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बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता अर्थ, प्रयोग (Billi ke sirahne doodh nahi jamta)

परिचय: हिंदी भाषा में अनेक मुहावरे हैं जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। “बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता” भी एक ऐसा ही मुहावरा है, जो एक विशेष स्थिति का वर्णन करता है।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि अगर दूध को बिल्ली के पास रखा जाए तो वह उसे पी लेगी और दूध नहीं बचेगा। अतः, यह मुहावरा उस स्थिति को दर्शाता है जहां किसी कार्य को उसके अनुकूल स्थान या परिस्थितियों में न करने पर उसके असफल होने की संभावना हो।

प्रयोग: यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी कार्य को अनुचित तरीके या गलत स्थान पर करने की बात हो।

उदाहरण:

-> प्रेमचंद्र ने अपने बेटे को व्यापार सिखाने के लिए अनुभवी व्यापारी के पास नहीं भेजा, यह तो ‘बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता’ जैसा है।

-> बिना उचित योजना के नया व्यवसाय शुरू करना, ‘बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता’ वाली स्थिति है।

निष्कर्ष: “बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि किसी भी कार्य को करते समय सही स्थान और परिस्थितियों का चुनाव करना जरूरी है। यह हमें सावधानी और उचित निर्णय लेने की ओर प्रेरित करता है।

बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में सुभाष नाम का एक किसान रहता था। सुभाष बहुत ही मेहनती और ईमानदार था, लेकिन कभी-कभी वह बिना सोचे-समझे फैसले ले लेता था।

एक दिन, सुभाष ने फैसला किया कि वह अपने खेत में चावल की खेती करेगा। उसने अच्छे बीज और खाद का इंतजाम किया, लेकिन उसने यह नहीं सोचा कि चावल की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है और उसके खेत में पानी की बहुत कमी थी।

गाँव के बुजुर्गों ने उसे सलाह दी कि वह इस पर पुनर्विचार करे, क्योंकि उसके खेत में पानी की कमी है। लेकिन सुभाष ने उनकी बात अनसुनी कर दी और चावल की खेती शुरू कर दी।

कुछ महीने बाद, जब फसल का समय आया, तो सुभाष को अहसास हुआ कि उसके खेत में उगाए गए चावल अच्छी तरह से नहीं उगे थे। उसकी मेहनत और पैसा दोनों बर्बाद हो गए। तब उसे समझ में आया कि उसने ‘बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता’ वाली गलती की थी।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि किसी भी कार्य को करने से पहले उसके अनुकूल स्थितियों का विचार करना जरूरी है। अनुपयुक्त स्थान या परिस्थितियों में कार्य करने से वह असफल हो सकता है।

शायरी:

बिल्ली के सिरहाने दूध रखना, ये ख्वाब नहीं हकीकत है,

जिन्दगी में अक्सर, ये समझदारी की कमी की बात है।

जिस तरह दूध बिल्ली से बचाना मुश्किल है,

उसी तरह कुछ ख्वाहिशें हमारे हाथों से फिसलती हैं।

गलत जगह पर सपनों की बुनियाद रखना,

जैसे बिल्ली के सिरहाने दूध रखकर, उसे बचाना।

हर ख्वाब को उसके अनुकूल जगह पर ही सजाना,

बिना सोचे-समझे कदम बढ़ाना, खुद को भुलाना।

बिल्ली के सिरहाने दूध जमाने की कोशिश में,

हम अक्सर जिंदगी के असली सबक को भूल जाते हैं।

ये शायरी हमें याद दिलाती है,

कि हर ख्वाब को सही जगह और सही समय पर पूरा करना जरूरी है।

 

बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता – Billi ke sirahne doodh nahi jamta Idiom:

Introduction: In the Hindi language, there are many idioms that shed light on various aspects of life. “बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता” (Milk doesn’t set at the cat’s pillow) is one such idiom, describing a particular situation.

Meaning: The literal meaning of this idiom is that if milk is placed near a cat, the cat will drink it, and no milk will be left. Therefore, this idiom represents a situation where there is a possibility of failure when a task is not performed in suitable conditions or at the right place.

Usage: This idiom is used when a task is being performed in an inappropriate manner or at the wrong place.

Example:

-> Premchandra didn’t send his son to an experienced businessman to learn about trade, which is like ‘Milk doesn’t set at the cat’s pillow’.

-> Starting a new business without proper planning is a situation similar to ‘Milk doesn’t set at the cat’s pillow’.

Conclusion: The idiom “बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता” teaches us that choosing the right place and conditions is essential when performing any task. It encourages us to be cautious and make appropriate decisions.

Story of ‌‌Billi ke sirahne doodh nahi jamta Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a farmer named Subhash. Subhash was very hardworking and honest, but sometimes he made decisions without thinking them through.

One day, Subhash decided that he would cultivate rice in his field. He arranged for good seeds and fertilizer, but he did not consider that rice cultivation requires a lot of water and his field had a severe water shortage.

The elders of the village advised him to reconsider, pointing out the lack of water in his field. However, Subhash ignored their advice and started cultivating rice.

A few months later, when it was time to harvest, Subhash realized that the rice had not grown well in his field. His effort and money both were wasted. That’s when he understood that he had made a mistake akin to ‘Milk doesn’t set at the cat’s pillow’.

This story teaches us that before undertaking any task, it’s important to consider whether the conditions are suitable. Working in unsuitable places or under inappropriate circumstances can lead to failure.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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