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दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली अर्थ, प्रयोग(Dilli ki darbari se apne gaon ki lambardari bhali)

“दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जो आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान की भावना को प्रकट करता है। इस पोस्ट में हम इस मुहावरे के परिचय, अर्थ, प्रयोग, उदाहरण और निष्कर्ष के बारे में जानेंगे।

परिचय: “दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली” मुहावरा अपनी छोटी लेकिन स्वतंत्र स्थिति को बड़ी पर निर्भर स्थिति पर वरीयता देने की भावना को व्यक्त करता है।

अर्थ: इस कहावत का मुख्य अर्थ यह है कि छोटे स्तर पर भी यदि स्वतंत्रता और सम्मान है, तो वह बड़े स्तर की नौकरी या पद से बेहतर है, जहाँ स्वतंत्रता और सम्मान की कमी हो।

प्रयोग: यह कहावत उन स्थितियों में प्रयोग की जाती है, जहाँ व्यक्ति को यह तय करना होता है कि बड़े स्तर पर अधीनता और अपमान सहन करें या छोटे स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा और स्वतंत्रता बनाए रखें।

उदाहरण:

-> सुभाष ने बड़ी कंपनी में नौकरी करने की बजाय अपना छोटा व्यवसाय शुरू किया, क्योंकि उसे लगा कि दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली।

-> अनीता ने सरकारी नौकरी की बजाय अपने गाँव में स्कूल खोलना बेहतर समझा, यह सोचकर कि दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली।

निष्कर्ष: इस कहावत के माध्यम से सिखाया जाता है कि बड़े पद या उच्च स्थान की चमक-दमक के पीछे दौड़ने की बजाय, अपने छोटे स्तर पर भी यदि हम स्वतंत्र और सम्मानित हैं, तो वह अधिक महत्वपूर्ण है। यह हमें यह भी सिखाता है कि अपने स्तर पर संतुष्ट रहना और अपनी पहचान को महत्व देना जीवन में सबसे बड़ी सफलता है।

Hindi Muhavare Quiz

दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे गाँव में अनुज नाम का एक युवक रहता था। अनुज बहुत ही मेहनती और उद्यमी था। उसके पास एक छोटा लेकिन फलता-फूलता खेत था, जिसे वह बड़े प्यार और लगन से संभालता था।

एक दिन, अनुज को दिल्ली से एक बड़ी कंपनी में उच्च पद की नौकरी का प्रस्ताव आया। यह नौकरी उसे समृद्धि और सामाजिक प्रतिष्ठा दिला सकती थी। परंतु इसके लिए उसे अपने गाँव और खेत को छोड़ना पड़ता।

अनुज ने इस पर बहुत विचार किया। उसने सोचा कि दिल्ली की नौकरी में वह भले ही अधिक पैसा और प्रतिष्ठा प्राप्त कर ले, लेकिन उसे अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का त्याग करना पड़ेगा। वह अपने खेत का मालिक था, जबकि दिल्ली में वह किसी और के आदेशों का पालन करने वाला एक कर्मचारी होता।

अंत में, अनुज ने नौकरी का प्रस्ताव ठुकरा दिया और अपने गाँव में रहकर अपने खेत को और भी विकसित करने का निर्णय लिया। उसे एहसास हुआ कि “दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली”।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का महत्व होता है। कभी-कभी छोटी लेकिन स्वतंत्र स्थिति बड़ी पर निर्भर स्थिति से कहीं अधिक संतोषजनक और सम्मानजनक होती है।

शायरी:

दिल्ली की दरबारी हो या गाँव की लम्बरदारी,

सच्चाई तो यह है, हर दिल में है खुद्दारी।

बड़े शहर की रौनक में, खो न जाए अपनी पहचान,

अपने गाँव की मिट्टी में, मिलती रूह को आराम।

ऊँची उड़ान भरना, ख्वाब हर दिल का होता है,

पर अपनी मिट्टी से जुड़े रहना, ये भी जरूरी होता है।

दरबारों की शोहरत में, अक्सर इंसान खो जाता है,

अपने गाँव की छाँव में, हर रिश्ता सोना हो जाता है।

चाहे दिल्ली हो या गाँव, दिल में बस यही बात रख,

खुदा ने जो भी दिया है, उसमें खुश रह, यही है सच्ची राहत।

 

दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली – Dilli ki darbari se apne gaon ki lambardari bhali Idiom:

“The idiom ‘दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली’ is a popular Hindi proverb that embodies the spirit of self-reliance and dignity. In this post, we will explore the introduction, meaning, usage, examples, and conclusion of this idiom.

Introduction: The proverb ‘दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली’ expresses the sentiment of preferring a smaller yet independent position over a larger but dependent one.

Meaning: The main meaning of this saying is that having freedom and respect at a smaller level is better than a high-profile job or position where there is a lack of freedom and respect.

Usage: This proverb is used in situations where a person has to decide whether to endure subordination and disrespect at a higher level or maintain their dignity and independence at a lower level.

Example:

-> Subhash chose to start his own small business rather than working in a big company, believing that being a local leader in his village is better than being a courtier in Delhi.

-> Anita preferred opening a school in her village over a government job, thinking that being a local leader in her village is better than being a courtier in Delhi.

Conclusion: This proverb teaches us that instead of chasing the glitz and glamour of high positions or status, it is more important to be independent and respected at our own level. It also imparts the lesson that being content and valuing our identity at our level is the greatest success in life.”

Story of ‌‌Dilli ki darbari se apne gaon ki lambardari bhali Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a young man named Anuj. Anuj was very hardworking and enterprising. He owned a small but flourishing farm, which he managed with great care and dedication.

One day, Anuj received a job offer from a large company in Delhi for a high-ranking position. This job could bring him wealth and social prestige. However, it required him to leave his village and farm behind.

Anuj pondered over this deeply. He thought that although the job in Delhi might offer him more money and prestige, he would have to sacrifice his freedom and self-reliance. He was his own boss on his farm, while in Delhi, he would be an employee following someone else’s orders.

In the end, Anuj declined the job offer and decided to stay in his village to further develop his farm. He realized that “being a local leader in his own village is better than being a courtier in Delhi.”

This story teaches us the importance of freedom and self-reliance. Sometimes, a smaller but independent position is far more satisfying and dignified than a larger, dependent one.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का उपयोग समाज में व्यापक है?

हां, यह मुहावरा समाज में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है क्योंकि व्यक्ति को अपनी रूचि, आदतें, और अपने संस्कृति के प्रति समर्पित रहने की महत्वाकांक्षा को बढ़ावा देता है।

इस मुहावरे का इस्तेमाल किस प्रकार किया जा सकता है?

यह मुहावरा किसी के विचारों, भाषा, या आचरण को समझाने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है, जब वह अपने मूल संस्कृति और मूल्यों को नकार नहीं रहा हो।

क्या मतलब है “दिल्ली की दरबारी से अपने गाँव की लम्बरदारी भली” का?

यह मुहावरा इस बात को दर्शाता है कि व्यक्ति अपने मूल स्थान को अपनाने और उस पर ध्यान देने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, भले ही वह किसी बड़े और समृद्ध शहर में रहता हो।

क्या इस मुहावरे का कोई अन्य अर्थ है?

इस मुहावरे का अन्य अर्थ है कि व्यक्ति को अपने मूल स्थान, अपनी जड़ों, और अपने परिवार को समझने और महत्व देने की आवश्यकता होती है, चाहे वह कहीं भी हो।

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?

हां, यह मुहावरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के साथ जुड़ा हो सकता है, जहां लोग अपनी गणेश संस्कृति को बचाने और प्रशंसित करने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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