परिचय: मुहावरे भाषा को समृद्ध और व्यक्तिपरक बनाते हैं। “एक की दो कहना” मुहावरा भी इसी तरह का एक महत्वपूर्ण मुहावरा है जिसका उपयोग किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर या अतिरंजित रूप में प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है।
अर्थ: “एक की दो कहना” का शाब्दिक अर्थ है किसी एक चीज को दो के रूप में बताना। लेकिन वास्तव में, इसका प्रयोग किसी बात को ज्यादा महत्वपूर्ण या बड़ा बनाकर पेश करने के लिए होता है।
प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी बात, घटना या अनुभव को उसके वास्तविक स्वरूप से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है। यह अक्सर अतिशयोक्ति या अतिरंजना के रूप में इस्तेमाल होता है।
उदाहरण:
-> विकास ने अपनी यात्रा के बारे में ऐसा वर्णन किया कि मानो वह किसी स्वर्गीय स्थान पर गया हो, वह हमेशा “एक की दो कहता है।”
-> अनुज ने अपनी छोटी सी उपलब्धि को इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जैसे उसने कोई महान काम कर दिया हो, वह सच में “एक की दो कहता है।”
निष्कर्ष: “एक की दो कहना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें चीजों को उनके वास्तविक स्वरूप में ही प्रस्तुत करना चाहिए और अतिरंजना से बचना चाहिए। यह मुहावरा भाषा को और भी रोचक और व्यंग्यात्मक बनाता है।
एक की दो कहना मुहावरा पर कहानी:
एक गाँव में अभय नाम का एक युवक रहता था। अभय की एक विशेषता थी – वह जो भी देखता या अनुभव करता, उसे दुगुना बढ़ा-चढ़ाकर बताता। उसके इस गुण के कारण गाँव वाले उसे “अभय एक की दो कहने वाला” कहकर बुलाते थे।
एक दिन, अभय ने गाँव वालों को बताया कि उसने एक सपना देखा है जिसमें वह एक अद्भुत स्थान पर गया था। उसने कहा, “वहाँ की नदियाँ सोने की थीं, पेड़ों पर हीरे-जवाहरात लगते थे, और पंछी संगीत की धुन में गाते थे।” गाँव वाले उसकी इस बात पर विश्वास नहीं कर पाए।
कुछ दिनों बाद, अभय ने गाँव वालों को बताया कि उसने एक बाघ को देखा है जिसकी लम्बाई दस फीट थी और वह बोल सकता था। इस बार भी कोई उस पर विश्वास नहीं कर पाया।
धीरे-धीरे, लोगों ने अभय की बातों को सुनना कम कर दिया क्योंकि वे जानते थे कि वह हमेशा “एक की दो कहता है।”
एक दिन, अभय ने सच में एक बाघ देखा और गाँव में जाकर चेतावनी दी। लेकिन, किसी ने भी उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। बाद में, जब वास्तव में बाघ गाँव में आया, तब जाकर लोगों ने अभय की बात का यकीन किया।
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि अतिरंजना करने से हमारी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है। जब हम “एक की दो कहते हैं,” तो लोग हमारी सच्चाई पर भी विश्वास नहीं करते। इसलिए, सदैव सत्य और यथार्थ को ही प्रस्तुत करना चाहिए।
शायरी:
एक की दो कहने की आदत में, जिंदगी बिताई है,
जहां सच की कीमत थी, वहाँ बाजी हार आई है।
जुबां पर बात आती है, तो अतिरंजन सजता है,
कहानियों की दुनिया में, हर रंग कुछ बढ़ा हुआ लगता है।
सच की राह में चलना, इतना भी आसान नहीं,
जहाँ ‘एक की दो’ कहने से, हर किस्सा महान नहीं।
दुनिया ने जब यकीन करना छोड़ दिया,
तब अहसास हुआ कि हर बात में सच्चाई होती क्या है।
‘एक की दो’ कहने वाले, सुनो इस दिल की पुकार,
जिंदगी के असली रंगों में, ही छुपा होता है प्यार।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of एक की दो कहना – Ek ki do kahna Idiom:
Introduction: Idioms enrich and personalize a language. “एक की दो कहना” is such an important idiom used to exaggerate or overstate something.
Meaning: The literal translation of “एक की दो कहना” is to describe one thing as two. However, in practice, it is used to present something as more significant or larger than it actually is.
Usage: This idiom is employed when someone describes an event, fact, or experience in an exaggerated manner, often as a hyperbole or overstatement.
Example:
-> Vikas described his journey in such a way that it seemed like he visited a heavenly place; he always “exaggerates.”
-> Anuj presented his minor achievement as if he had done something great; he truly “exaggerates.”
Conclusion: The idiom “एक की दो कहना” teaches us that we should present things in their true form and avoid exaggeration. This idiom makes the language more interesting and satirical.
Story of Ek ki do kahna Idiom in English:
In a village, there lived a young man named Abhay. Abhay had a peculiar trait – whatever he saw or experienced, he would describe it in an exaggerated manner, often doubling its actual magnitude. Due to this characteristic, the villagers often referred to him as “Abhay the exaggerator.”
One day, Abhay told the villagers that he had dreamt of a marvelous place. He said, “The rivers there were made of gold, trees were adorned with diamonds and gems, and birds sang in melodious tunes.” The villagers didn’t believe his extravagant description.
A few days later, Abhay claimed that he had seen a tiger ten feet long that could talk. Again, no one believed him.
Gradually, people started paying less attention to Abhay’s stories, knowing that he always exaggerated.
Then one day, Abhay actually saw a tiger and warned the villagers. But nobody believed him. It was only when the tiger actually appeared in the village that the people believed Abhay’s words.
This story teaches us that exaggeration can cast doubt on our credibility. When we “make a mountain out of a molehill,” people may not believe us even when we speak the truth. Therefore, we should always present things as they are, sticking to the truth and reality.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या यह मुहावरा किसी कानूनी या वैधिक दस्तावेज़ में प्रयोग होता है?
नहीं, यह मुहावरा सामान्य भाषा में प्रयोग होता है और किसी भी कानूनी या वैधिक दस्तावेज़ में उपयोग नहीं होता है।
इस मुहावरे का उपयोग किसी स्थिति को व्याख्यात करने के लिए कैसे किया जा सकता है?
जब किसी स्थिति में एक व्यक्ति को बार-बार उसी बात को समझाने की आवश्यकता होती है, तो उसे “एक की दो कहना” का उपयोग करके स्पष्ट किया जा सकता है।
क्या है “एक की दो कहना” मुहावरा का अर्थ?
एक की दो कहना” मुहावरा का अर्थ होता है किसी बात को दोहराना या अधिक बार कहना।
इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से होता है?
यदि कोई व्यक्ति किसी बात को बार-बार दोहराता है या उसे अन्यों के साथ भाग करते समय उसे बार-बार सुनाने की आवश्यकता महसूस होती है, तो वह “एक की दो कहना” कहलाता है।
क्या इस मुहावरे का वास्तविक उपयोग किया जा सकता है?
जी हां, कई बार लोग वास्तविक जीवन में भी किसी अद्भुत या महत्वपूर्ण बात को समझाने के लिए “एक की दो कहना” का उपयोग करते हैं।
हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें