अर्थ: ‘चाँद पर थूकना’ इस मुहावरे का अर्थ है मासूम व्यक्ति पर बेमेल इलजाम लगाना। ‘चाँद’ यहाँ पर मासूमियत का प्रतीक है और ‘थूकना’ इसे दूषित करने का क्रियावली है।
प्रयोग: जब किसी मासूम व्यक्ति पर बिना किसी ठोस सबूत के इलजाम लगाया जाए, तो इस मुहावरे का प्रयोग होता है।
उदाहरण: राम ने अपनी गलती छुपाने के लिए मोहन पर इलजाम लगा दिया। सुनते ही श्याम ने कहा, “राम तो ‘चाँद पर थूक रहा है’।”
विशेष टिप्पणी: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि किसी मासूम व्यक्ति पर बिना सोचे-समझे इलजाम नहीं लगाना चाहिए। इससे समाज में अन्याय और अविश्वास की स्थिति पैदा होती है।
चाँद पर थूकना मुहावरा पर कहानी:
गाँव में रहने वाला रमन, बहुत ही ईमानदार और मेहनती किसान था। लोग उसे अपनी मेहनत और ईमानदारी के लिए ‘गाँव का चाँद’ मानते थे।
एक दिन गाँव में एक बड़ा त्योहार हुआ और सभी लोग अपने अनमोल सामान बाहर रखकर मनाने लगे। त्योहार के अगले दिन, गाँव के मुख्य व्यक्ति का एक महंगा हार गायब हो गया। उसने तुरंत रमन पर इलजाम लगा दिया, क्योंकि रमन उस रात वहाँ पास में था।
बिना किसी सबूत या जाँच पड़ताल के, लोग ने रमन पर इलजाम लगा दिया। उन्होंने सोचा कि शायद रमन ने उस मौके का फायदा उठाया होगा। लेकिन वे भूल गए थे कि वह रमन था, जिसे वे ‘गाँव का चाँद’ मानते थे।
कुछ दिनों बाद, असली चोर को पकड़ा गया और रमन की मासूमियत सामने आई। गाँववाले शरम से झुके और उन्होंने समझा कि उन्होंने बिना सोचे-समझे ‘चाँद पर थूक’ दिया। उन्होंने रमन से माफी मांगी और उसकी ईमानदारी की सराहना की।
शायरी:
चाँद पर जब लोग थूकते हैं,
बिना सोचे दोष लगाते हैं।
मासूम की बेकसूरी को देख,
फिर वही लोग माफी मांगते हैं।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of चाँद पर थूकना – Chand Par Thukna Idiom:
Meaning: The proverb ‘Chand Par Thukna’ means to falsely accuse an innocent person. Here, ‘चाँद’ (Moon) symbolizes innocence, and ‘थूकना’ (Spitting) represents the act of tarnishing that innocence.
Usage: This proverb is used when an innocent person is accused without any solid evidence.
Example: Ram falsely accused Mohan to cover up his own mistake. On hearing this, Shyam commented, “Ram is just ‘spitting on the moon’.”
Special Note: This proverb teaches us that one should not hastily blame an innocent person without thinking. Such actions lead to injustice and mistrust in society.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.
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