“दीन-दुनिया भूल जाना” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “सब कुछ भूल जाना” या “संसार से बेखबर हो जाना।” इसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां कोई व्यक्ति अपने आसपास की चीजों से इतना अनजान या बेखबर हो जाता है कि उसे दुनिया की किसी भी चीज की चिंता नहीं रहती।
परिचय: “दीन-दुनिया भूल जाना” मुहावरा भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है। यह मुहावरा विशेष रूप से उस स्थिति का वर्णन करता है जहां व्यक्ति किसी विशेष कार्य या विचार में इतना लीन हो जाता है कि उसे अपने आस-पास की दुनिया का भान ही नहीं रहता।
अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है अपने आसपास की दुनिया और जिम्मेदारियों को पूरी तरह से भूल जाना। इसका अक्सर प्रयोग तब किया जाता है जब किसी का ध्यान किसी खास चीज में इस कदर डूब जाता है कि वह अन्य महत्वपूर्ण बातों को नजरअंदाज कर देता है।
प्रयोग: यह मुहावरा विभिन्न संदर्भों में प्रयोग किया जा सकता है, जैसे किसी की गहरी सोच में डूबे होने, किसी काम में इतना व्यस्त होने या फिर किसी भावना या आनंद में खो जाने पर।
उदाहरण:
-> अमन अपने पुस्तकों में इतना खो गया कि उसे खाने का भी होश नहीं रहा, वह सच में दीन-दुनिया भूल गया।
-> विनीता की धुन में मीरा इस कदर खो गई कि उसे रात के बारह बजने का भी पता नहीं चला, वह दीन-दुनिया भूल गई थी।
निष्कर्ष: “दीन-दुनिया भूल जाना” मुहावरा भावनात्मक रूप से समृद्ध है और यह दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति किसी विशेष कार्य या विचार में इतना लीन हो सकता है कि उसे अपने आसपास की चीजों का भान ही नहीं रहता। यह मुहावरा हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने आसपास की दुनिया के प्रति सजग रहना चाहिए, भले ही हम किसी भी कार्य में कितने भी व्यस्त क्यों न हों।
दीन-दुनिया भूल जाना मुहावरा पर कहानी:
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में नियांत नाम का एक लड़का रहता था। नियांत को पढ़ाई का बहुत शौक था। वह हमेशा अपनी किताबों में इतना खोया रहता कि उसे अपने आसपास की दुनिया का कोई होश नहीं रहता था।
एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। सभी गाँववाले मेले में जाने के लिए उत्साहित थे। नियांत के माता-पिता भी चाहते थे कि नियांत मेले में आए और थोड़ा मनोरंजन करे। परंतु नियांत को तो बस अपनी किताबों से मतलब था। वह अपनी किताबों में इतना खो गया कि उसे मेले की भनक तक नहीं लगी।
शाम को जब सभी गाँववाले मेले से लौटे, तो उन्होंने देखा कि नियांत अभी भी अपनी किताबों में खोया हुआ है। उसे न तो भूख लगी, न प्यास, और न ही उसे मेले का कोई ख्याल रहा। सभी ने देखा कि नियांत ने सच में दीन-दुनिया भूल गया था।
इस घटना से गाँववालों ने सीखा कि किसी भी चीज में इतना खो जाना कि दुनिया से बेखबर हो जाना, ठीक नहीं होता। वे सब नियांत की इस आदत से हैरान थे, लेकिन उसके ज्ञान और समर्पण की भी प्रशंसा करते थे।
इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपनी रुचियों में इतना नहीं खो जाना चाहिए कि हम अपने आसपास की दुनिया और जिम्मेदारियों को भूल जाएँ। “दीन-दुनिया भूल जाना” मुहावरा इसी भावना को दर्शाता है।
शायरी:
किताबों में खोया जब से हूँ, दीन-दुनिया भूल गया हूँ,
हर लफ्ज़ में उलझा हुआ, अपने आपको खोज रहा हूँ।
वक्त की रफ्तार से अंजान, घड़ी की सुई से दूर,
हर ख्वाब अधूरा सा लगे, जब तक किताब न हो पूर।
दुनिया की रंगीनियाँ, अब मुझे बेगानी लगती हैं,
किताबों के सफहे ही, मेरी दुनिया बनती हैं।
इश्क़ में भी खो जाना, किसी ख्वाब से कम नहीं,
पर किताबों का इश्क़, मुझे रहत से भी गहरा लगता है।
लोग कहते हैं ज़िन्दगी, बस एक खुली किताब है,
मैंने सोचा इसमें खो जाऊँ, तो शायद राहत भी पाऊँ।
दीन-दुनिया भूल बैठे हैं, पर इसमें भी मज़ा है,
किताबों के इस शहर में, हर पन्ना नया राज़ा है।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of दीन-दुनिया भूल जाना – Deen-duniya bhool jana Idiom:
“दीन-दुनिया भूल जाना” is a popular Hindi idiom, which literally means “to forget everything” or “to become oblivious of the world.” It is often used in situations where a person becomes so unaware or indifferent to their surroundings that they stop worrying about anything in the world.
