परिचय: “छठी का खाया-पिया निकालना” भारतीय समाज में एक प्रचलित मुहावरा है, जो अक्सर विनोदी या व्यंग्यात्मक संदर्भों में प्रयोग किया जाता है।
अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है किसी को उसके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों का प्रतिफल न देना या उसके योगदान को नजरअंदाज करना। यह आमतौर पर उस स्थिति का वर्णन करता है जहाँ किसी की मेहनत या सहयोग को अनदेखा कर दिया जाता है।
प्रयोग: यह मुहावरा विशेषकर तब प्रयोग में लाया जाता है जब कोई व्यक्ति या संस्था किसी के प्रयासों को स्वीकार नहीं करती और उसे उचित सम्मान या प्रतिष्ठा नहीं देती।
उदाहरण:
-> मुनीश ने अपनी कंपनी के लिए कई सालों तक कड़ी मेहनत की, लेकिन जब प्रमोशन की बारी आई तो कंपनी ने उसके ‘छठी का खाया-पिया निकाल दिया’ और उसे उचित पदोन्नति नहीं दी।
निष्कर्ष: “छठी का खाया-पिया निकालना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि कई बार समाज या संगठन लोगों के योगदान को उचित मान्यता नहीं देते। यह मुहावरा उन स्थितियों का मजाक उड़ाता है जहां व्यक्तियों की मेहनत और समर्पण को अनदेखा किया जाता है।
छठी का खाया-पिया निकालना मुहावरा पर कहानी:
एक बार की बात है, एक छोटे गाँव में अनुभव नाम का एक किसान रहता था। अनुभव बहुत मेहनती और समर्पित था। उसके पास एक छोटी सी जमीन थी जिस पर वह साल भर मेहनत करके फसलें उगाता था।
एक साल, गाँव में एक बड़ी कंपनी आई और उन्होंने अनुभव की जमीन पर एक बड़ी परियोजना शुरू करने की बात कही। अनुभव को आश्वासन दिया गया कि उसे इस परियोजना से अच्छा लाभ होगा। अनुभव ने अपनी सारी जमीन कंपनी को दे दी।
परियोजना बहुत सफल रही और कंपनी को बहुत लाभ हुआ। लेकिन, जब अनुभव ने अपने हिस्से का लाभ मांगा, तो कंपनी ने उसे टालमटोल कर दिया। अनुभव को समझ में आ गया कि कंपनी ने उसके ‘छठी का खाया-पिया निकाल दिया’ था।
अनुभव ने इसके खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया। लंबी लड़ाई के बाद, अदालत ने अनुभव के पक्ष में फैसला सुनाया और कंपनी को उसके हिस्से का लाभ देने का आदेश दिया।
निष्कर्ष:
इस कहानी के माध्यम से हमें ‘छठी का खाया-पिया निकालना’ मुहावरे का अर्थ समझ में आता है। यह बताता है कि कैसे कभी-कभी लोगों की मेहनत और समर्पण को उचित सम्मान नहीं मिलता। यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि न्याय की लड़ाई में धैर्य और संघर्ष की अहमियत होती है।
शायरी:
छठी का खाया-पिया निकालते हैं लोग यहाँ,
कदर नहीं किसी की मेहनत की, बस फायदे का समां।
हर एक कोशिश, हर एक जद्दोजहद यहाँ,
फिर भी इनाम नहीं, बस अफ़सोस की बारिश में भीगा जहाँ।
कामयाबी की राह में, बहुतों ने साथ छोड़ा,
छठी का खाया-पिया निकाल दिया, जब मुश्किल ने गोद लिया।
मेहनत की कदर न करने वाले, सुन लो ये बात,
जो बोया है, वही उगेगा, यही है जीवन की सौगात।
छठी का खाया-पिया निकाल देना, ये तो है आदत पुरानी,
पर याद रखना, मेहनत का फल मीठा, ये है कहानी जिंदगानी।
जो लोग मेहनत का मोल नहीं समझते, उन्हें ये शायरी बताती,
जिंदगी में सच्ची कदर, वही करते हैं जो मेहनत से नहीं घबराते।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of छठी का खाया-पिया निकालना – Chathi ka khaya-piya nikalna Idiom:
Introduction: “छठी का खाया-पिया निकालना” is a prevalent idiom in Indian society, often used in humorous or sarcastic contexts.
Meaning: The idiom means to not give someone the deserved reward or recognition for their good deeds or contributions. It typically describes situations where someone’s hard work or cooperation is ignored or overlooked.
Usage: This phrase is particularly used when an individual or an organization fails to acknowledge someone’s efforts and does not provide them with due respect or promotion.
Example:
-> Munish worked hard for his company for many years, but when the time for promotion came, the company ‘ignored all his contributions’ and did not give him the deserved promotion.
Conclusion: The idiom “छठी का खाया-पिया निकालना” teaches us that sometimes society or organizations do not give proper recognition to people’s contributions. This phrase mocks those situations where individuals’ hard work and dedication are disregarded.
Story of Chathi ka khaya-piya nikalna Idiom in English:
Once upon a time, in a small village, there lived a farmer named Anubhav. Anubhav was very hardworking and dedicated. He owned a small piece of land on which he worked tirelessly throughout the year to grow crops.
One year, a large company came to the village and proposed a major project on Anubhav’s land. Anubhav was assured that he would benefit greatly from this project. Trusting their word, he handed over all his land to the company.
The project turned out to be very successful, and the company made substantial profits. However, when Anubhav asked for his share of the profits, the company started making excuses. Anubhav realized that the company had ‘ignored all his contributions and efforts.’
Anubhav filed a lawsuit against the company. After a long battle, the court ruled in Anubhav’s favor and ordered the company to give him his share of the profits.
Conclusion:
Through this story, we understand the meaning of the idiom ‘छठी का खाया-पिया निकालना.’ It illustrates how sometimes people’s hard work and dedication are not duly recognized. The idiom also teaches us the importance of perseverance and struggle in the pursuit of justice.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या इस मुहावरे का विशेष उपयोग सामाजिक संबंधों में होता है?
हाँ, इसे सामाजिक संबंधों में असमंबितता और अनैतिक व्यवहार की चर्चा में उपयोग किया जा सकता है।
इस मुहावरे का उपयोग किस सीतुएशन में हो सकता है?
जब किसी को बिना किसी कारण के या बेहिसाब के बेइज्जत किया जाए, तो इस मुहावरे का उपयोग हो सकता है।
छठी का खाया-पिया निकालना मुहावरे का मतलब क्या है?
इस मुहावरे का अर्थ होता है किसी को बेइज्जत करना या उसकी पहचान को खत्म करना।
क्या इस मुहावरे का अंग्रेजी में कोई सीधा समान है?
Throwing someone under the bus” इस मुहावरे के अंग्रेजी समान के रूप में प्रयुक्त हो सकता है।
छठी का खाया-पिया निकालना का हिंदी साहित्य में कौन-कौन से उदाहरण हैं?
कई कहानियों और नाटकों में इस मुहावरे का विवेचन किया जा चुका है, जो सामाजिक नैतिकता और बेहिसाबी के विषयों पर आधारित हैं।
हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें