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धज्जियां उड़ाना अर्थ, प्रयोग (Dhajjiyan udana)

परिचय: हिंदी मुहावरे “धज्जियां उड़ाना” का प्रयोग अक्सर उस स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है जहाँ किसी चीज़ का बहुत बुरा हाल कर दिया गया हो। यह मुहावरा तब इस्तेमाल होता है जब किसी व्यक्ति या वस्तु की बहुत बुरी तरह से आलोचना की जाती है या इसे बहुत बुरी तरह से नष्ट कर दिया जाता है।

अर्थ: “धज्जियां उड़ाना” मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है – किसी चीज की धज्जियां उड़ाना यानी उसे टुकड़े-टुकड़े कर देना। लेकिन लाक्षणिक रूप से, यह अभिव्यक्ति उस स्थिति को दर्शाती है जहां किसी व्यक्ति, नीति, योजना आदि की बहुत बुरी तरह से आलोचना की जाती है या इसे बहुत ही बुरी तरह से खारिज कर दिया जाता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का इस्तेमाल तब होता है जब किसी को बहुत बुरी तरह से हराना या आलोचना करना हो। इसका प्रयोग साहित्य, बोलचाल, और वाद-विवाद में किया जाता है।

उदाहरण:

-> चुनावी बहस में एक पार्टी ने दूसरी पार्टी की नीतियों की धज्जियां उड़ा दी।

-> समीक्षा में फिल्म की इतनी आलोचना की गई कि कह सकते हैं फिल्म की धज्जियां उड़ा दी गई।

निष्कर्ष: “धज्जियां उड़ाना” मुहावरे का उपयोग उस समय किया जाता है जब किसी व्यक्ति, विचार, नीति या वस्तु की बहुत बुरी तरह से आलोचना की जाती है। यह मुहावरा हमें यह भी दर्शाता है कि किस तरह से कठोर शब्दों का प्रयोग किसी चीज की सार्थकता को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है।

Hindi Muhavare Quiz

धज्जियां उड़ाना मुहावरा पर कहानी:

एक गाँव में सुरेंद्र और सुभाष नाम के दो व्यापारी रहते थे। दोनों अपने-अपने कारोबार में काफी सफल थे और गाँव के लोग उनकी प्रतिष्ठा की प्रशंसा करते थे। लेकिन एक दिन उनके बीच एक गहरा विवाद उत्पन्न हो गया।

सुरेंद्र ने एक नई दुकान खोली थी और उसके उद्घाटन पर सुभाष को नहीं बुलाया। इससे सुभाष को बहुत बुरा लगा और वह सुरेंद्र से नाराज हो गया। सुभाष ने गुस्से में आकर गाँव भर में सुरेंद्र के कारोबार की धज्जियां उड़ाना शुरू कर दिया। उसने लोगों से कहा कि सुरेंद्र का माल घटिया है और उसके कारोबारी तरीके अनैतिक हैं।

सुरेंद्र को जब इस बात का पता चला, तो वह बहुत दुखी हुआ। उसने सुभाष से समझाने की कोशिश की कि उसका उद्घाटन छोटा और निजी था, इसलिए उसने कम लोगों को ही बुलाया था। लेकिन सुभाष का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ और वह सुरेंद्र की आलोचना करता रहा।

अंत में, गाँव के बुजुर्गों ने दोनों को समझाया कि उनके इस विवाद से दोनों के कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा है। दोनों ने अपने मतभेद सुलझाए और फिर से दोस्त बन गए।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि “धज्जियां उड़ाना” का अर्थ होता है किसी की या किसी चीज की बेहद बुरी तरह से आलोचना करना। यह मुहावरा यह भी दर्शाता है कि आलोचना और गुस्से के आवेश में अक्सर व्यक्ति अथवा चीज का मूल्य खो देते हैं।

शायरी:

