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डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना अर्थ, प्रयोग (Dedh chawal ki khichdi pakana)

“डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ, प्रयोग, उदाहरण और निष्कर्ष के बारे में जानना रोचक होगा।

परिचय: “डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” मुहावरा भारतीय समाज में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ होता है किसी छोटे या तुच्छ काम को बहुत अधिक महत्व देना या फिर बहुत छोटे साधनों से बड़ा काम करने की कोशिश करना।

अर्थ: इस मुहावरे का प्रयोग उन परिस्थितियों में किया जाता है, जहाँ कोई व्यक्ति बहुत कम संसाधनों या योगदान से किसी बड़े या महत्वपूर्ण कार्य को संपन्न करने का प्रयास करता है। यह मुहावरा अक्सर व्यंग्यात्मक भाव में भी प्रयोग किया जाता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब किसी के प्रयासों को उनके परिणामों की तुलना में अपर्याप्त माना जाता है। यह उन स्थितियों में भी प्रयोग होता है जहाँ किसी व्यक्ति को उनके काम के लिए अधिक महत्व दिया जाता है, जबकि उनका योगदान मामूली होता है।

उदाहरण:

-> अनुभव ने अपने छोटे से योगदान के लिए इतनी प्रशंसा की अपेक्षा की, मानो उसने डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाई हो।

-> इस प्रोजेक्ट में अनीता का योगदान नगण्य था, लेकिन वह ऐसे घूम रही थी मानो उसने डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाई हो।

निष्कर्ष: “डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” मुहावरा व्यक्ति की आत्ममुग्धता, अतिरंजना या अपर्याप्त प्रयासों का सूचक है। यह मुहावरा हमें सिखाता है कि हमें अपने काम का महत्व समझना चाहिए और अपने प्रयासों का मूल्यांकन उचित रूप से करना चाहिए। यह हमें विनम्रता और यथार्थवादी होने का संदेश देता है।

Hindi Muhavare Quiz

डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना मुहावरा पर कहानी:

एक गाँव में प्रेमचंद्र नाम का एक किसान रहता था। प्रेमचंद्र बहुत मेहनती था, लेकिन उसकी एक आदत थी – वह हमेशा अपने काम को अधूरा छोड़ देता था। एक दिन, उसने सोचा कि वह अपने खेत में धान की खेती करेगा। उसने खेत तैयार किया, बीज बोए और उन्हें सींचना शुरू किया। लेकिन कुछ ही दिनों में, उसने ध्यान देना बंद कर दिया और खेत की देखभाल करना छोड़ दिया।

जब फसल का समय आया, तो उसके खेत में बहुत कम धान उगे थे। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। वह बाजार गया और जो थोड़ा सा धान उसने उगाया था, उसे बेच दिया। उसे इतने पैसे मिले कि वह केवल डेढ़ किलो चावल खरीद सके।

प्रेमचंद्र ने सोचा कि वह इस चावल से खिचड़ी बनाएगा। उसने चावल धोए, दाल तैयार की, और खिचड़ी पकाना शुरू किया। लेकिन जैसे ही खिचड़ी आधी पकी थी, उसने गैस बंद कर दी, सोचा कि शायद यह पक गई होगी। जब उसने खिचड़ी को चखा, तो पाया कि वह अधपकी थी।

इस अनुभव से प्रेमचंद्र ने एक महत्वपूर्ण सबक सीखा। उसे समझ आया कि अधूरे प्रयासों से न तो अच्छी फसल होती है और न ही अच्छी खिचड़ी। यही है “डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाने” का अर्थ – अधूरे प्रयासों से कभी भी पूर्ण सफलता नहीं मिलती। उस दिन से, प्रेमचंद्र ने अपने हर काम को पूरी तरह से और पूरी लगन से करने का प्रण लिया।

शायरी:

ख्वाबों की खिचड़ी में, डेढ़ चावल का सफर,

अधूरे जज्बातों की, यह कहानी बेअसर।

जिंदगी की राहों में, अधूरे ख्वाब न सजाओ,

पूरी मेहनत से ही, मंजिलों के दीप जलाओ।

आधे-अधूरे इरादों से, कभी फल नहीं मिलता,

पूरी शिद्दत से कोशिश करो, तो किस्मत भी हिलता।

जीवन की रसोई में, हर ख्वाहिश को पकाओ,

डेढ़ चावल की खिचड़ी नहीं, पूरे दिल से आजमाओ।

जिस दिन ये समझ लोगे, खुद की ताकत का मर्म,

उस दिन इस दुनिया में, बदलेगा तुम्हारा कर्म।

 

डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना – Dedh chawal ki khichdi pakana Idiom:

“डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” is a popular Hindi idiom, whose meaning, usage, examples, and conclusion are interesting to explore.

