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भूखे भजन न होय ​​गोपाला, अर्थ, प्रयोग(Bhukhe bhajan na hoye gopala)

अर्थ: “भूखे भजन न होय गोपाला” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसका तात्पर्य यह है कि जब किसी का पेट खाली होता है तो वह किसी भी कार्य में मन नहीं लगा पाता है।

उदाहरण:

-> अनुज को समझाया गया कि अगर वह भूखा होगा तो उससे पढ़ाई में मन नहीं लगेगा, क्योंकि “भूखे भजन न होय गोपाला”।

-> अमन ने कहा कि पहले वह भोजन करेगा, फिर काम पर लगेगा क्योंकि “भूखे भजन न होय गोपाला”।

विस्तार: यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि जब हमारी मौलिक जरूरतें पूरी नहीं होती, जैसे भोजन की जरूरत, तब हम किसी भी अन्य कार्य में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते। “Nothing can be done on an empty stomach” की इस अंग्रेजी कहावत का यही अर्थ है कि भूखे पेट से किसी भी कार्य को संपन्न कर पाना मुश्किल होता है।

चाहे वह पढ़ाई हो, काम हो या किसी भी प्रकार की तपस्या, जब तक हमारी भौतिक जरूरतें पूरी नहीं होती, हम अधिकतम प्रदर्शन नहीं कर पाते।

निष्कर्ष: “भूखे भजन न होय गोपाला” यह मुहावरा हमें यह प्रेरित करता है कि हमें पहले अपनी भौतिक जरूरतों को पूरा करना चाहिए, ताकि हम अपनी जीवन के अन्य कार्यों में पूर्णतया समर्पित हो सकें।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आई होगी और आप इसे अपने जीवन में भी उपयोग करेंगे।

Hindi Muhavare Quiz

भूखे भजन न होय गोपाला मुहावरा पर कहानी:

सुरेंद्र एक छोटे गाँव में रहते थे। वह गाँव के सबसे अच्छे गायक में से एक माने जाते थे। एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला आया और सुरेंद्र को वहां गाने के लिए आमंत्रित किया गया।

उस दिन सुरेंद्र बहुत व्यस्त थे और वे अपने खानपान का ध्यान नहीं रख पाए। जब शाम का समय आया, उसे समझ में आया कि वह भूखा है, लेकिन अब उसके पास समय नहीं था भोजन करने का। वह सोचा कि पहले गाना गाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेगा और फिर भोजन करेगा।

लेकिन जब वह मंच पर पहुँचा, उसने महसूस किया कि उसकी आवाज़ में वैसी जोश और ताजगी नहीं है जैसी हमेशा होती थी। उसकी भूख उसे गाने में बाधित कर रही थी। वह समझ गया कि “भूखे भजन न होय गोपाला”।

सुरेंद्र का प्रदर्शन उस दिन उसके अनुसार सबसे अच्छा नहीं था। लेकिन उसने इस अनुभव से सिखा कि भौतिक जरूरतों को पूरा किए बिना, आदमी किसी भी कार्य में अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर सकता।

उस दिन के बाद, सुरेंद्र हमेशा सुनिश्चित करते थे कि वह किसी भी महत्वपूर्ण कार्य से पहले अच्छी तरह से भोजन कर लें। उसने समझा कि भूखे पेट, आदमी के सपनों और प्रतिभा का बोझ उठा पाना मुश्किल होता है।

शायरी:

भूखे पेट भजन ना होय प्रिये,

जीवन की राह में इसे समझो फरियाद।

जैसे जल बिना समुद्र सूना,

वैसे ही भूखे जीवन में कमी है आबरू की बरकत का जाद।

 

भूखे भजन न होय गोपाला शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of भूखे भजन न होय गोपाला – Bhukhe bhajan na hoye gopala Idiom:

Introduction: “Bhukhe bhajan na hoye gopala” is a popular Hindi idiom, which means that when someone is hungry, they cannot concentrate on any task.

Usage:

-> Anuj was told that if he is hungry, he won’t be able to focus on his studies because “Nothing can be done on an empty stomach”.

-> Aman said he would eat first and then start working, indicating the same principle that “Nothing can be done on an empty stomach”.

Detail: This idiom teaches us that when our basic needs, such as the need for food, are not met, we cannot perform well in any other task. The English saying “Nothing can be done on an empty stomach” conveys the same meaning that it’s difficult to accomplish anything when hungry.

Whether it’s studying, working, or any form of penance, unless our physical needs are met, we cannot perform at our best.

Conclusion: “Bhukhe bhajan na hoye gopala” encourages us to first address our basic physical needs so that we can fully dedicate ourselves to other tasks in life.

Hopefully, you now understand this idiom and will apply it in your daily life.

Story of ‌‌Bhukhe bhajan na hoye gopala Idiom in English:

Surendra lived in a small village. He was considered one of the best singers in the village. One day, a large fair came to the village, and Surendra was invited to sing there.

That day, Surendra was very busy and couldn’t pay attention to his meals. When evening came, he realized he was hungry, but now he didn’t have time to eat. He thought he would first sing, showcase his talent, and then have a meal.

However, when he reached the stage, he felt that his voice didn’t have the same energy and freshness as always. His hunger was affecting his singing. He realized the meaning of “Nothing can be done on an empty stomach.”

Surendra’s performance that day wasn’t his best. But he learned from this experience that without fulfilling basic needs, a person can’t perform to their fullest potential in any task.

After that day, Surendra always ensured that he had a proper meal before any important task. He understood that on an empty stomach, it’s challenging to bear the weight of one’s dreams and talent.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का इस्तेमाल केवल नकारात्मक संदर्भ में ही होता है?

यह मुहावरा नकारात्मकता की बजाय वास्तविकता और व्यावहारिकता की ओर इशारा करता है, जो यह बताता है कि मूलभूत जरूरतें पूरी होने पर ही मनुष्य किसी कार्य में अपना श्रेष्ठ दे सकता है।

“भूखे भजन न होय गोपाला” मुहावरे का आधुनिक जीवन में क्या महत्व है?

आधुनिक जीवन में यह मुहावरा यह रेखांकित करता है कि किसी भी प्रकार की सफलता या उपलब्धि के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति जरूरी है, चाहे वह शिक्षा हो, काम हो या खेलकूद।

क्या “भूखे भजन न होय गोपाला” मुहावरे को अन्य संस्कृतियों में भी पाया जा सकता है?

हाँ, इस प्रकार की विचारधारा विभिन्न संस्कृतियों में विभिन्न रूपों में मौजूद है, जहाँ बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के महत्व को विभिन्न मुहावरों, कहावतों या लोकोक्तियों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।

“भूखे भजन न होय गोपाला” मुहावरे की उत्पत्ति क्या है?

इस मुहावरे की उत्पत्ति के बारे में सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन यह हिन्दी भाषा की पारंपरिक लोकोक्तियों में से एक है, जो समय के साथ लोकप्रिय हुई और आज भी उपयोग में है।

क्या “भूखे भजन न होय गोपाला” मुहावरे को सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा सकता है?

हाँ, इसे सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि यह जीवन में संतुलन और मूलभूत जरूरतों की महत्वता को रेखांकित करता है।

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