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एक लाठी से हाँकना, अर्थ, प्रयोग(Ek lathi se hakna)

परिचय: हमारी हिंदी भाषा अनेक मुहावरों का खजाना है, जो जीवन के विविध पहलुओं को दर्शाती हैं। ऐसा ही एक मुहावरा है “एक लाठी से हाँकना”। यह मुहावरा उस परिस्थिति को दर्शाता है जहां किसी व्यक्ति या समूह के सभी लोगों को बिना उनके व्यक्तिगत गुणों या अवगुणों का विचार किए समान रूप से नियंत्रित या व्यवहार किया जाता है।

अर्थ: “एक लाठी से हाँकना” का अर्थ होता है किसी भी समूह के सभी सदस्यों के साथ एक जैसा व्यवहार करना, चाहे वे अच्छे हों या बुरे।

उपयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति या प्रणाली सभी को एक ही तरह से जांचती या संभालती है, बिना किसी को विशेष मान्यता या उपचार दिए।

उदाहरण:

-> स्कूल में अध्यापक सभी बच्चों को ‘एक लाठी से हाँकते हैं’, चाहे वह अध्ययन में होशियार हो या कमजोर।

-> कार्यस्थल पर मैनेजर द्वारा ‘एक लाठी से हाँकने’ की नीति अपनाई गई, जिससे सभी कर्मचारियों में असंतोष फैल गया।

विशेष टिप्पणी: यह मुहावरा अक्सर नकारात्मक संदर्भ में प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह समझता है कि हर व्यक्ति या स्थिति अद्वितीय होती है और उनके साथ उनके अनुसार व्यवहार किया जाना चाहिए। जब हम ‘एक लाठी से हाँकते हैं’, तो हम मानवीय विविधता और व्यक्तिगत योगदान को नजरअंदाज करते हैं।

यह मानव स्वभाव है कि हर कोई चाहता है कि उसे उसकी विशिष्टता के लिए पहचाना जाए और सराहा जाए। इसलिए, ‘एक लाठी से हाँकने’ की प्रथा अक्सर अनुचित मानी जाती है।

समानता का आदर्श तब तक ही उत्तम होता है जब तक वह न्यायसंगत और तार्किक हो। लेकिन, यदि समानता की आड़ में अयोग्यता और कुशलता को एक ही पैमाने से नापा जाए, तो यह निष्पक्षता के मूल्य को कमजोर कर देता है।

निष्कर्ष: इसलिए, ‘एक लाठी से हाँकना’ मुहावरे से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें समानता और न्यायसंगत व्यवहार के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिए। हर व्यक्ति और हर स्थिति को उसकी अपनी खासियत के अनुरूप न्याय और सम्मान देना हमारे समाज की सच्ची प्रगति का परिचायक है।

आप ऐसे ही और दिलचस्प हिंदी मुहावरों और उनके अर्थों के लिए Budhimaan.com पर बने रहें।

Hindi Muhavare Quiz

एक लाठी से हाँकना मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में ‘रामपुर’ में, एक समझदार और न्यायप्रिय गुरुजी रहते थे, जिनका नाम था विवेकानंद। वे गाँव के स्कूल में पढ़ाते थे और उन्हें बच्चों को नैतिक शिक्षा देना बहुत प्रिय था। उनके स्कूल में विभिन्न परिवारों से आये बच्चे पढ़ते थे, कुछ बहुत ही शरारती तो कुछ बहुत ही मेहनती और ईमानदार।

एक दिन स्कूल में कुछ शरारती बच्चों ने कक्षा में उपद्रव मचाया। गुरुजी ने यह देखा तो उन्होंने सोचा कि इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए। उन्होंने निर्णय लिया कि सभी बच्चों को समान दंड देना उचित नहीं होगा क्योंकि न केवल शरारती बच्चे, बल्कि मेहनती और शांत बच्चे भी दंड के भागीदार होंगे।

उन्होंने इस घटना को एक शिक्षा का अवसर बनाने का निर्णय लिया। अगले दिन, गुरुजी ने सभी बच्चों को इकट्ठा किया और उन्हें एक कहानी सुनाई।

