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धोबी का कुत्ता घर का न घाट का मुहावरा, अर्थ, प्रयोग(Dhobi Ka Kutta Ghar Ka Na Ghat Ka)

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अर्थ: ‘धोबी का कुत्ता घर का न घाट का’ इस मुहावरे का अर्थ है कि किसी व्यक्ति का कहीं भी स्थायित्व नहीं होना। जब कोई व्यक्ति दोनों पक्षों में फंस जाए और उसका किसी भी जगह स्वीकार न हो, तो इसे कहा जाता है।

प्रयोग: जब किसी व्यक्ति को लगे कि वह किसी भी स्थल पर स्वीकार नहीं हो रहा है या वह दोनों स्थलों में अस्थायी है, तो इस मुहावरे का प्रयोग होता है।

उदाहरण: राम अपनी कंपनी में भी पूरी तरह से समझा नहीं जा रहा था और उसके मित्र भी उसे अब पूराने जैसा महसूस नहीं कर रहे थे। उसका एक साथी ने कहा, “तुम तो ‘धोबी का कुत्ता घर का न घाट का’ हो गए हो।”

विशेष टिप्पणी: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा अपनी पहचान और स्थान को समझना चाहिए। अगर हम कहीं भी स्थायित्व नहीं बना पा रहे हैं, तो हमें अपनी स्थिति पर विचार करना चाहिए।

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का मुहावरा पर कहानी:

राज एक बड़ी कंपनी में काम करता था। वह अपने काम में बहुत ही मेहनती था, लेकिन वह हमेशा अपने टीम के बीच और उसके प्रमुख के बीच में फंस जाता था। टीम चाहती थी कि राज उनके साथ ज्यादा समय बिताए और प्रमुख चाहते थे कि वह उनके निर्देशों का पालन करे।

एक दिन, टीम ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसे प्रमुख ने खारिज कर दिया। राज टीम के साथ था, लेकिन जब प्रमुख ने उससे उस प्रस्ताव के खिलाफ जानकारी मांगी, तो वह चुप रह गया। टीम उसे दोषी मानने लगी क्योंकि वह उनका समर्थन नहीं कर पाया और प्रमुख भी उससे नाराज थे क्योंकि वह उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रहा था।

राज को समझ में आया कि वह दोनों जगहों पर अस्थायी हो गया है। उसका एक मित्र ने उसे समझाया, “तुम जैसे ‘धोबी का कुत्ता घर का न घाट का’ हो गए हो।” राज ने इसे समझा और फैसला किया कि वह अपनी स्थिति को स्पष्ट करेगा और जहां उसका मान-सम्मान हो, वहीं रहेगा।

शायरी:

धोबी के कुत्ते की तरह फंसा हूँ मैं यहाँ,

घर का भी नहीं, घाट का भी नहीं जहाँ।

दो दुनियाओं के बीच में बसा हूँ,

न तो इसका, न तो उसका, अजनबी सा चला।

जिसे ढूंढता था अपना मान,

वही बन गया ‘धोबी का कुत्ता’, अजनबी जहाँ।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of धोबी का कुत्ता घर का न घाट का – Dhobi Ka Kutta Ghar Ka Na Ghat Ka Proverb:

Meaning: The proverb ‘Dhobi ka kutta, ghar ka na ghaat ka’ translates to “Dhobi’s dog, neither of the home nor of the ghat.” It signifies a person who doesn’t belong anywhere or feels out of place in multiple situations. When someone is caught between two sides and doesn’t find acceptance in either, this phrase is used.

Usage: This proverb is used when someone feels they are not being fully understood or accepted in any particular place or situation, or when they feel transient between two places.

Example: Ram wasn’t fully understood in his company, and even his friends didn’t feel the same about him anymore. One of his colleagues remarked, “You have become like the ‘Dhobi’s dog, neither of the home nor of the ghat.'”

Special Note: This proverb teaches us that we should always understand our identity and place. If we are unable to establish our presence anywhere, we should reflect on our situation.

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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