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ढपोरशंख होना अर्थ, प्रयोग(Dhaporshankh hona)

परिचय: “ढपोरशंख होना” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है, जो अक्सर उन व्यक्तियों या स्थितियों के लिए प्रयोग किया जाता है जहां बाहरी दिखावा और भीतरी खोखलेपन का अंतर होता है। इस मुहावरे का उपयोग दिखावटी और आडंबरपूर्ण आचरण को दर्शाने के लिए किया जाता है।

अर्थ: “ढपोरशंख होना” का अर्थ है बाहर से बड़ा और प्रभावशाली दिखाई देना, परंतु असल में खोखला या निरर्थक होना। यह मुहावरा उन लोगों या चीजों पर लागू होता है जो दिखने में तो बड़े और महत्वपूर्ण लगते हैं, पर वास्तव में उनमें कोई सार नहीं होता।

प्रयोग: यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी व्यक्ति या चीज की असली गुणवत्ता या महत्व का मूल्यांकन करना होता है और यह दर्शाना होता है कि वह वास्तव में उतना प्रभावशाली नहीं है जितना वह दिखाई देता है।

उदाहरण:

-> उस कंपनी के उत्पाद बाहर से तो बहुत आकर्षक लगते हैं, पर वास्तव में वे ढपोरशंख होते हैं।

-> वह नेता भाषण में तो बहुत कुछ कहता है, परंतु उसके वादे ढपोरशंख होते हैं।

निष्कर्ष: “ढपोरशंख होना” मुहावरे के माध्यम से हमें यह सिख मिलती है कि बाहरी आवरण और वास्तविकता में बहुत अंतर हो सकता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें चीजों को उनके दिखावटी पहलुओं के आधार पर नहीं, बल्कि उनकी असली गुणवत्ता और महत्व के आधार पर आंकना चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

ढपोरशंख होना मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक व्यापारी रहता था, जिसका नाम था प्रेमचंद्र। प्रेमचंद्र अपने आप को बहुत ही धनी और प्रभावशाली बताता था। उसके पास बड़ा-सा घर था, महंगी गाड़ियां थीं और वह हमेशा महंगे कपड़े पहनता था। गाँववाले उसे देखकर अक्सर प्रभावित होते थे।

लेकिन असलियत में प्रेमचंद्र की स्थिति कुछ और ही थी। उसका धंधा अच्छा नहीं चल रहा था, और वह अपनी झूठी शान दिखाने के लिए कर्ज में डूबा हुआ था। उसका बड़ा घर और महंगी गाड़ियां सब दिखावे के लिए थे, और वास्तव में वह बहुत परेशान और गरीब था।

एक दिन, गाँव में एक बड़ा संकट आया। गाँववालों को धन की जरूरत पड़ी, और सभी की नजरें प्रेमचंद्र पर थीं, सोचकर कि वह उनकी मदद करेगा। लेकिन जब गाँववाले उसके पास पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि प्रेमचंद्र के पास वास्तव में कुछ भी नहीं है। उसकी सारी दौलत और शान ढपोरशंख थी।

गाँववालों को समझ आया कि असली समृद्धि दिखावट में नहीं, बल्कि व्यक्ति के चरित्र और कार्यों में होती है। प्रेमचंद्र ने भी इस घटना से सीख ली और फिर से ईमानदारी और सच्चाई के साथ अपना जीवन जीने का प्रण लिया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दिखावटी और आडंबरपूर्ण आचरण वास्तविक सामर्थ्य और महत्व का विकल्प नहीं हो सकता। “ढपोरशंख होना” से हमें यह समझने का संदेश मिलता है कि वास्तविकता और दिखावे में अंतर होता है।

शायरी:

