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चींटी के पर निकलना, अर्थ, प्रयोग(Chiti ke par nikalna)

परिचय: “चींटी के पर निकलना” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है, जिसे किसी के अधिक अहंकार या गर्वित होने के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। चींटी की तरह छोटी होने पर भी, जब किसी को अपने आप पर अधिक गर्व होता है, तो इसे व्यक्त करने के लिए इस मुहावरे का उपयोग किया जाता है।

अर्थ: “चींटी के पर निकलना” मुहावरे का अर्थ होता है – अपने आपको बहुत महत्वपूर्ण समझना या अधिक घमंड करना।

उदाहरण:

-> अनुभव ने थोड़ी सी सफलता पाई और उसके तो “पर निकल गए”।

-> अनीता ने एक छोटे से प्रशंसा पत्र पाने पर अपने आप को सबसे ऊपर समझने लगी, मानो “चींटी के पर निकल गए”।

विस्तार से: जब किसी व्यक्ति को छोटी-सी सफलता मिलती है और वह उसे बड़ा समझता है, तो उसके आचरण को व्यक्त करने के लिए “चींटी के पर निकलना” मुहावरा प्रयोग होता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी सफलताओं को सही दृष्टिकोण से देखना चाहिए और अधिक अहंकारित नहीं होना चाहिए।

निष्कर्ष: हम सभी को अपनी सफलताओं और प्रगतियों को महसूस करना चाहिए, लेकिन इसे अधिक अहंकार में बदलना नहीं चाहिए। “चींटी के पर निकलना” हमें यही सिखाता है कि हमें अपने आप को जमीं पर रखना चाहिए और सही मापदंडों से अपनी उपलब्धियों का मूल्यांकन करना चाहिए।

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चींटी के पर निकलना मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, गाँव में पूजा नामक लड़की रहती थी। पूजा होशियार और प्रतिभाशाली थी। उसने कई प्रतियोगिताओं में पहला स्थान प्राप्त किया था और गाँव के लोग उसे इसके लिए सम्मानित करते थे।

एक दिन, पूजा ने एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया। जब वह गाँव वापस आई, तो सभी लोगों ने उसका स्वागत किया और उसकी प्रशंसा की। पूजा को अब अपनी उपलब्धियों पर गर्व था और वह सोचने लगी कि वह अब गाँव में सबसे महत्वपूर्ण और सम्मानित व्यक्ति है।

उसका यह अहंकार भावना बढ़ती जा रही थी। जब भी वह किसी से मिलती, वह अपनी उपलब्धियों की तारीफ में बहुत बड़ी-बड़ी बातें करती। गाँववाले इसे देखकर कहते थे, “पूजा के तो पर निकल आए हैं।”

एक दिन, गाँव की बुजुर्ग विनीता आंटी ने पूजा को बुलाया और कहा, “तुम्हारी उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए, पर इसका मतलब यह नहीं कि तुम अब अपने आपको दूसरों से ऊँचा समझो। अहंकार से सिर्फ दूरीयाँ बढ़ती हैं।”

पूजा ने विनीता आंटी की बातों को समझा और उसे समझ में आया कि वह अपनी उपलब्धियों पर गर्व कर सकती है, पर अहंकार में डूबकर अपने आपको दूसरों से श्रेष्ठ समझना उचित नहीं है। वह अब सभी से प्रेम और सम्मान से व्यवहार करने लगी।

निष्कर्ष: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि उपलब्धियों पर गर्व हो सकता है, पर अहंकार से डूबकर अपने आपको दूसरों से ऊँचा समझना उचित नहीं है।

शायरी:

चींटी के पर निकले जैसे जीवन में अब्रू,

मिजाज रंग लाए जैसे शाम का मन्जू।

अहंकार में चूर हो, ना खो बसेरा,

जिसे समझते थे सब, वो हुआ अजनबी सफर में।

 

चींटी के पर निकलना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of चींटी के पर निकलना – Chiti ke par nikalna Idiom:

Introduction:  “चींटी के पर निकलना” (Ant getting wings) is a popular Hindi idiom used to describe someone being overly arrogant or proud. Even if one is as insignificant as an ant, when they become too proud of themselves, this idiom is used to depict that behavior.

Meaning: The idiom “चींटी के पर निकलना” translates to – thinking highly of oneself or being overly arrogant.

Examples:

-> Anubhav achieved a little success and he started “flying high” (literal translation of the idiom).

-> Anita, after receiving a small appreciation letter, began considering herself above all, as if she had “grown wings like an ant”.

Special Note: When an individual achieves minor success and perceives it as something great, the idiom “चींटी के पर निकलना” is utilized to describe that attitude. It teaches us that we should perceive our accomplishments with the right perspective and shouldn’t become overly arrogant.

Conclusion: We should all cherish our achievements and progress, but we shouldn’t let it turn into excessive pride. “चींटी के पर निकलना” reminds us to stay grounded and evaluate our achievements with the correct standards.

Story of ‌‌Chiti ke par nikalna Idiom in English:

Once upon a time, in a village, there lived a girl named Pooja. Pooja was intelligent and talented. She had secured the first position in many competitions, and the villagers respected her for this.

One day, Pooja won first place in a national competition. When she returned to the village, everyone welcomed her and praised her accomplishments. Pooja began to take pride in her achievements and started to believe that she was now the most important and respected individual in the village.

Her ego started to grow. Whenever she met someone, she would boast about her achievements. Observing this, the villagers would comment, “Pooja seems to have grown wings.”

One day, an elderly woman in the village, Vinita Aunty, called Pooja and advised her, “You should be proud of your achievements, but that doesn’t mean you should consider yourself superior to others. Arrogance only leads to distance.”

Pooja took Vinita Aunty’s words to heart and realized that while it’s okay to be proud of her achievements, it’s not right to be consumed by arrogance and consider herself superior to others. She began to interact with everyone with love and respect.

Conclusion: This story teaches us that while it’s natural to take pride in one’s achievements, it’s not appropriate to let arrogance take over and see oneself as superior to others.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

चींटी के पर निकलना मुहावरा का क्या अर्थ है?

यह मुहावरा किसी के लिए अत्यंत छोटी बातें या परेशानियाँ होना का व्यक्ति को सुझाता है।

क्या इस मुहावरे का प्रयोग किसी व्यक्ति की स्थिति को व्यक्त करने में किया जा सकता है?

हाँ, इसे किसी की असुविधा या छोटी-मोटी बातों की परेशानी को बताने के लिए किया जा सकता है।

चींटी के पर निकलने का कोई विशेष संदर्भ है क्या?

नहीं, यह मुहावरा सामान्यत: छोटी समस्याओं या तंगीओं को दर्शाने के लिए उपयुक्त है।

क्या इस मुहावरे का कोई उपयोग आधिकारिक संदर्भों में होता है?

नहीं, यह अधिकतर अनौपचारिक भाषा में ही प्रयुक्त होता है और आधिकारिक संदर्भों में उपयोग नहीं होता।

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक प्रसंग है?

नहीं, यह एक सामान्य और सामाजिक मुहावरा है और इसका कोई ऐतिहासिक प्रसंग नहीं है।

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यह मुहावरा जानवर पर मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

यह मुहावरा च से शुरू होने वाले मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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