherits from the cow, the colt from the horse, if not much then a little.'”

This story teaches us that offspring naturally inherit their parents’ traits, and these traits are reflected in their talents and personalities. It also tells us that each generation carries forward the qualities of their ancestors, whether in abundance or to a lesser extent.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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