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भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी अर्थ, प्रयोग (Bhus mein aag laga , Jamalo door khadi)

परिचय: “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी” यह हिंदी मुहावरा उन स्थितियों का वर्णन करता है जहां किसी ने किसी समस्या का कारण बनाया हो और वह खुद उससे दूर खड़ा हो। यह मुहावरा आमतौर पर उस व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है जो समस्या पैदा करता है और फिर उससे अलग हो जाता है, जैसे वह इसमें शामिल ही न हो।

अर्थ: “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी” का शाब्दिक अर्थ है कि भुस में आग लगाकर जमालो दूर खड़ी हो गई है। इसका अलंकारिक अर्थ यह है कि कोई व्यक्ति समस्या का कारण बनता है और फिर स्वयं को उससे अलग कर लेता है, जैसे उसका इसमें कोई लेना-देना न हो।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति परेशानी का कारण बनता है और फिर खुद को उससे दूर कर लेता है। यह व्यक्ति की दोगलेपन और जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।

उदाहरण:

-> अभय ने अपने मित्रों के बीच अफवाह फैलाई और फिर खुद बात से अलग हो गया, भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी।

-> विशाल ने परियोजना में गड़बड़ी की और जब समस्या सामने आई, तो वह खुद को इससे अलग कर लिया, बिल्कुल ‘भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी’ की तरह।

निष्कर्ष: “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि समस्या पैदा करने के बाद उससे पलायन करना नैतिक रूप से गलत है। यह मुहावरा उन लोगों के लिए एक सबक है जो समस्याओं को उत्पन्न करते हैं और फिर जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करते हैं। यह हमें यह भी बताता है कि समस्याओं का सामना करना और उनके समाधान की दिशा में काम करना ही सही दृष्टिकोण है।

भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी मुहावरा पर कहानी:

एक बार के बात है, एक छोटे से गांव में प्रथम नाम का एक चंचल लड़का रहता था। प्रथम हमेशा नई नई शरारतें करता रहता था और उसकी इन हरकतों से गांव के लोग काफी परेशान रहते थे।

एक दिन प्रथम ने सोचा कि वह गांव के कुएं में कुछ रंग मिला देगा, और फिर देखेगा कैसे लोग पानी के लिए परेशान होते हैं। उसने अपनी योजना के अनुसार कुएं में रंग मिला दिया। जब गांववाले पानी लेने आए, तो उन्हें रंगा हुआ पानी देखकर बहुत आश्चर्य हुआ।

गांव के लोगों ने तुरंत पंचायत बुलाई और सभी ने मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने का निर्णय लिया। इस बीच, प्रथम कहीं दूर खड़ा यह सब देख रहा था और मन ही मन मुस्कुरा रहा था।

लेकिन तभी, प्रथम के एक दोस्त ने उसे देख लिया और सभी को बता दिया कि यह शरारत प्रथम ने की है। प्रथम को पंचायत के सामने लाया गया। वह अब “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी” की स्थिति में था।

गांव के मुखिया ने प्रथम को समझाया कि शरारत करना और फिर उससे दूर हो जाना सही नहीं है। प्रथम को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने सभी से माफी मांगी और वादा किया कि आगे से वह ऐसी हरकतें नहीं करेगा।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अपनी की हुई गलतियों की जिम्मेदारी लेना और उन्हें सुधारना ही सही रास्ता है। यही “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी” मुहावरे का सार है।

शायरी:

शरारत में आग लगाई, फिर खड़ा हो गया दूर,

ये कैसा खेल रचाया, बना के खुद को नूर।

भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी का फसाना,

जिम्मेदारी से भागा जो, कैसे वो समझे जहान का खजाना।

हर बार जब तू खड़ा होता है दूर से देखने,

याद रख, तेरी चालाकी भी बनती है अपने आईने।

जिन्होंने उलझन में डाला, और खुद हो गए ओझल,

उनके लिए है ये कहानी, जिन्होंने ना की कभी मुश्किल हल।

आग लगा के जो खड़े हो जाएँ दूर फ़कत,

उनके लिए है ये पैगाम, कि होता नहीं है ऐसा कोई कुदरत।

 

भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of भुस में आग लगा जमालो दूर खड़ी – Bhus mein aag laga Jamalo door khadi Idiom:

Introduction: The Hindi idiom “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी” describes situations where someone causes a problem and then stands apart from it. This idiom is typically used for a person who creates trouble and then distances themselves as if they are not involved.

Meaning: The literal meaning of “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी” is that Jamal, after setting the hay on fire, stands afar. The figurative meaning is that a person causes a problem and then separates themselves from it, acting as if they have no involvement.

Usage: This idiom is used when someone causes trouble and then removes themselves from the situation. It depicts a person’s duplicity and tendency to shirk responsibility.

Example:

-> Abhay spread rumors among his friends and then removed himself from the situation, just like “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी.”

-> Vishal caused a mess in the project, and when problems arose, he distanced himself, exactly like “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी.”

Conclusion: The idiom “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी” teaches us that it is morally wrong to flee from problems we create. It serves as a lesson for those who create problems and then try to evade responsibility. It also tells us that facing problems and working towards their resolution is the right approach.

Story of ‌‌Bhus mein aag laga Jamalo door khadi Idiom in English:

Once upon a time, there was a mischievous boy named Pratham in a small village. Pratham was always up to new pranks, much to the annoyance of the villagers.

One day, Pratham thought of mixing some color in the village well and then watch how people react when they come to fetch water. He executed his plan and added color to the well. When the villagers came to draw water, they were astonished to see the colored water.

The villagers immediately called a council meeting and collectively decided to find a solution to this problem. Meanwhile, Pratham stood at a distance, watching everything and secretly smiling.

However, one of Pratham’s friends spotted him and informed everyone that Pratham was behind this mischief. Pratham was brought before the council. He was now in the situation of “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी.”

The village head explained to Pratham that it was wrong to play pranks and then distance himself from them. Pratham realized his mistake, apologized to everyone, and promised not to engage in such behavior again.

This story teaches us that the right path is to take responsibility for our mistakes and rectify them. This is the essence of the idiom “भुस में आग लगा, जमालो दूर खड़ी.”

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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