Introduction: The idiom “डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” is widely used in Indian society. Literally, it means to give too much importance to a small or trivial task, or to attempt a significant task with very limited resources.

Meaning: This idiom is used in situations where a person tries to accomplish a big or important task with very limited resources or contribution. It is often used in a sarcastic manner.

Usage: The idiom is commonly used when someone’s efforts are considered inadequate compared to their results. It is also used in situations where a person is given undue importance for their work, even though their contribution is minimal.

Example:

-> Anubhav expected so much praise for his small contribution, as if he had cooked ‘डेढ़ चावल की खिचड़ी’.

-> Anita’s contribution to the project was negligible, but she behaved as if she had cooked ‘डेढ़ चावल की खिचड़ी’.

Conclusion: The idiom “डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” signifies a person’s self-admiration, exaggeration, or inadequate efforts. It teaches us to understand the importance of our work and to evaluate our efforts appropriately. This idiom conveys the message of being humble and realistic.

Story of ‌‌Dedh chawal ki khichdi pakana Idiom in English:

In a village, there lived a farmer named Premchandra. Premchandra was very hardworking, but he had a habit – he always left his work unfinished. One day, he decided to cultivate rice in his field. He prepared the field, sowed the seeds, and started irrigating them. But after a few days, he stopped paying attention and abandoned the care of his field.

When the time for harvest came, there were very few rice crops in his field. He realized his mistake, but it was too late. He went to the market and sold the little rice he had grown. He earned just enough money to buy one and a half kilos of rice.

Premchandra thought of making khichdi with this rice. He washed the rice, prepared the lentils, and began cooking the khichdi. But as soon as the khichdi was half-cooked, he turned off the gas, thinking it might have been cooked. When he tasted it, he found that it was undercooked.

From this experience, Premchandra learned an important lesson. He understood that half-hearted efforts lead neither to a good harvest nor to a well-cooked khichdi. This is the essence of the idiom “डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” – incomplete efforts never lead to complete success. From that day, Premchandra resolved to do all his work thoroughly and with full dedication.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस मुहावरे का उपयोग भाषा की क्या महत्वता है?

यह मुहावरा भाषा में रंग भरता है और उसे समृद्ध बनाता है। इसका उपयोग करके व्यक्ति अपने भाषा को विशेषता देता है और समाज में साझा की जाने वाली अनुभूतियों को व्यक्त करता है।

क्या इस मुहावरे का कोई अन्य संबंधित मुहावरा है?

हां, “बिना पकाए भाजी फेंकना” एक ऐसा मुहावरा है जो इसके समानार्थी है। इसका अर्थ भी है कि कोई काम या प्रयास बिना ठीक से पूरा किये गए या सम्मानित किए जाए उसे करना।

क्या है “डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” का मतलब?

“डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” एक मुहावरा है जो किसी कार्य को बिना पूरी मेहनत के करने का अर्थ देता है। इसे अधिक जोश या प्रयास के बिना किया जाने वाला काम या प्रयास कहा जाता है।

क्या इस मुहावरे का उपयोग उदाहरण के रूप में बता सकते हैं?

जी हां, उदाहरण के रूप में, किसी छात्र ने परीक्षा के लिए पढ़ाई नहीं की और फिर उसने परीक्षा में अच्छे अंक नहीं प्राप्त किए। इसे “डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना” कहा जा सकता है।

यह मुहावरा किस प्रकार के समाजिक परिदृश्य में प्रयोग किया जाता है?

यह मुहावरा आमतौर पर काम के सम्बंध में प्रयोग किया जाता है, जैसे कोई अधिकारिक या शिक्षक छात्रों के लिए पूरी मेहनत के बिना स्कूल के लिए पूर्णतः तैयार नहीं होता।

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