“बहुत समय पहले,” गुरुजी ने शुरुआत की, “एक चरवाहा था जिसके पास बहुत सी भेड़ें थीं। उसकी कुछ भेड़ें बहुत आज्ञाकारी थीं, जबकि कुछ अधिक चंचल और शरारती थीं। लेकिन चरवाहे ने उन सभी को ‘एक लाठी से हाँकने’ की नीति अपनाई। जब भी एक या दो भेड़ें गलती करतीं, वह सभी को एक समान दंड देता।”

बच्चे चुपचाप सुन रहे थे। “धीरे-धीरे,” गुरुजी ने जारी रखा, “आज्ञाकारी भेड़ें असंतोष और दुखी महसूस करने लगीं। वे सोचने लगीं कि जब उन्हें भी वैसे ही दंड मिलता है जैसे शरारती भेड़ों को, तो अच्छा आचरण करने का क्या फायदा?”

बच्चों के चेहरों पर चिंता की लकीरें थीं। “अंततः,” गुरुजी ने समापन किया, “चरवाहे को एहसास हुआ कि उसकी नीति अन्यायपूर्ण थी। उसने समझा कि हर भेड़ को उसके व्यवहार के अनुसार अलग से व्यवहार करना चाहिए। इसके बाद, उसने प्रत्येक भेड़ की व्यक्तिगत विशेषताओं और जरूरतों का सम्मान किया, और गलती करने पर केवल शरारती भेड़ों को ही दंड दिया।”

गुरुजी ने देखा कि बच्चे समझ गए थे। “हमें भी ‘एक लाठी से सभी को हाँकने’ की नीति नहीं अपनानी चाहिए,” गुरुजी ने कहा। “हर व्यक्ति अलग होता है, और हर गलती के लिए उचित और व्यक्तिगत प्रतिक्रिया होनी चाहिए।”

बच्चों ने अपनी गलती को समझा और गुरुजी से वादा किया कि वे आगे से शिक्षा और व्यवहार में ईमानदारी और समर्पण दिखाएंगे। गुरुजी की सीख ने उन्हें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया था।

और इस तरह, ‘रामपुर’ के बच्चों ने न केवल शब्दों, बल्कि व्यवहार से भी ‘एक लाठी से सभी को हाँकने’ की नीति की असली समझ आयी।

शायरी:

एक लाठी से सबको हाँकने का रिवाज पुराना है,

हर शख्स की खामोशी में एक तूफान छिपा है।

इंसाफ की इस दुनिया में नाइंसाफी का अंदाज कैसा,

जो अच्छे हैं उन्हें भी साथ लेकर गुजरना आसान नहीं है।

हर चेहरे पर एक मुखौटा, हर मुखौटे में एक कहानी है,

‘एक लाठी से सब’ – यह सोच तो अब बेमानी है।

वक़्त की रफ़्तार से कदम मिलाना सीख लें,

हर दिल में बसी अलग धड़कन को पहचानना ज़रूरी है।

खुदा ने दी है फर्क सोच में, तो इंसानों को भी सोचना होगा,

एक लाठी से हाँकने वाले, तुम्हें भी तो बदलना होगा।

न्याय की इस राह में हर कदम पे इम्तिहान है,

एक लाठी से सभी को हाँकना – क्या यह इंसानियत का सम्मान है?

 

एक लाठी से हाँकना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of एक लाठी से हाँकना – Ek lathi se hakna Idiom:

Introduction: Our Hindi language is a treasure trove of numerous idioms that reflect the various facets of life. One such idiom is “एक लाठी से हाँकना” (One stick to drive them). This idiom illustrates a situation where all individuals or members of a group are controlled or treated equally without considering their individual qualities or shortcomings.

Meaning: “एक लाठी से हाँकना” means to treat all members of a group alike, whether they are good or bad.

Usage: This idiom is used when a person or system treats everyone in the same way, without giving any special recognition or treatment to anyone.

