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चले तो चाँद तक वरना शाम तक, अर्थ, प्रयोग(Chale toh chand tak warna shaam tak)

अनुज-और-उसकी-साइकिल-की-कहानी, सस्ते-मेले-में-खरीददारी, गुणवत्ता-व-दीर्घायु-पर-मंथन, बुजुर्ग-की-सीख, हिंदी-मुहावरे-चले-तो-चाँद-तक-वरना-शाम-तक

परिचय: हिंदी मुहावरे अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही लोकप्रिय मुहावरे “चले तो चाँद तक वरना शाम तक” की, जिसका अक्सर प्रयोग सस्ते और कमजोर गुणवत्ता वाले सामानों की बात करते समय किया जाता है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि कुछ चीजें या तो बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगी या फिर बहुत जल्दी विफल हो जाएंगी। यहाँ ‘चाँद’ का अर्थ है अत्यधिक सफलता और ‘शाम’ का मतलब है अल्पकालिक या असफलता।

प्रयोग: बाजार में बिकने वाले सस्ते और कम गुणवत्ता वाले सामान अक्सर इस मुहावरे के पर्याय बन जाते हैं। जैसे कोई इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद या खिलौना, जो बहुत सस्ता होता है और जिसकी लंबी उम्र की कोई गारंटी नहीं होती। ऐसे में, यह मुहावरा इस्तेमाल किया जाता है – “यह तो ‘चले तो चाँद तक, वरना शाम तक’ वाली बात है।”

उदाहरण:

मान लीजिए आपने एक सस्ता मोबाइल फोन खरीदा है जिसकी गुणवत्ता और टिकाऊपन के बारे में आपको पूर्ण विश्वास नहीं है। आप इसे उपयोग करते हुए कह सकते हैं कि, “यह मोबाइल ‘चले तो चाँद तक, वरना शाम तक’।”

निष्कर्ष: “चले तो चाँद तक, वरना शाम तक” मुहावरा उन परिस्थितियों का अत्यंत सटीक वर्णन करता है जहां सस्ती और खराब गुणवत्ता वाली वस्तुओं की खरीदारी करते समय हमें उनकी दीर्घायु और प्रदर्शन को लेकर संदेह होता है। यह हमें याद दिलाता है कि हर चीज की अपनी क्षमता होती है, और कभी-कभी सस्ते में मिलने वाले फायदे जल्दी ही अपनी सीमा दिखा देते हैं।

चले तो चाँद तक वरना शाम तक मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में अनुज नाम का एक युवक रहता था। अनुज के पास बहुत कम पैसे थे, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे। एक दिन, उसने सुना कि गाँव के पास एक मेले में बहुत सस्ते दामों पर विभिन्न प्रकार के सामान बेचे जा रहे हैं।

अनुज ने सोचा कि यह उसके लिए सुनहरा मौका है। वह तुरंत मेले में गया और अपने सारे पैसे खर्च करके एक सस्ती साइकिल और कुछ उपकरण खरीद लिए। उसका मानना था कि यह साइकिल और उपकरण उसके छोटे व्यवसाय को बढ़ाने में मदद करेंगे।

परंतु, कुछ ही दिनों में साइकिल की हालत खराब हो गई। वह अक्सर खराब हो जाती और उपकरण भी टूट गए। अनुज ने समझा कि उसने जो सामान सस्ते में खरीदा था, वह लंबी अवधि में कारगर नहीं था।

अनुज के एक बुजुर्ग पड़ोसी ने यह देखा और उससे कहा, “अनुज, तुम्हारी यह साइकिल और उपकरण बिल्कुल ‘चले तो चाँद तक, वरना शाम तक’ की तरह हैं। अर्थात, ये या तो बहुत अच्छा काम करते या फिर बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं।”

अनुज ने इस बात को गहराई से समझा और तय किया कि आगे से वह कुछ भी खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता और दीर्घायु पर ध्यान देगा।

निष्कर्ष:

अनुज की इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि सस्ती चीजों की आकर्षकता में फंसकर हम अक्सर उनकी गुणवत्ता और दीर्घकालिक उपयोगिता को नजरअंदाज कर देते हैं। “चले तो चाँद तक, वरना शाम तक” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हर चीज की अपनी सीमा होती है और कभी-कभी वह सीमा बहुत ही छोटी होती है।

शायरी:

ख्वाबों में था चाँद छूने का सफर,

चले तो चाँद तक, वरना शाम तक।

हर कदम पर नया इम्तिहान था,

हर सूरत में बदलता आसमान था।

जोखिमों की राहों पर चला मैं अकेला,

कभी फूलों की चादर, कभी काँटों का मेला।

उम्मीदों की लौ में जलते रहे हम,

टूटा नहीं हौसला, चाहे हो गयी शाम।

मंजिल तो मिली नहीं, पर सफर यादगार रहा,

चले तो चाँद तक, वरना शाम तक।

 

चले तो चाँद तक वरना शाम तक शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of चले तो चाँद तक वरना शाम तक – Chale toh chand tak warna shaam tak Idiom:

Introduction: Hindi idioms are known for their versatility. Today, we will discuss one such popular idiom “चले तो चाँद तक, वरना शाम तक,” which is often used in the context of cheap and low-quality goods.

Meaning: This idiom implies that certain things will either perform exceptionally well or fail very quickly. Here, ‘चाँद’ (moon) symbolizes great success, and ‘शाम’ (evening) represents short-lived or failure.

Usage: Cheap and low-quality goods sold in the market often become synonymous with this idiom. For example, an electronic product or a toy, which is very cheap and does not guarantee longevity. In such cases, this idiom is used: “This is a ‘चले तो चाँद तक, वरना शाम तक’ situation.”

Examples:

Suppose you have bought a cheap mobile phone about whose quality and durability you are not entirely confident. While using it, you might say, “This mobile is like ‘चले तो चाँद तक, वरना शाम तक’.”

Conclusion: The idiom “चले तो चाँद तक, वरना शाम तक” accurately describes situations where we doubt the longevity and performance of cheap and low-quality goods. It reminds us that everything has its capacity, and sometimes, the benefits of cheap deals reveal their limitations quite soon.

Story of ‌‌Chale toh chand tak warna shaam tak Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a young man named Anuj. Anuj had very little money, but his dreams were big. One day, he heard that various items were being sold at very low prices at a fair near the village.

Anuj thought this was a golden opportunity for him. He immediately went to the fair and spent all his money to buy a cheap bicycle and some tools. He believed that this bicycle and tools would help him expand his small business.

However, within a few days, the condition of the bicycle deteriorated. It often broke down, and the tools also fell apart. Anuj realized that the items he had bought cheaply were not effective in the long term.

An elderly neighbor of Anuj saw this and said to him, “Anuj, your bicycle and tools are exactly like ‘चले तो चाँद तक, वरना शाम तक.’ That means, they either work very well or they break down very quickly.”

Anuj deeply understood this and decided that in the future, he would pay attention to the quality and longevity of anything before purchasing it.

Conclusion:

Anuj’s story teaches us that we often overlook the quality and long-term utility of things, getting swayed by the attractiveness of cheap items. The idiom “चले तो चाँद तक, वरना शाम तक” teaches us that everything has its limits, and sometimes those limits are very short.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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