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डांवा-डोल होना अर्थ, प्रयोग(Daanva-Dol Hona)

परिचय: “डांवा-डोल होना” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जिसका उपयोग अक्सर उन स्थितियों में किया जाता है जहाँ किसी व्यक्ति, योजना, या स्थिति की स्थिरता में अनिश्चितता हो। यह मुहावरा अस्थिरता और संदेह की भावना को व्यक्त करता है।

अर्थ: “डांवा-डोल होना” का अर्थ है किसी चीज का अस्थिर या अनिश्चित होना। यह उस स्थिति को दर्शाता है जब किसी चीज की स्थायित्व या निश्चितता पर संदेह हो।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी योजना, विचार, या स्थिति की पक्काई या स्थायित्व पर प्रश्न उठाना हो। यह अनिश्चितता और संशय की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण:

-> राजनीतिक दल की नई नीति अभी डांवा-डोल हो रही है, इसकी सफलता पर अभी भी संदेह है।

-> उसके भविष्य के इरादे डांवा-डोल हैं, उसे अभी तक यह तय नहीं है कि वह क्या करना चाहता है।

निष्कर्ष: “डांवा-डोल होना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि जीवन में अनिश्चितता और संशय एक सामान्य भावना है, और इसे व्यक्त करने के लिए यह मुहावरा एक प्रभावी उपकरण है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि जब कुछ निश्चित न हो, तो सावधानी और सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

डांवा-डोल होना मुहावरा पर कहानी:

एक गाँव में नियांत नाम का एक लड़का रहता था। नियांत अपने जीवन में हमेशा असमंजस में रहता था। उसे यह नहीं समझ आता था कि वह जीवन में क्या करना चाहता है। एक दिन उसने सोचा कि वह किसान बनेगा, तो दूसरे दिन वह सोचता कि व्यापारी बनना बेहतर रहेगा। उसके इस डांवा-डोल व्यवहार से उसके परिवार वाले भी परेशान रहते थे।

एक बार गाँव में बड़ा मेला लगा। नियांत ने सोचा कि वह मेले में जूते बेचकर अच्छा मुनाफा कमा लेगा। लेकिन मेले के एक दिन पहले ही उसने यह योजना छोड़ दी और सोचा कि मिठाई बेचना ज्यादा फायदेमंद रहेगा। इस तरह, वह आखिरी समय पर अपने निर्णय बदलता रहा और अंत में, मेले में कुछ भी नहीं बेच पाया।

नियांत की यह डांवा-डोल प्रवृत्ति ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा। उसके मित्र और परिवार वाले उसे समझाते कि वह एक निश्चित लक्ष्य बनाए और उस पर काम करे। अंत में, नियांत ने यह समझा कि जीवन में दृढ़ निश्चय और स्थिरता बहुत महत्वपूर्ण है। उसने अपनी डांवा-डोल सोच को छोड़ दिया और एक निश्चित लक्ष्य की ओर अग्रसर हुआ।

इस कहानी के माध्यम से यह सीख मिलती है कि जीवन में निरंतरता और स्थिरता का होना जरूरी है। “डांवा-डोल होना” जैसी प्रवृत्ति से व्यक्ति का न तो कोई लक्ष्य पूरा होता है और न ही वह जीवन में सफलता प्राप्त कर पाता है।

शायरी:

जिंदगी की राहों में, डांवा-डोल ख्वाब बहुत हैं,

हर एक मोड़ पर नए फैसले का इंतजार रहता है।

कभी ये सोचा, कभी वो सोचा, दिल में हलचल रहती है,

जीवन की इस बाजी में, निश्चय का कदर खो बैठे हैं।

ख्वाहिशों का कारवां, डांवा-डोल ही सही,

आँखों में उम्मीदों के दीप जलाए रखना जरूरी है।

अस्थिर मन की इस दुनिया में, स्थिरता का दर्शन कर,

अपने सपनों की मंजिल को पाना जरूरी है।

डांवा-डोल इरादों में, बस एक कदम की दूरी है,

हर एक शाम, हर एक सवेरे में नया सवाल रहता है।

लेकिन इन सवालों के जवाब में, अपने दिल की सुन,

जीवन के इस सफर में, खुद का यकीन रखना जरूरी है।

 

डांवा-डोल होना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of डांवा-डोल होना – Daanva-Dol Hona Idiom:

Introduction: “डांवा-डोल होना” (Daanva-Dol Hona) is a popular Hindi idiom commonly used in situations where there is uncertainty in the stability of a person, plan, or situation. This idiom expresses a sense of instability and doubt.

Meaning: “डांवा-डोल होना” translates to being unstable or uncertain about something. It depicts a scenario where there is doubt about the permanence or certainty of something.

Usage: This idiom is used when questioning the solidity or stability of a plan, idea, or situation. It is employed to express feelings of uncertainty and skepticism.

Example:

-> The new policy of the political party is still in a state of flux, and its success remains doubtful.

-> His future intentions are wavering; he is still undecided about what he wants to do.

Conclusion: The idiom “डांवा-डोल होना” teaches us that uncertainty and doubt are common feelings in life, and this idiom is an effective tool to express them. It also reminds us that when things are not certain, one should proceed with caution and thoughtful consideration.

Story of ‌‌Daanva-Dol Hona Idiom in English:

In a village, there lived a boy named Niyant. Niyant was always indecisive in his life. He couldn’t figure out what he wanted to do with his life. One day he thought of becoming a farmer, and the next day he felt that becoming a businessman would be better. His wavering behavior troubled his family as well.

Once, a big fair was organized in the village. Niyant thought he could make a good profit by selling shoes at the fair. However, just a day before the fair, he abandoned this plan, thinking that selling sweets would be more profitable. Thus, he kept changing his decisions until the last moment and ended up not selling anything at the fair.

Niyant’s indecisive nature led him nowhere. His friends and family advised him to set a definite goal and work towards it. Finally, Niyant realized the importance of determination and stability in life. He abandoned his vacillating thoughts and moved towards a specific goal.

This story teaches us that consistency and stability are essential in life. A wavering mindset like “डांवा-डोल होना” (being indecisive) prevents a person from achieving any goals and from finding success in life.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

यह मुहावरा किस प्रकार का होता है?

यह मुहावरा व्यक्तिगत स्थितियों को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

डांवा-डोल होने का क्या अर्थ है?

डांवा-डोल होना का अर्थ होता है किसी समस्या या स्थिति में अस्थिर हो जाना।

क्या डांवा-डोल होना एक मुहावरा है?

हां, डांवा-डोल होना एक हिंदी मुहावरा है।

क्या यह मुहावरा केवल हिंदी में ही प्रयोग होता है?

जी नहीं, अन्य भाषाओं में भी ऐसे ही मुहावरे होते हैं।

क्या इसका उपयोग रोज़मर्रा की बातचीत में होता है?

हां, इस मुहावरे का उपयोग रोजमर्रा की बातचीत में किया जा सकता है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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