Introduction: The idiom “दीन-दुनिया भूल जाना” is deeply rooted in Indian culture. It specifically describes a state where a person becomes so engrossed in a particular task or thought that they become completely unaware of the world around them.
Meaning: The meaning of this idiom is to completely forget about the world and responsibilities around oneself. It is often used when someone’s attention is so deeply immersed in something specific that they overlook other important matters.
Usage: This idiom can be used in various contexts, such as being lost in deep thought, being extremely busy in some work, or being engrossed in an emotion or pleasure.
Example:
-> Aman got so lost in his books that he wasn’t even aware of his hunger, he truly forgot the world around him.
-> Meera was so engrossed in Vineeta’s tune that she didn’t realize it was midnight, she had forgotten the world around her.
Conclusion: The idiom “दीन-दुनिया भूल जाना” is emotionally rich and illustrates how a person can become so engrossed in a particular task or thought that they lose track of their surroundings. It also reminds us that we should be aware of the world around us, no matter how busy we may be in any task.
Story of Deen-duniya bhool jana Idiom in English:
Once upon a time, in a small village, there lived a boy named Niyant. Niyant had a great passion for studying. He was always so engrossed in his books that he was completely oblivious to the world around him.
One day, a big fair was organized in the village. All the villagers were excited to attend the fair. Niyant’s parents also wanted him to come to the fair and have some fun. However, Niyant was only interested in his books. He was so lost in his books that he didn’t even get a hint of the fair happening.
In the evening, when all the villagers returned from the fair, they saw that Niyant was still absorbed in his books. He was neither hungry nor thirsty, nor did he have any awareness of the fair. Everyone saw that Niyant had truly forgotten the world around him.
From this incident, the villagers learned that it’s not good to be so lost in something that you become unaware of the world. They were all amazed at Niyant’s habit, but they also admired his knowledge and dedication.
This story teaches us that we should not be so lost in our interests that we forget the world and responsibilities around us. The idiom “दीन-दुनिया भूल जाना” reflects this sentiment.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या इस मुहावरे का कोई और रूप है?
हां, इस मुहावरे का अन्य रूप होता है “ध्यान भूल जाना” जो उसका सार्थक रूप है।
इस मुहावरे का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?
यह मुहावरा विशेष रूप से व्यक्ति की ध्यानाभाव में डूबने को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है।
क्या है मुहावरा “दीन-दुनिया भूल जाना” का अर्थ?
दीन-दुनिया भूल जाना” का अर्थ होता है ध्यान खो देना या किसी चीज़ में इतना डूब जाना कि आसपास का माहौल भूल जाएं।
यह मुहावरा साहित्य में किस प्रकार का भूमिका निभाता है?
यह मुहावरा साहित्य में व्यक्तित्व के विकास और जीवन के मूल्यों के प्रति विचार को उत्कृष्टता के साथ दिखाने के लिए उपयोग होता है।
क्या इस मुहावरे का कोई प्रसिद्ध उदाहरण है?
हां, ‘उसने सबको दीन-दुनिया भूल जाने का समय दिखा दिया’ एक प्रसिद्ध उदाहरण हो सकता है।
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