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दाने दाने को तरसना, अर्थ, प्रयोग(Daane daane ko tarasna)

परिचय: “दाने दाने को तरसना” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसे अत्यधिक भूख या किसी चीज़ के अभाव में प्रयुक्त किया जाता है।

अर्थ: यह मुहावरा तब प्रयुक्त होता है जब किसी को किसी चीज़ की बहुत अधिक तलाश होती है या वह उसके लिए तरसता है।

उदाहरण:

-> वह इतनी गरीबी में था कि अक्सर दाने दाने को तरसता रहता था।

-> जब अभय बीमार पड़ा, तो उसे अपनी माँ की देखभाल में दाने दाने को तरसना पड़ा।


विवेचना: जीवन में कई बार हमें ऐसे समय सामना करना पड़ता है जब हमें किसी विशेष चीज़ की बहुत ज्यादा कमी महसूस होती है। इस मुहावरे का प्रयोग उस समय होता है जब हम इस अभाव को व्यक्त करना चाहते हैं।

निष्कर्ष: “दाने दाने को तरसना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि जीवन में कभी-कभी हमें अपनी जरूरतों और इच्छाओं को पहचानने में समय लगता है, और इसका समाधान पाना भी महत्वपूर्ण है।

Hindi Muhavare Quiz

दाने दाने को तरसना मुहावरा पर कहानी:

फरीदपुर नामक एक गाँव था जहां प्राकृतिक संतुलन बिगड़ चुका था। बारिश की कमी ने उस गाँव को सूखा सा बना दिया था। लोग अब पानी को तरसने लगे थे। नदियाँ सूख गई थीं, तालाबों में पानी का स्तर घट चुका था।

किसानों की फसलें बिना पानी के नष्ट हो रही थीं। अनाज की घातक कमी होने पर गाँव में भूख की समस्या उत्पन्न हो गई। लोग अब अन्न के दाने-दाने को भी तरसने लगे थे।

सुभाष, गाँव का एक युवक, ने तय किया कि वह इस संकट का समाधान खोजेगा। वह और उसके कुछ साथी गाँव में पानी की खोज में लग गए। वे  जल स्रोत की खोज में लग गए।

कुछ ही दिनों में उन्हें एक प्राचीन कुँआं मिला जिसमें अब भी पानी था। सुभाष और उसके साथी ने मिलकर कुँआं को साफ किया और गाँववालों को पानी पहुँचाना शुरू किया।

गाँववालों ने समझा कि जीवन में हर दाने की अहमियत होती है, चाहे वह अनाज का हो या पानी का। गांव ने सिखाया कि संघर्ष में भी आशा की एक किरण होती है और जब समय पर कार्रवाई हो, तो असंभाव कोई भी नहीं होता।

शायरी:

धरती प्यासी, फसलें सुनी, आंखों में नमी बाकी है,

दाने दाने को जैसे, हर दिल तरस रहा अब तक़दीर की खाकी है।

आसमां से एक बूँद भी नहीं आई, जैसे खो गई हर बात, 

ख़्वाबों में बारिश की गीत सुनाई, उस आवाज़ में मिठास हाथ।

सूखे आंगन में बच्चों की हंसी अधूरी, 

ज़िंदगी की इस दहलीज़ पर, हर ख्वाब है अब दूरी।

जब भूख से हर चीज़ अनमोल लगने लगे, 

शायरी में वही दाना जीवन की सबसे बड़ी मिठास बन जाए।

 

दाने दाने को तरसना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of दाने दाने को तरसना – Daane daane ko tarasna Idiom:

Introduction: “Daane daane ko tarasna” is a well-known Hindi idiom, typically used to describe extreme hunger or a dire need for something.

Meaning: This idiom is used when someone is deeply longing or yearning for something.

Usage:

-> He was so impoverished that he often yearned for every single grain of food. 

-> When Abhay fell sick, he yearned for the care of his mother every moment.

Discussion: There are times in life when we experience a severe lack of a particular thing. This idiom is employed to express this sense of shortage or deprivation.

Conclusion: The idiom “Daane daane ko tarasna” teaches us that sometimes in life, it takes time to recognize our needs and desires, and finding a solution to them is equally important.

Story of ‌‌Daane daane ko tarasna Idiom in English:

Faridpur was a village where the natural balance had been disrupted. A lack of rainfall had left the village parched. People began to yearn for water. Rivers had dried up, and the water level in ponds had dropped.

Farmers’ crops were getting destroyed due to the absence of water. With a critical shortage of grains, the village faced a hunger crisis. People were now longing for even a single grain of food.

Subhash, a young man from the village, decided to find a solution to this crisis. He and some of his companions began to search for water sources within the village.

Within a few days, they found an ancient well that still had water. Subhash and his companions cleaned the well and began supplying water to the villagers.

The villagers realized the importance of every grain in life, whether it’s a grain of food or a drop of water. The village taught that there’s always a ray of hope even in adversity, and with timely action, nothing is impossible.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “दाने दाने को तरसना” मुहावरे का उपयोग साहित्य में होता है?

हां, इस मुहावरे का उपयोग हिंदी साहित्य में गरीबी, भूखमरी या कठिन परिस्थितियों का वर्णन करते समय किया जाता है।

“दाने दाने को तरसना” का उपयोग केवल शारीरिक भूख के संदर्भ में होता है क्या?

हां, यह मुहावरा आमतौर पर शारीरिक भूख या खाद्य पदार्थों की कमी के संदर्भ में ही प्रयोग किया जाता है।

इस मुहावरे का प्रयोग किस प्रकार के संदर्भ में किया जा सकता है?

जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक गरीबी या कठिनाई का सामना कर रहा हो और उसके पास खाने को पर्याप्त न हो, तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।

क्या यह मुहावरा केवल नकारात्मक संदर्भ में प्रयोग किया जाता है?

आमतौर पर यह मुहावरा नकारात्मक संदर्भ, जैसे कि भूख और गरीबी की स्थितियों में, में ही प्रयोग किया जाता है।

“दाने दाने को तरसना” मुहावरे का समाजिक महत्व क्या है?

यह मुहावरा समाज में गरीबी और भुखमरी की गंभीर समस्याओं को उजागर करता है और इसके माध्यम से लोगों की दुर्दशा को प्रकट किया जाता है।

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