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दूध की मक्खी होना, अर्थ, प्रयोग(Doodh ki makhi hona)

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अर्थ: “दूध की मक्खी होना” एक प्रचिन हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ होता है किसी व्यक्ति का निरुपयोग होना या बेकार होना। जैसे दूध में मक्खी अवशेष रह जाती है और उसका कोई उपयोग नहीं होता, वैसे ही इस मुहावरे का अर्थ बेकार व्यक्ति से संबंधित है।

उदाहरण:

-> अभय बहुत आलसी है, वह तो बस दूध की मक्खी की तरह पड़ा रहता है।

-> जब तक तुम अपनी सक्रियता और समर्थन नहीं दिखाते, तुम दूध की मक्खी की तरह रहोगे।

निष्कर्ष: इस मुहावरे का प्रयोग वह व्यक्तियों के लिए होता है जो अपने जीवन में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं करते हैं और जो समाज में या उनके परिवार में अपनी उपस्थिति का महसूस नहीं होने देते हैं। जैसे दूध की मक्खी को नजरअंदाज किया जाता है और उसका कोई उपयोग नहीं है, वैसे ही ऐसे व्यक्ति को भी नजरअंदाज किया जाता है।

यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में सक्रिय रहकर और उपयोगी बनकर जीना चाहिए ताकि हम समाज और अपने परिवार में अच्छी तरह से जगह बना सकें।

दूध की मक्खी होना मुहावरा पर कहानी:

रामनगर गाँव में अंश नामक बच्चा रहता था। अंश को बचपन से ही किसी भी कार्य में रुचि नहीं थी। वह दिन-रात अपने दोस्तों के साथ समय गवाने में व्यस्त रहता था।

गाँव में सभी बच्चे किसी न किसी काम में व्यस्त रहते थे – चाहे खेती हो, पढ़ाई हो या अन्य किसी हुनर में माहिर बनने की कोशिश में। लेकिन अंश अलग था, उसे अपने जीवन में कोई लक्ष्य नहीं था।

एक दिन गाँव में मेला आया। सभी गाँववाले मेले में जा रहे थे। अंश का मेले में जाने का मन नहीं था, उसके दोस्तों ने कहा चलो मेला देखने चलते है, अंश ने साफ़ मना कर दिया। ये सब देखकर देखकर घरवालों ने कहा तू बस दूध की मक्खी की तरह पड़ा रहता है। कुछ तो काम कर लिया करो। 

वह सोचने लगा कि क्या वह अपने जीवन में ‘दूध की मक्खी’ बन गया है? क्या वह भी अपने समाज में और परिवार में वैसा ही अवशेष बन गया है?

उस दिन के बाद, अंश ने अपने जीवन को बदलने का ठान लिया। वह खेती में अपने पिता की मदद करने लगा, और धीरे-धीरे वह गाँव में सबसे अच्छा किसान बन गया। वह अब ‘दूध की मक्खी’ नहीं रहा, बल्कि अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने जीवन में सक्रिय रहकर और उपयोगी बनकर जीना चाहिए, ताकि हम ‘दूध की मक्खी’ ना बनें।

शायरी:

दूध में मक्खी की तरह खो गए हम, जीवन के इस मेले में छोटे से काम।

देखा है जिस आंखों ने ज़माने को, वहीं आँखें आज खुद से हैं अनजान।

ज़िंदगी की राहों में खोते चले गए, अपने ही अहसास में रोते चले गए।

ज़रा सा हौसला और ज़रा सा विश्वास, बदल दे सकता है जीवन का हर रास्ता।

 

दूध की मक्खी होना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of दूध की मक्खी होना – Doodh ki makhi hona Idiom:

Introduction: “Doodh ki makhi hona” is an ancient Hindi idiom which means a person being useless or worthless. Just as a fly in milk remains an unwanted residue and is of no use, similarly, the essence of this idiom is related to a person who is of no value.

Usage:

-> Abhay is very lazy; he just lies around like a fly in the milk. 

-> Unless you show your initiative and contribution, you will remain like a fly in the milk.

Conclusion: This idiom is used for those individuals who don’t make any significant contribution in their life and don’t make their presence felt in the society or their family. Just as a fly in milk is ignored and is of no value, similarly, such an individual is also overlooked.

The idiom teaches us that we should remain active in our lives and be useful, so we can carve out a good place for ourselves in society and our families.

Story of ‌To be a fly in the milk Idiom in English:

In the village of Ramnagar, there lived a boy named Ansh. Since childhood, Ansh had no interest in any activity. He spent his days and nights wasting time with his friends.

All the other children in the village were busy with some or the other activity – be it farming, studying, or trying to excel in some skill. But Ansh was different; he had no aim in life.

One day, a fair came to the village. All the villagers were going to the fair. Ansh didn’t feel like going to the fair, but when his friends said, “Let’s go see the fair,” Ansh flatly refused. Seeing all this, his family remarked, “You just lie around like a fly in milk. Do some work.”

He began to ponder: has he become the ‘fly in the milk’ in his life? Has he become such a residue in his community and family?

From that day onwards, Ansh decided to change his life. He began assisting his father in farming, and gradually, he became the best farmer in the village. He was no longer the ‘fly in the milk’ but had carved out an important place for himself in life.

This story teaches us that we should remain active and be useful in our lives so that we don’t end up being the ‘Doodh ki makhi’.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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