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दर-दर की ठोकर खाना अर्थ, प्रयोग(Dar-dar ki thokar khana)

परिचय: “दर-दर की ठोकर खाना” का अर्थ है विभिन्न जगहों पर जाकर असफलता या कठिनाइयों का सामना करना। यह मुहावरा उन लोगों की स्थिति का वर्णन करता है जो जीवन में बार-बार ठोकरें खाते हैं और संघर्ष करते हैं।

अर्थ: इस मुहावरे का प्रयोग तब होता है जब किसी व्यक्ति को लगातार असफलताएँ मिलती हैं और वह विभिन्न स्थानों या अवसरों पर जाकर भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता।

प्रयोग: यह मुहावरा आमतौर पर उस समय प्रयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति नौकरी, शिक्षा, या अन्य व्यावसायिक अवसरों के लिए कई जगहों पर जाता है, लेकिन हर जगह उसे निराशा हाथ लगती है।

उदाहरण:

-> रोजगार की तलाश में अभय को “दर-दर की ठोकर खानी” पड़ी।

-> अपने व्यवसाय को स्थापित करने के लिए सुरेंद्र को कई बार “दर-दर की ठोकर खानी” पड़ी।

निष्कर्ष: “दर-दर की ठोकर खाना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि जीवन में संघर्ष और कठिनाइयाँ आम बात हैं और इनसे निराश होने के बजाय धैर्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। यह हमें दृढ़ता और संघर्ष की भावना को समझाता है।

Hindi Muhavare Quiz

दर-दर की ठोकर खाना मुहावरा पर कहानी:

विकास एक प्रतिभाशाली युवक था, जो एक छोटे गांव में रहता था। उसके सपने बड़े थे, वह एक सफल व्यापारी बनना चाहता था। अपने सपने को साकार करने के लिए, वह बड़े शहर में गया और व्यापार स्थापित करने की कोशिश करने लगा।

परंतु, जीवन हमेशा आसान नहीं होता। विकास को अपने व्यापार के लिए उचित स्थान और सहयोग नहीं मिला। उसे “दर-दर की ठोकर खानी” पड़ी। वह हर एक बाजार, हर एक व्यापारिक मंडल में गया, लेकिन हर जगह से उसे निराशा ही हाथ लगी।

इस बीच, उसकी बचत भी समाप्त होने लगी थी और वह आर्थिक संकट में फंस गया। लेकिन विकास ने हार नहीं मानी। उसने अपने प्रयास जारी रखे। उसकी मेहनत और लगन ने उसे एक दिन सफलता दिलाई।

आखिरकार, उसके प्रयासों का फल मिला और उसका व्यापार फलने-फूलने लगा। विकास ने सीखा कि “दर-दर की ठोकर खाना” भी जीवन का एक हिस्सा है, और इन ठोकरों से ही सीखकर आगे बढ़ा जा सकता है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में संघर्ष और असफलताएं अनिवार्य हैं, लेकिन धैर्य और प्रयास से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। “दर-दर की ठोकर खाना” व्यक्ति को मजबूत और दृढ़ संकल्पित बनाता है।

शायरी:

दर-दर की ठोकरें खाईं, मंजिलें ना मिली,

फिर भी चलता रहा मैं, अपने ख्वाबों के सिलसिले।

हर दर पर नाउम्मीदी का सामना किया,

लेकिन इन ठोकरों ने, जीने का हुनर सिखाया।

ज़िंदगी की इन राहों में, कई बार ठोकर खाई,

हर ठोकर ने एक नया सबक, मेरे दिल में बसाया।

दर-दर की ये ठोकरें, इन्होंने मुझे बनाया,

जो ना मिलता किसी किताब में, वो सबक सिखाया।

ठोकरें ही तो जिंदगी के, असली इम्तिहान हैं,

इन्हीं से तो हर इंसान, अपने ख्वाबों की पहचान है।

 

दर-दर की ठोकर खाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of दर-दर की ठोकर खाना – Dar-dar ki thokar khana Idiom:

Introduction: “दर-दर की ठोकर खाना” means facing failure or difficulties in various places. This idiom describes the situation of people who repeatedly face setbacks and struggle in life.

Meaning: This idiom is used when a person continuously encounters failures and is unable to achieve success despite visiting various places or opportunities.

Usage: The idiom is commonly used when someone visits multiple places for jobs, education, or other professional opportunities, but faces disappointment at every turn.

Example:

-> Abhay had to “face rejections everywhere” in his search for employment.

-> Surendra had to “face setbacks at every step” in establishing his business.

Conclusion: The idiom “दर-दर की ठोकर खाना” teaches us that struggles and difficulties are common in life, and instead of being disheartened, one should move forward with patience and determination. It imparts the essence of resilience and the spirit of struggle.

Story of ‌‌Dar-dar ki thokar khana Idiom in English:

Vikas was a talented young man from a small village with big dreams of becoming a successful businessman. To realize his dream, he moved to a big city and started trying to establish his business.

However, life is not always easy. Vikas struggled to find the right location and support for his business. He had to “face rejections everywhere.” He visited every market and business circle, but disappointment followed him everywhere.

Meanwhile, his savings began to dwindle, and he found himself in a financial crisis. But Vikas didn’t give up. He continued his efforts, and his hard work and dedication eventually led to success.

Finally, his efforts paid off, and his business began to thrive. Vikas learned that “facing rejections everywhere” is a part of life, and it’s from these setbacks that one can learn and move forward.

This story teaches us that struggles and failures are inevitable in life, but with patience and effort, we can achieve our goals. “Facing rejections everywhere” makes a person strong and resolute.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का उपयोग केवल सामान्य व्यक्तियों के लिए है?

नहीं, यह मुहावरा सामान्य और विशेष दोनों प्रकार के लोगों के जीवन में होने वाले कठिनाइयों और अड़चनों को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त है।

इस मुहावरे का क्या महत्व है?

यह मुहावरा मानव जीवन की प्रारंभिक संघर्षों और अड़चनों को व्यक्त करता है और सामाजिक परिदृश्य में उनका महत्व दिखाता है।

क्या है मुहावरा ‘दर-दर की ठोकर खाना’ का अर्थ?

यह मुहावरा एक स्थिति का वर्णन करता है जब किसी व्यक्ति को लगातार विफलताओं या कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

क्या इस मुहावरे का कोई समाजशास्त्रीय संदेश है?

हां, यह मुहावरा समय-समय पर हमें सामाजिक अड़चनाओं का सामना करने की आवश्यकता को याद दिलाता है और सामाजिक यथार्थों के साथ सामंजस्य की अवधारणा को मजबूत करता है।

क्या इस मुहावरे का कोई ऐसा वास्तविक उदाहरण है जो हम जानते हैं?

हां, यहां एक उदाहरण है – एक व्यक्ति जो लगातार सफलता की चाहत रखता है लेकिन हर बार उसे नाकामयाबी का सामना करना पड़ता है, वह ‘दर-दर की ठोकर खाना’ वाली स्थिति में हो सकता है।

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