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दीवारों के कान होना मुहावरा, अर्थ, प्रयोग(Deewaron ke Kaan Hona)

अर्थ: दीवारों के कान होना, इस मुहावरे का अर्थ है कि किसी भी स्थान पर चुपचाप बातें करते समय सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि आपकी बातें किसी तीसरे व्यक्ति तक पहुंच सकती हैं। यहाँ ‘दीवार’ का उल्लेख केवल प्रतीकात्मक है और इसका संकेत है कि कहीं ना कहीं कोई सुन रहा हो सकता है।

प्रयोग: अगर दो लोग किसी गुप्त या संविधानिक बात की चर्चा कर रहे हों और तीसरा व्यक्ति उन्हें सतर्क करना चाहे कि वे बाहरी जगह पर ऐसी बातें न करें, तो वह व्यक्ति कह सकता है: “ध्यान दो, दीवारों के भी कान होते हैं।”

उदाहरण: राज और सुरेश अपने बिजनेस की कुछ गुप्त योजनाओं की चर्चा कर रहे थे। अचानक सुरेश ने कहा, “ध्यान दो, दीवारों के भी कान होते हैं।” इससे राज समझ गया कि वह जगह सुरक्षित नहीं है और वे अपनी चर्चा को वहाँ बंद कर दिया।

विशेष टिप्पणी: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और अपनी बातों का चयन करते समय सोच-समझकर बोलना चाहिए, खासकर जब हम किसी जगह पर हों जहाँ हमें लगे कि हमारी बातें सुनी जा सकती हैं।

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दीवारों के कान होना मुहावरा पर कहानी:

रामनाथ और विजय दोनों बड़े अच्छे दोस्त थे। दोनों ने मिलकर एक नई तकनीकी परियोजना पर काम शुरू किया था, जिसे वे बाजार में लाने के लिए तैयार कर रहे थे। यह परियोजना उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण थी और वे चाहते थे कि इसकी जानकारी किसी को भी न हो।

एक दिन, वे एक कॉफी शॉप में बैठे थे और अपनी परियोजना की विस्तार से चर्चा कर रहे थे। वे इतने उत्साहित थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके बगल वाली मेज पर एक आदमी बैठा है जो उनकी हर बात को ध्यान से सुन रहा था।

जब वे चर्चा करते हुए उत्साहित हो रहे थे, तभी एक औरत जो उन्हें जानती थी, पास से गुजरी और उनसे मिलने आई। उसने ध्यान से उनकी बातों को सुना और फिर धीरे से रामनाथ के कान में भूंभूंया, “सावधान रहो, दीवारों के भी कान होते हैं।”

रामनाथ और विजय तुरंत चौंके और उन्होंने अपनी चर्चा को वहीं पर रोक दिया। उन्हें समझ में आ गया कि वे जिस जगह पर बैठे थे, वह सुरक्षित नहीं थी और उनकी बातों को कोई भी सुन सकता था।

इस घटना से वे दोनों सिखे कि किसी भी स्थान पर अपनी गुप्त बातों की चर्चा करते समय सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि “दीवारों के भी कान होते हैं।”

शायरी:

“दीवारों के भी होते हैं कान यहाँ, बातों की चुप्प से भी बजता है धनुष।

जिसे समझे तुम अपना राज़दार, वह भी हो सकता है गवाह अनजान।”

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of दीवारों के कान होना – Deewaron ke Kaan Hona Proverb:

Meaning: The proverb “Deewaron ke Kaan Hona” implies that one should be cautious when speaking in any location, as what you say might be overheard by someone else. Here, the reference to ‘walls’ is symbolic, indicating that someone might be listening from anywhere.

Usage: If two people are discussing something confidential or sensitive and a third person wants to caution them against discussing such matters in a public place, they might say: “Be careful, walls have ears.”

Example: Raj and Suresh were discussing some confidential business plans. Suddenly, Suresh said, “Be careful, walls have ears.” Raj understood that the place wasn’t secure, and they stopped their conversation.

Special Note: This proverb teaches us to always be vigilant and to think before we speak, especially when we are in a place where our conversations might be overheard.

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQ

क्या यह मुहावरा दिनचर्या बातचीत में आम तौर पर प्रयुक्त होता है?

हां, यह हिंदी में एक फिरंगी मुहावरा है और विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग किया जाता है ताकि किसी को व्यक्तिगत बातचीत पर जाने बिना सुन रहे होता है।

क्या इस मुहावरे का सकारात्मक अर्थ हो सकता है?

नहीं, यह मुहावरा आमतौर पर नकारात्मक अर्थ रखता है क्योंकि इससे किसी को बिना अनुमति के व्यक्तिगत बातचीत में हस्तक्षेप करने का संकेत दिया जाता है।

क्या आप इस मुहावरे का व्यापारिक परिसर में एक स्थिति का वर्णन करने के लिए उपयोग कर सकते हैं?

हां, आप इसे व्यापारिक संदर्भ में भी प्रयुक्त कर सकते हैं, जैसे “उसके बारे में कुछ भी बोलो, ये दीवारों के कान होती हैं।”

क्या इस मुहावरे का सीधा रूप से किसी को निशाना बनाना अशिष्ट होता है?

इसे सीधे तौर पर किसी को छुपकर सुन रहे होने का आरोप लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो यह अशिष्ट या अपमानात्मक हो सकता है। आमतौर पर, इसे एक विशिष्ट व्यक्ति का दोषारोपण करने के लिए नहीं इस्तेमाल किया जाता है।

क्या इस मुहावरे के साथ कोई सांस्कृतिक बारीकियाँ जुड़ी हैं?

इस मुहावरे को हिंदी बोलने वाले विभिन्न क्षेत्रों में समझा जाता है और इसमें कोई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक बारीकियाँ नहीं है। हालांकि, किसी को आपत्ति नहीं उत्तेजना और उन्हें नहीं बुराई पहुँचाने के लिए इस्तेमाल करने से बचाव करने के लिए इसे विवेकपूर्णता से इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण है।

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