बाहर से जो चमकता है, अक्सर वो ढपोरशंख होता है,

दिखावे की इस दुनिया में, हर चेहरा अनजान होता है।

दिलों में छुपे राज को, कौन जान पाता है यहाँ,

बाहरी आवरण में, हर कोई महान होता है।

जीवन की इस राह में, जो दिखता है वो सच नहीं होता,

ढपोरशंख बनकर, हर किसी का अंतर्मन रोता।

दिखावे की इस बाजार में, सच्चाई का क्या काम,

जहाँ देखो वहाँ, हर इंसान एक आभासी ख्वाब होता।

असली पहचान वही, जो अंदर से भी सच्चा होता,

ढपोरशंख की इस दुनिया में, ऐसा इंसान दुर्लभ होता।

जीवन के इस मंच पर, हर कोई अभिनेता,

पर असली हीरा वही, जो बिना दिखावे का सच्चा होता।

 

ढपोरशंख होना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of ढपोरशंख होना – Dhaporshankh hona Idiom:

Introduction: “ढपोरशंख होना” is a popular Hindi idiom, often used for individuals or situations where there is a difference between outer appearance and inner hollowness. This idiom is used to denote pretentious and ostentatious behavior.

Meaning: “ढपोरशंख होना” means to appear grand and impressive from the outside but actually being hollow or meaningless. This idiom applies to those people or things that seem significant and important in appearance but lack substance in reality.

Usage: This idiom is used when assessing the real quality or importance of a person or thing and to show that they are not as impressive as they appear to be.

Example:

-> The products of that company look very attractive from the outside, but in reality, they are just superficial.

-> That leader says a lot in his speeches, but his promises turn out to be empty.

Conclusion: The idiom “ढपोरशंख होना” teaches us that there can be a significant difference between external appearance and reality. It also instructs us to judge things not based on their superficial aspects but on their actual quality and importance.

Story of ‌‌Dhaporshankh hona Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a trader named Premchandra. Premchandra portrayed himself as very wealthy and influential. He had a large house, expensive cars, and always wore costly clothes. The villagers were often impressed by him.

However, the reality of Premchandra’s situation was quite different. His business was not doing well, and he was drowned in debt trying to maintain his false image. His big house and expensive cars were all for show, and in reality, he was very troubled and poor.

One day, a major crisis hit the village. The villagers needed money, and everyone looked towards Premchandra, thinking he would help. But when the villagers approached him, they discovered that Premchandra actually had nothing. All his wealth and grandeur were just a facade.

The villagers realized that real wealth is not in appearances, but in a person’s character and actions. Premchandra also learned from this incident and vowed to live his life with honesty and truth.

This story teaches us that pretentious and ostentatious behavior cannot substitute for real strength and significance. “ढपोरशंख होना” (being superficial) teaches us the lesson that there is a difference between reality and appearance.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “ढपोरशंख होना” का कोई संज्ञानात्मक प्रयोग है?

हां, यह मुहावरा व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार को व्यक्त करने के लिए संज्ञानात्मक प्रयोग किया जा सकता है।

इस मुहावरे का उपयोग किस संदर्भ में होता है?

यह मुहावरा व्यक्तिगत या सामाजिक स्थितियों में व्यर्थ या बेमौजूदा चीज़ के बारे में बात करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

क्या है मुहावरा “ढपोरशंख होना” का अर्थ?

अर्थ: “ढपोरशंख होना” का अर्थ होता है किसी चीज़ का अनावश्यक या बेमौजूदा होना या व्यर्थ खर्च होना।

इस मुहावरे का उत्पत्ति कैसे हुआ?

ढपोरशंख होना” शब्द का उत्पत्ति संभवतः संगीतिक संस्कृति से हुआ है, जहां ढपोर शंख का अर्थ होता है जो बजाया जाने वाला शंख होता है, जो अवश्यंभावी और व्यर्थ होता है।

क्या “ढपोरशंख होना” का विरोधी मुहावरा है?

हां, “ढपोरशंख होना” का विरोधी मुहावरा है “प्रिय मुहावरा होना”।

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