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दीन दुनिया दोनों से जाना अर्थ, प्रयोग(Deen duniya dono se jana)

परिचय: “दीन दुनिया दोनों से जाना” मुहावरा अक्सर उस स्थिति को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों ही पहलुओं से कट जाता है या उनसे विमुख हो जाता है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि कोई व्यक्ति न तो समाजिक जीवन में और न ही धार्मिक या आध्यात्मिक जीवन में संलग्न है। यह व्यक्ति की संपूर्ण विमुखता को दर्शाता है।

प्रयोग: यह मुहावरा उन व्यक्तियों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है जो समाज से और अपने धार्मिक या आध्यात्मिक जीवन से भी कट चुके हों।

उदाहरण:

-> मुनीश अपने व्यसनों में इतना खो गया कि वह दीन दुनिया दोनों से जाना हो गया।

-> उस व्यापारी की अत्यधिक लालच ने उसे दीन दुनिया दोनों से जाना बना दिया।

निष्कर्ष: “दीन दुनिया दोनों से जाना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि जीवन में संतुलन महत्वपूर्ण है। यह केवल धार्मिक या सामाजिक जीवन में ही नहीं, बल्कि समग्र जीवन में संतुलन और संलग्नता की आवश्यकता पर बल देता है। इस मुहावरे के माध्यम से हमें जीवन में समरसता और सामंजस्य बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है।

Hindi Muhavare Quiz

दीन दुनिया दोनों से जाना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अभय नाम का एक युवक रहता था। अभय की जिंदगी सामान्य थी, वह अपने परिवार और गाँव के लोगों के साथ खुशी-खुशी रहता था। वह गाँव के मंदिर में भी नियमित रूप से जाता था और सभी धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेता था।

लेकिन एक दिन, अभय को शहर में एक बड़ी नौकरी का अवसर मिला। उसने शहर जाने का निर्णय लिया और धीरे-धीरे वह अपने गाँव और परिवार से दूर होता गया। शहरी जीवन की भाग-दौड़ में उसने अपने धार्मिक जीवन को भी नजरअंदाज कर दिया।

अभय ने धन कमाने के लिए अपनी दीन और दुनिया दोनों को भूला दिया। वह न तो अपने परिवार की चिंता करता और न ही अपने आध्यात्मिक जीवन की। उसकी इस विमुखता को देखकर, गाँव वाले कहने लगे कि अभय “दीन दुनिया दोनों से जाना” हो गया है।

इस तरह, अभय ने समझा कि धन कमाने की इस अंधी दौड़ में उसने अपने जीवन के सच्चे मूल्यों को खो दिया है। उसने अपने गाँव लौटने और अपने परिवार व धार्मिक जीवन के प्रति समर्पित होने का निर्णय लिया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में संतुलन बनाना और अपनी दीन और दुनिया दोनों के प्रति सजग रहना कितना आवश्यक है। “दीन दुनिया दोनों से जाना” मुहावरा हमें इसी संतुलन की महत्ता की ओर संकेत करता है।

शायरी:

दीन दुनिया से जो चला गया, बन गया एक परवाना,

खो गया जो खुद में, बना रहस्य का अफसाना।

वो जो भूला दीन दुनिया, भूला अपना ठिकाना,

ढूँढता रहा खुद को, हर गली हर फसाना।

दीन दुनिया की राह में, जो खो गया अपना निशान,

वो भटका राही बना, ढूँढता अपनी पहचान।

हर राह पर चला गया, जो दुनिया से था अनजान,

दीन दुनिया दोनों से गया, बना एक अकेला इंसान।

खो दिया जो दीन दुनिया, बना राहों का मुसाफिर,

जीवन के सफर में वो, बना खुद से ही अक्सर।

 

दीन दुनिया दोनों से जाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of दीन दुनिया दोनों से जाना – Deen duniya dono se jana Idiom:

“दीन दुनिया दोनों से जाना” is a well-known Hindi idiom. This post will discuss its introduction, meaning, usage, examples, and conclusion.

Introduction: The idiom “दीन दुनिया दोनों से जाना” is often used to describe a situation where a person becomes disconnected from both social and spiritual aspects of life.

Meaning: The phrase means that a person is neither engaged in social life nor in religious or spiritual life. It signifies a person’s complete detachment from both aspects.

Usage: This idiom is used in the context of individuals who have become disconnected from both their social surroundings and their religious or spiritual life.

Example:

-> Munish got so lost in his vices that he became disconnected from both his social and spiritual world.

-> The excessive greed of that businessman made him disconnected from both his social and spiritual life.

Conclusion: The idiom “दीन दुनिया दोनों से जाना” teaches us the importance of balance in life. It emphasizes the need for engagement and balance not only in religious or social life but in life as a whole. This phrase inspires us to maintain harmony and balance in life.

Story of ‌‌Deen duniya dono se jana Idiom in English:

In a small village, there lived a young man named Abhay. Abhay’s life was normal; he lived happily with his family and the people of the village. He also regularly visited the village temple and participated in all religious ceremonies.

However, one day, Abhay got an opportunity for a big job in the city. He decided to move to the city, and gradually, he became distant from his village and family. Caught up in the hustle of city life, he also neglected his religious life.

Abhay forgot both his spiritual and worldly responsibilities in the pursuit of earning money. He neither cared for his family nor for his spiritual life. Seeing his detachment, the villagers began to say that Abhay had become disconnected from both his spiritual and social world.

Thus, Abhay realized that in the blind race to earn money, he had lost the true values of his life. He decided to return to his village and dedicate himself to his family and religious life.

This story teaches us the importance of maintaining balance in life and being vigilant about both our spiritual and social responsibilities. The idiom “दीन दुनिया दोनों से जाना” highlights the importance of this balance.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस मुहावरे का उपयोग किसी वाक्य में कैसे किया जा सकता है?

एक वाक्य में इस मुहावरे का उपयोग करके आप अपने सामाजिक और धार्मिक कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार का महत्व बता सकते हैं।

इस मुहावरे का क्या महत्व है?

यह मुहावरा व्यक्ति को धार्मिक और सामाजिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने की महत्वपूर्णता को उजागर करता है।

इस मुहावरे का उपयोग किस संदर्भ में किया जाता है?

इस मुहावरे का उपयोग सामान्यत: धार्मिक और लोकप्रिय संदर्भों में किया जाता है, जैसे कि एक व्यक्ति को धार्मिक और सामाजिक दायित्वों का पालन करने की सलाह देने के लिए।

यह मुहावरा किस प्रकार का होता है?

“दीन दुनिया दोनों से जाना” एक अरबी मुहावरा है, जिसका हिंदी में अनुवाद “धर्म और दुनिया, दोनों से जाना” होता है।

क्या होता है मुहावरा “दीन दुनिया दोनों से जाना”?

“दीन दुनिया दोनों से जाना” एक हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ होता है कि धर्म और दुनिया, दोनों को बढ़ावा देना।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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