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दो नावों पर पैर रखना, अर्थ, प्रयोग(Do naav par pair rakhna)

अंश_क्रिकेट_खेलते_हुए (For an image of Ansh playing cricket), अंश_पढ़ाई_करते_हुए (For an image of Ansh studying), गाँव_का_दृश्य (For an image of the village), अंश_और_उसकी_क्रिकेट_टीम (For an image of Ansh with his cricket team)

हर भाषा में कुछ ऐसे मुहावरे होते हैं, जो उस भाषा की अद्वितीयता को प्रकट करते हैं। हिंदी भाषा में भी ऐसे अनेक मुहावरे हैं, जिनमें से “दो नावों पर पैर रखना” एक लोकप्रिय मुहावरा है।

अर्थ: “दो नावों पर पैर रखना” मुहावरे का अर्थ है दो कार्यों या दो चीजों को एक साथ करना या जोड़ना। यहाँ ‘नाव’ और ‘पैर’ शब्दों का प्रयोग प्रतीकात्मक रूप में है, जिससे दो अलग-अलग चीजों में समय समय पर ध्यान देने की बात की जा रही है।

प्रयोग:

-> अमन अपने काम और पढ़ाई दोनों में ध्यान दे रहा है, मानो वह “दो नावों पर पैर रख” रहा हो।

-> पारुल अपनी नौकरी और घर के काम-काज दोनों में व्यस्त है कि लगता है वह “दो नावों पर पैर रख” रही है।

विवरण: जैसे किसी व्यक्ति को दो नावों पर एक साथ पैर रखना संभव नहीं है, वैसे ही दो अलग-अलग कार्यों में एक समय में ध्यान देना कठिन होता है। इस मुहावरे का प्रयोग वहाँ होता है, जहाँ किसी व्यक्ति को दो अलग-अलग कार्यों में समय-समय पर ध्यान देने की जरूरत होती है।

आशा है कि आपको “दो नावों पर पैर रखना” मुहावरे का अर्थ और इसका प्रयोग समझ में आ गया होगा। इस तरह के और मुहावरों के बारे में जानकारी पाने के लिए budhimaan.com पर बने रहें।

दो नावों पर पैर रखना मुहावरा पर कहानी:

अंश एक छोटे गाँव में रहता था। वह एक प्रतिभाशाली छात्र था और उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बने। लेकिन अंश की एक और प्रतिभा थी, वह गाँव में क्रिकेट का चम्पियन था।

एक दिन, अंश को एक बड़ी उच्च शिक्षा संस्थान से प्रवेश पत्र मिला। यह उसके लिए एक सुनहरा मौका था। लेकिन उसी समय, उसे गाँव की क्रिकेट टीम में चुना गया, जो उस साल एक बड़े टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही थी।

अंश था किसी भी एक चीज को छोड़ देने का मन नहीं कर रहा था। वह सोच रहा था कि वह अपनी पढ़ाई और क्रिकेट, दोनों को साथ में कैसे संभाल सकता है। यहाँ तक कि उसके दोस्त भी मजाक उड़ा रहे थे कि अंश “दो नावों पर पैर रख” रहा है।

लेकिन अंश था निर्धारित। उसने एक कठिनाई को मौका मानते हुए, अपना समय समझदारी से प्रबंधित किया। उसने अपनी पढ़ाई का समय सुबह के समय निर्धारित किया और शाम में क्रिकेट की प्रैक्टिस की।

महीनों बाद, जब टूर्नामेंट का समय आया, अंश ने अपनी टीम को जीत दिलाई। और उसी साल, वह अपने परीक्षा में भी उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए।

अंश ने साबित किया कि “दो नावों पर पैर रखना” संभव है, अगर आपकी मेहनत और संघर्ष में दृढ़ता हो। उसने दिखाया कि जब आप दो चीजों में अच्छा करना चाहते हैं, तो आपको अपने समय और संसाधनों को समझदारी से प्रबंधित करना होता है।

शायरी:

दो नावों पर पैर रख बैठा हूँ मैं,

ज़िंदगी के इस मेले में गुम रहा हूँ।

एक ख्वाब में हैं खुदी, दूजे मोहब्बत में जुदा हूँ,

आँखों में आँसू, दिल में दर्द छुपा बैठा हूँ।

अब तो इश्क़ और ज़िंदगी के बीच,

जैसे कवी की कलम और उसकी सियाही बन गया हूँ।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of दो नावों पर पैर रखना – Do naav par pair rakhna Idiom:

Every language has idioms that capture the uniqueness of that language. Hindi is no exception, and among its many idioms is the popular phrase “Do naavon par pair rakhna”.

Meaning: The idiom “Do naavon par pair rakhna” translates to doing or juggling two tasks or things simultaneously. Here, the words ‘boat’ (naav) and ‘foot’ (pair) are used symbolically to represent dividing one’s attention between two different things.

Usage:

-> Aman is balancing his job and studies, as if he is “keeping a foot in two boats”.

-> Parul seems to be juggling her job and household chores, indicating she’s “keeping a foot in two boats”.

Explanation: Just as it’s impossible for someone to place their feet on two boats at the same time, it’s challenging to focus on two different tasks simultaneously. The idiom is used in scenarios where an individual needs to allocate attention between two different tasks periodically.

Hopefully, you now have a better understanding of the meaning and usage of the idiom “Do naavon par pair rakhna”. Stay tuned to budhimaan.com for more insights into such idioms.

Story:

Ansh lived in a small village. He was a gifted student with dreams of becoming someone significant one day. However, Ansh had another talent; he was the village cricket champion.

One day, Ansh received an admission letter from a prestigious educational institution. It was a golden opportunity for him. But at the same time, he was selected for the village cricket team, which was participating in a major tournament that year.

Ansh was reluctant to give up on either of the two. He pondered how he could manage both his studies and cricket simultaneously. Even his friends joked that Ansh was “trying to keep a foot in two boats”.

But Ansh was determined. Viewing the challenge as an opportunity, he wisely managed his time. He dedicated the mornings to his studies and practiced cricket in the evenings.

Months later, when the time for the tournament arrived, Ansh led his team to victory. That same year, he also achieved excellent marks in his exams.

Ansh proved that “keeping a foot in two boats” is possible if you have perseverance in your efforts and struggles. He demonstrated that when you want to excel in two things, you need to smartly manage your time and resources.

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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