धज्जियां उड़ाते हैं लोग, जब मन में गुस्सा होता है,

कह देते हैं वो बातें, जो दिल को तकलीफ देता है।

गुस्से की आग में, अक्सर सच्चाई जल जाती है,

धज्जियां उड़ाने में, कई बार इंसानियत खो जाती है।

लफ्ज़ों के तीर से, दिलों को घायल कर दिया करते हैं,

धज्जियां उड़ाकर, अपने ही ख्वाबों का कत्ल करते हैं।

बातों का जहर, जब जुबान पर आ जाता है,

धज्जियां उड़ाने वाला, खुद ही राख हो जाता है।

लेकिन याद रखना, जब गुस्सा दिल पर छा जाए,

धज्जियां नहीं, प्यार की बातों को फैलाए।

 

धज्जियां उड़ाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of धज्जियां उड़ाना – Dhajjiyan udana Idiom:

Introduction: The Hindi idiom “धज्जियां उड़ाना” is often used to describe a situation where something is severely damaged or destroyed. This phrase is employed when a person or object is harshly criticized or completely ruined.

Meaning: The literal meaning of “धज्जियां उड़ाना” is to tear something into pieces. Figuratively, it represents a situation where a person, policy, plan, etc., is severely criticized or utterly dismissed.

Usage: This idiom is used when someone is severely defeated or criticized. It is commonly used in literature, everyday speech, and debates.

Example:

-> In a political debate, one party completely tore apart the policies of the other party.

-> The film was so heavily criticized in the review that it can be said its reputation was completely destroyed.

Conclusion: The use of the idiom “धज्जियां उड़ाना” occurs when a person, idea, policy, or object is subjected to severe criticism. This idiom also illustrates how the use of harsh words can completely undermine the value of something.

Story of ‌‌Dhajjiyan udana Idiom in English:

In a village, there lived two merchants named Surendra and Subhash. Both were quite successful in their respective businesses, and the villagers admired their reputation. However, one day, a deep dispute arose between them.

Surendra had opened a new shop and did not invite Subhash to its inauguration. This deeply upset Subhash, and he became angry with Surendra. In his anger, Subhash started badmouthing Surendra’s business throughout the village. He told people that Surendra’s goods were of poor quality and his business practices were unethical.

When Surendra learned about this, he was very saddened. He tried to explain to Subhash that his inauguration was a small and private affair, so he had invited only a few people. However, Subhash’s anger did not subside, and he continued to criticize Surendra.

Eventually, the village elders intervened and explained to both that their dispute was adversely affecting their businesses. Both resolved their differences and became friends again.

This story teaches us that “धज्जियां उड़ाना” means to criticize someone or something very harshly. The idiom also shows that in the heat of criticism and anger, the value of a person or thing is often lost.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

“धज्जियां उड़ाना” मुहावरे का केवल नकारात्मक अर्थ होता है?

हाँ, आमतौर पर इस मुहावरे का प्रयोग नकारात्मक संदर्भ में ही किया जाता है।

“धज्जियां उड़ाना” मुहावरे का कोई विलोम (विपरीत) शब्द है?

“प्रशंसा करना” या “समर्थन करना” इस मुहावरे के विपरीत अर्थ वाले शब्द हो सकते हैं।

“धज्जियां उड़ाना” मुहावरे का समानार्थी (समान अर्थ वाला) मुहावरा क्या हो सकता है?

“खाक में मिला देना” इसका एक समानार्थी मुहावरा हो सकता है।

इस मुहावरे की उत्पत्ति कैसे हुई?

इस मुहावरे की उत्पत्ति का सटीक इतिहास ज्ञात नहीं है, पर यह पुराने समय से हिन्दी भाषा में प्रचलित है, जहाँ धज्जियां शब्द का प्रयोग किसी चीज़ के टुकड़े-टुकड़े हो जाने के लिए किया जाता था।

“धज्जियां उड़ाना” मुहावरे का प्रयोग किन-किन विधाओं में होता है?

इस मुहावरे का प्रयोग साहित्य, नाटक, फिल्मों की समीक्षा, दैनिक बोलचाल, और राजनीतिक आलोचना जैसी विभिन्न विधाओं में होता है।

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