Examples:

-> In school, the teacher drives all the children with ‘one stick,’ whether they are bright or weak in studies. 

-> The manager’s policy of ‘driving with one stick’ was adopted at the workplace, which spread discontent among all the employees.

Special Note: This idiom is often used in a negative context because it understands that every person or situation is unique and should be treated accordingly. When we ‘drive with one stick,’ we ignore human diversity and individual contributions.

It is human nature that everyone wants to be recognized and appreciated for their uniqueness. Therefore, the practice of ‘driving with one stick’ is often considered unfair.

The ideal of equality is only good as long as it is just and logical. However, if under the guise of equality, incompetence and skill are measured with the same yardstick, it weakens the value of fairness.

Conclusion: Therefore, from the idiom ‘एक लाठी से हाँकना,’ we learn that we should establish a balance between equality and just treatment. Providing justice and respect to each person and every situation according to its unique characteristic is an indicator of the true progress of our society.

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Story of ‌‌Ek lathi se hakna Idiom in English:

Once upon a time, in a small village called ‘Rampur’, there lived a wise and just teacher, whose name was Vivekananda. He taught at the village school and greatly enjoyed imparting moral education to the children. His school was attended by children from various families, some of whom were very mischievous, while others were very hardworking and honest.

One day, some mischievous children created a commotion in the classroom. Seeing this, the teacher thought about how to resolve the issue. He decided that it would not be fair to punish all the children equally, because not only the mischievous ones but also the hardworking and calm children would suffer the consequences.

He decided to turn this incident into a learning opportunity. The next day, the teacher gathered all the children and told them a story.

“Long ago,” the teacher began, “there was a shepherd who had many sheep. Some of his sheep were very obedient, while others were more playful and mischievous. However, the shepherd adopted the policy of ‘herding them all with one stick.’ Whenever one or two sheep made a mistake, he would punish them all equally.”

The children listened in silence.

“Gradually,” the teacher continued, “the obedient sheep began to feel discontent and sad. They began to wonder what the point was in behaving well if they were punished just like the mischievous sheep.”

The children’s faces showed lines of concern.

“Eventually,” the teacher concluded, “the shepherd realized that his policy was unjust. He understood that he should treat each sheep according to its behavior. Thereafter, he respected the individual characteristics and needs of each sheep, and only punished the mischievous ones when they made a mistake.”

The teacher saw that the children had understood.

“We should not adopt the policy of ‘herding all with one stick,'” the teacher said. “Every person is different, and there should be an appropriate and individual response for every mistake.”

The children understood their mistake and promised the teacher that they would show honesty and dedication in their learning and behavior going forward. The teacher’s lesson had taught them an important lesson.

And thus, the children of ‘Rampur’ not only understood the policy of ‘herding all with one stick’ in words but also truly grasped it through their behavior.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या यह मुहावरा नकारात्मकता को दर्शाता है?

हाँ, यह मुहावरा नकारात्मकता को दर्शाता है, क्योंकि इसमें एक व्यक्ति को बिना किसी स्थायी कारण के बार-बार आलोचना करने का अर्थ होता है।

क्या इस मुहावरे का उपयोग साहित्य में होता है?

हाँ, इस मुहावरे का साहित्य में व्यापक उपयोग होता है, जहां लेखक अपने पात्रों को या घटनाओं को एक लाठी से हाँकते हैं।

क्या इसका सामान्य उपयोग भाषा में होता है?

हाँ, इस मुहावरे का सामान्य उपयोग भाषा में भी होता है, जब कोई अपने दोस्तों या साथीयों को एक ही तरीके से आलोचना करता है।

एक लाठी से हाँकना का मतलब क्या है?

एक लाठी से हाँकना” का मतलब है किसी को एक ही तरीके से बार-बार आलोचना करना या किसी की निंदा करना।

इस मुहावरे का उपयोग किस संदर्भ में होता है?

यह मुहावरा उस समय उपयोग होता है जब किसी व्यक्ति या विषय को बिना किसी वजह के बार-बार आलोचना किया जाता है।

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