परिचय: “चढ़े तवे पर रोटी सभी डाल लेते हैं” यह मुहावरा भारतीय समाज में एक प्रचलित कहावत है जिसका प्रयोग अक्सर व्यावहारिक जीवन की स्थितियों में किया जाता है।
अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि जब किसी काम में सफलता मिलने की संभावना होती है, तो सभी लोग उसमें हिस्सा लेने को तैयार हो जाते हैं। यह मुहावरा उस स्थिति को दर्शाता है जहाँ लोग केवल लाभ के लिए किसी काम में शामिल होते हैं।
प्रयोग: इस कहावत का इस्तेमाल व्यापार, राजनीति, या सामाजिक स्थितियों में किया जा सकता है, जहां लोग सिर्फ इसलिए किसी कार्य में रुचि दिखाते हैं क्योंकि उसमें लाभ की संभावना होती है।
उदाहरण:
-> जैसे ही कंपनी ने मुनाफा कमाना शुरू किया, कई निवेशकों ने उसमें पैसा लगाने की इच्छा जताई। यह सच है कि ‘चढ़े तवे पर रोटी सभी डाल लेते हैं।’
निष्कर्ष: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि अक्सर लोग सफलता की गारंटी होने पर ही किसी कार्य में शामिल होते हैं। यह हमें यह भी बताता है कि सच्ची प्रतिबद्धता और समर्पण उन्हीं लोगों में होती है जो कठिन समय में भी साथ निभाते हैं, न कि केवल सफलता के समय में।
चढ़े तवे पर रोटी सभी डाल लेते हैं मुहावरा पर कहानी:
एक छोटे से गाँव में अखिल नामक एक साधारण व्यक्ति रहता था। अखिल ने गाँव के एक कोने में चाय की एक छोटी सी दुकान खोली थी। शुरुआती दिनों में, दुकान का व्यापार बहुत कम था। अखिल दिन-रात मेहनत करता, परंतु ग्राहक बहुत कम आते।
एक दिन, एक प्रसिद्ध यात्री ने अखिल की दुकान पर चाय पी और उसकी चाय की तारीफ की। उस यात्री ने सोशल मीडिया पर अखिल की चाय की तारीफ करते हुए एक पोस्ट डाली। धीरे-धीरे, अखिल की चाय की दुकान प्रसिद्ध हो गई, और लोग दूर-दूर से उसकी चाय पीने आने लगे।
अब जब अखिल की दुकान सफल हो गई, तो उसी गाँव के कई लोग जो पहले उसकी दुकान की ओर देखते भी नहीं थे, उससे साझेदारी करने के लिए आने लगे। उन्होंने अखिल से कहा कि वे उसकी दुकान में निवेश करना चाहते हैं और व्यापार को और बढ़ाने में उसकी मदद करना चाहते हैं।
अखिल ने यह देखा कि ये वही लोग थे जो पहले उसकी दुकान के बारे में नकारात्मक बातें करते थे। उसने समझ लिया कि ये लोग केवल उसकी सफलता को देखकर उससे जुड़ना चाहते थे। उसने मन ही मन सोचा, “चढ़े तवे पर रोटी सभी डाल लेते हैं।”
अखिल ने विनम्रतापूर्वक सभी के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर ही अपने व्यापार को आगे बढ़ाया। उसने यह सिख दी कि सच्ची सफलता उन्हीं की होती है जो कठिन समय में भी दृढ़ रहते हैं।
निष्कर्ष:
इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चे साथी और सहयोगी वही होते हैं जो बुरे समय में भी साथ निभाते हैं, न कि केवल सफलता के समय पर। “चढ़े तवे पर रोटी सभी डाल लेते हैं” मुहावरा यही बात स्पष्ट करता है।
शायरी:
जब तक नसीब में थीं ठोकरें, कोई हमसफ़र न बना,
चढ़े तवे पर जब रोटी डाली, तो सभी दोस्त बन गया।
सफलता की राह पे चलकर, सभी को अपना बनाया हमने,
पर जब वक्त ने करवट ली, तो साया भी पराया हो गया।
जब तक थी मेहनत की राहें, तो अकेले ही चले थे,
चढ़े तवे पर जब रोटी देखी, सबने हाथ बढ़ाया था।
दुनिया की ये रीत है पुरानी, सफलता पर ही नजरें टिकानी,
जब तक खाली थी जेबें हमारी, तो कोई साथ न आया था।
सच्चे दोस्त और झूठे वादे, इस सफर में पहचाने हमने,
‘चढ़े तवे पर रोटी’ की तरह, सबने मौका पहचाना था।
जीवन की इस कशमकश में, सच्चाई का दामन न छोड़ा,
क्योंकि चढ़े तवे पर हर कोई आए,
पर सच्चा साथी वही जो जले तवे पर भी साथ निभाए।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of चढे तवे पर रोटी सभी डाल लेते हैं – Chadhe tave par roti sabhi daal dete hai Idiom:
Introduction: The idiom “चढ़े तवे पर रोटी सभी डाल लेते हैं” is a prevalent proverb in Indian society, often used in practical life situations.
