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चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरा, अर्थ, प्रयोग(Chadar ke bahar pair pasarna)

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अर्थ: ‘चादर के बाहर पैर पसारना’ इस मुहावरे का अर्थ है अपनी सामर्थ्य से अधिक काम लेना या अपनी सीमा से अधिक खर्च करना।

प्रयोग: जब कोई व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति या सामर्थ्य के मुकाबले में अधिक खर्च करता है या जब वह अपनी सीमा से अधिक जिम्मेदारियां लेता है, तो इस मुहावरे का प्रयोग होता है।

उदाहरण: राम ने अपनी सालाना आमदनी से ज्यादा कीमत वाली कार खरीद ली। श्याम ने उसे देखते हुए कहा, “राम, तुमने तो ‘चादर के बाहर पैर पसार लिए’।”

विशेष टिप्पणी: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा अपनी सामर्थ्य और संसाधनों के हिसाब से ही निर्णय लेना चाहिए, ताकि बाद में हमें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरा पर कहानी:

रमेश एक साधारण परिवार से था। उसकी आमदनी सीमित थी, लेकिन उसकी इच्छाएँ बहुत अधिक थीं। वह हमेशा अपने दोस्तों की तरह बड़ी बड़ी चीजें खरीदना चाहता था।

एक दिन उसने अपने दोस्त सुरेश की नई मोटरसाइकिल देखी। सुरेश ने उसे बताया कि वह मोटरसाइकिल EMI पर खरीदी थी। रमेश को भी वह मोटरसाइकिल चाहिए थी, लेकिन उसकी आमदनी उसे EMI चुकाने की अनुमति नहीं दे रही थी।

लेकिन रमेश की इच्छाएँ उसे रोक रही थीं। बिना सोचे-समझे उसने मोटरसाइकिल खरीद ली। शुरुवाती महीनों में सब कुछ ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे उसे EMI चुकाने में मुश्किल होने लगी। उसकी सामान्य जरूरतों पर भी प्रभाव पड़ने लगा।

उसके पिता ने जब इसे देखा, तो उन्होंने उसे समझाया, “बेटा, हमेशा अपनी आमदनी के हिसाब से ही खर्च करो। तुमने तो ‘चादर के बाहर पैर पसार दिए’।”

रमेश ने अपनी गलती समझी और वह समझ गया कि अधिक इच्छाओं के पीछे दौड़ने से पहले अपनी सामर्थ्य को समझना चाहिए।

शायरी:

चादर के बाहर जब पैर पसारे जाते हैं,

जीवन में तूफान उठ आते हैं।

सोच समझकर ही कदम बढ़ाना चाहिए,

वरना सपने अधूरे रह जाते हैं।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of चादर के बाहर पैर पसारना – Chadar ke bahar pair pasarna Proverb:

Meaning: The proverb ‘Chadar ke bahar pair pasarna’ means taking on more work than one can handle or spending beyond one’s means.

Usage: This proverb is used when someone spends more than their financial capacity or when they take on responsibilities beyond their capabilities.

Example: Ram bought a car that was more expensive than his annual income. Seeing this, Shyam remarked, “Ram, you’ve really ‘Chadar ke bahar pair pasarna’.”

Special Note: This proverb teaches us that we should always make decisions based on our capabilities and resources, so we don’t face any troubles later on.

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

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