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दो कौड़ी की इज्जत अर्थ, प्रयोग(Do Kaudi ki izzat)

परिचय: “दो कौड़ी की इज्जत” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जो किसी की बहुत कम या नगण्य सम्मान की बात करता है। यह अक्सर उस स्थिति में प्रयोग होता है जब किसी व्यक्ति का सम्मान बहुत कम आंका जाता है।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि किसी की इज्जत इतनी कम है कि वह दो कौड़ी के बराबर भी नहीं है। यह अपमान या अवहेलना की भावना को व्यक्त करता है।

प्रयोग: यह मुहावरा अक्सर उन परिस्थितियों में इस्तेमाल होता है जहां किसी व्यक्ति का महत्व या सम्मान बहुत कम होता है। यह व्यक्ति की सामाजिक स्थिति या प्रतिष्ठा पर टिप्पणी करने के लिए प्रयोग होता है।

उदाहरण:

मान लीजिए, एक नेता जो कई बार अपने वादे तोड़ चुका है, उसके बारे में लोग कहते हैं कि उसकी तो “दो कौड़ी की इज्जत” भी नहीं है। यहां, यह मुहावरा नेता की गिरती हुई साख को दर्शाता है।

निष्कर्ष: “दो कौड़ी की इज्जत” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि इज्जत और सम्मान कमाने के लिए नैतिकता और विश्वास का होना जरूरी है। यह हमें याद दिलाता है कि समाज में सम्मान की कमी से व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ता है।

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दो कौड़ी की इज्जत मुहावरा पर कहानी:

विनीत एक छोटे गाँव का व्यापारी था। उसकी आदत थी बात-बात पर झूठ बोलने की, और वह अक्सर अपने ग्राहकों को धोखा देता था।

एक दिन, विनीत ने अपने एक ग्राहक को नकली सामान बेच दिया और उसे असली बताया। जब ग्राहक को इसका पता चला, तो उसने पूरे गाँव में यह बात फैला दी।

विनीत की इस हरकत के कारण गाँववालों में उसकी इज्जत घटने लगी। लोग कहने लगे कि विनीत की तो “दो कौड़ी की इज्जत” भी नहीं है। धीरे-धीरे, उसके पास ग्राहक आने बंद हो गए।

जब विनीत को अपनी गलतियों का एहसास हुआ, तो उसे अपने किए पर पश्चाताप हुआ। उसने गाँववालों से माफी मांगी और वादा किया कि आगे से वह कभी झूठ नहीं बोलेगा और धोखाधड़ी नहीं करेगा।

विनीत की इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि इज्जत और सम्मान कमाने के लिए ईमानदारी और सच्चाई जरूरी है। “दो कौड़ी की इज्जत” वाली स्थिति से बचने के लिए हमें हमेशा नैतिकता का पालन करना चाहिए।

शायरी:

दो कौड़ी की इज्जत पे, जब दुनिया हंसी उड़ाए,

झूठ के पैर नहीं होते, सच की राह पे चलना सिखाए।

इज्जत की बाज़ार में, जब ईमान बिकने लगे,

ज़मीर की आवाज़ में, खुदा भी रोने लगे।

झूठ की बुनियाद पे, जब इज्जत के महल खड़े होते,

वक्त की आंधी में, वो बिखर जाते, खुद से रोते।

दो कौड़ी की इज्जत में, जब इंसान खुद को खो बैठे,

सच की राह दिखाने, वक्त खुद दरवाज़ा खटखटाए।

इस शायरी के माध्यम से, “दो कौड़ी की इज्जत” की सीख बताई जाए,

जीवन में सच और इज्जत, दोनों का मान रखें, यही सबको सिखाया जाए।

 

दो कौड़ी की इज्जत शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of दो कौड़ी की इज्जत – Do Kaudi ki izzat Idiom:

Introduction: “Do Kaudi ki izzat” is a prevalent Hindi idiom that speaks of someone’s extremely low or negligible respect. It is often used in situations where a person’s honor is deemed very low.

Meaning: The literal meaning of this idiom is that someone’s honor is so low that it is not even worth two pennies. It expresses a sense of insult or neglect.

Usage: This idiom is commonly used in situations where a person’s importance or respect is very low. It is used to comment on a person’s social status or reputation.

Example:

For instance, about a politician who has broken his promises several times, people say that his honor is “worthless.” Here, the idiom illustrates the declining credibility of the politician.

Conclusion: The idiom “Do Kaudi ki izzat” teaches us that integrity and trust are necessary to earn respect and honor. It reminds us that a lack of respect in society adversely affects a person’s reputation.

Story of ‌‌Do Kaudi ki izzat Idiom in English:

Vineet was a merchant in a small village. He had a habit of lying frequently and often deceived his customers.

One day, Vineet sold fake goods to a customer, claiming they were genuine. When the customer found out, he spread the word throughout the village.

Due to this act, Vineet’s respect among the villagers began to decline. People started saying that Vineet’s honor was “worthless.” Gradually, customers stopped visiting his shop.

When Vineet realized his mistakes, he felt remorseful. He apologized to the villagers and promised that he would never lie or cheat again.

Vineet’s story teaches us that honesty and truthfulness are essential to earn respect and honor. To avoid a situation of “worthless honor,” we must always adhere to morality.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “दो कौड़ी की इज्जत” का उपयोग सामाजिक संदेश के लिए किया जा सकता है?

हां, इस मुहावरे का उपयोग सामाजिक समस्याओं पर संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

इस मुहावरे का प्रयोग किस संदर्भ में होता है?

यह मुहावरा आमतौर पर किसी व्यक्ति या वस्तु की अवमानना करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

क्या है “दो कौड़ी की इज्जत” का अर्थ?

दो कौड़ी की इज्जत का अर्थ है किसी चीज़ या किसी व्यक्ति की कमी को उजागर करना या उनकी महत्ता को कम करना।

क्या “दो कौड़ी की इज्जत” का उपयोग संवादों में होता है?

हां, यह मुहावरा संवादों में अक्सर उपयोग किया जाता है ताकि व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हो सके।

क्या इस मुहावरे का इतिहास है?

यह मुहावरा विभिन्न साहित्यिक और सामाजिक संदर्भों में प्राचीन समय से उपयोग में आया है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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