Meaning: This idiom means that when there is a possibility of success in any task, everyone becomes ready to take part in it. It illustrates situations where people participate in a task only for personal gain.
Usage: This saying can be used in business, politics, or social situations, where people show interest in a task only because it promises benefits.
Example:
-> As soon as the company started making a profit, many investors expressed their desire to invest in it. It’s true that ‘everyone puts bread on a heated pan.’
Conclusion: This idiom teaches us that people often participate in tasks only when success is guaranteed. It also tells us that true commitment and dedication are found in those who stand by in tough times, not just during success.
Story of Chadhe tave par roti sabhi daal dete hai Idiom in English:
In a small village, there lived an ordinary man named Akhil. Akhil had opened a small tea shop in a corner of the village. In the initial days, the business of the shop was very minimal. Akhil worked day and night, but the number of customers was very few.
One day, a famous traveler visited Akhil’s shop, drank his tea, and praised it. The traveler posted about Akhil’s tea on social media. Gradually, Akhil’s tea shop became famous, and people from far and wide started coming to drink his tea.
Now, when Akhil’s shop became successful, many people from the same village, who previously didn’t even look towards his shop, started approaching him for partnership. They told Akhil that they wanted to invest in his shop and help expand the business.
Akhil noticed that these were the same people who previously spoke negatively about his shop. He understood that they only wanted to associate with him seeing his success. He thought to himself, “Everyone puts bread on a heated pan.”
Akhil politely declined everyone’s proposal and continued to grow his business through his own hard work and dedication. He taught that true success belongs to those who remain steadfast even in tough times.
Conclusion:
This story teaches us that true companions and collaborators are those who stand by in difficult times, not just during success. The idiom “Everyone puts bread on a heated pan” clearly illustrates this concept.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या इस मुहावरे का कोई और रूप हो सकता है?
हां, इसका एक और रूप है “चढ़े तवे पर रोटी फूली फूली होती है,” जिससे यह भी स्पष्ट होता है कि सभी कुछ सही तरीके से हो रहा है.
इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार की स्थिति में हो सकता है?
यह मुहावरा सामाजिक समांतरता या समृद्धि की स्थिति को बताने में काम आ सकता है, जहां सभी को बराबरी से लाभ मिल रहा हो.
“चढ़े तवे पर रोटी सभी डाल लेते हैं” मुहावरे का मतलब क्या है?
यह मुहावरा यह दिखाने के लिए कहा जाता है कि एक स्थिति में सभी लोग लाभान्वित हो रहे हैं या समान भागीदारी हो रही है.
इस मुहावरे का उत्पत्ति से संबंधित कोई किस्सा है?
हां, कहा जाता है कि यह मुहावरा एक समय के राजा अकबर के दरबार में उत्पन्न हुआ था, जब उन्होंने देखा कि सभी कुछ सामान्य तरीके से हो रहा है.
क्या इस मुहावरे का उपयोग केवल रोटी से संबंधित स्थितियों में ही किया जा सकता है?
नहीं, इसे और भी स्थितियों में उपयोग किया जा सकता है, जहां सभी एक समान तरीके से या समान मापदंडों के अनुसार लाभान्वित हो रहे हैं.
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