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भेजा खाना अर्थ, प्रयोग (Bheja khana)

परिचय: “भेजा खाना” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है, जिसका प्रयोग तब होता है जब किसी की बातों या कार्यों से दूसरे व्यक्ति का मन खिन्न हो जाए या उसे परेशानी महसूस हो। यह मुहावरा तब उपयोगी होता है जब किसी के व्यवहार या शब्दों से दूसरे व्यक्ति का दिमाग परेशान हो जाए और वह मानसिक रूप से विचलित महसूस करे।

अर्थ: “भेजा खाना” का अर्थ है किसी के व्यवहार या बातों से दूसरे व्यक्ति का मन दुखित होना या उसे परेशानी महसूस होना। इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई दूसरों के मन को परेशान कर दे।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति अपने व्यवहार या बातों से दूसरे का मन खिन्न कर दे। यह व्यक्ति की असंवेदनशीलता और अव्यावहारिकता को दर्शाता है।

उदाहरण:

-> विकास लगातार अपने सहकर्मी पर अनावश्यक चिल्ला रहा था वह तो उसका भेजा खा गया।

-> पूजा के निरंतर ज्यादा बोलने और भेजा खाने की वजह से उसने मित्रता तोड़ दी।

निष्कर्ष: “भेजा खाना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि किसी के व्यवहार या बातों से दूसरे का मन दुखाना या परेशान करना गलत है। यह मुहावरा हमें यह भी बताता है कि हमें अपने शब्दों और व्यवहार से दूसरों के मन को नहीं दुखाना चाहिए और संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करना चाहिए।

भेजा खाना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से शहर में मुनीश नाम का एक व्यापारी रहता था। मुनीश का व्यवसाय अच्छा चल रहा था, लेकिन उसका पड़ोसी राजेश हमेशा उसे परेशान करने की कोशिश करता था। राजेश की यह आदत मुनीश को बहुत चिढ़ाती थी।

एक दिन राजेश ने मुनीश के व्यापार में बेवजह की अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया। उसने लोगों को बताया कि मुनीश के उत्पाद खराब क्वालिटी के हैं और उसका व्यापार डूबने वाला है। इससे मुनीश के ग्राहकों में असंतोष फैल गया।

मुनीश जब इस बात को सुना, तो उसका भेजा खा गया। वह बहुत गुस्से में आ गया और राजेश से बात करने पहुंच गया। मुनीश ने राजेश को समझाया कि उसकी इस तरह की हरकतों से न सिर्फ उसका बल्कि उसके परिवार का भी नुकसान हो रहा है।

राजेश को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने मुनीश से माफी मांगी। उसने वादा किया कि आगे से वह ऐसी हरकतें नहीं करेगा और मुनीश की मदद करेगा।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि “भेजा खाना” यानी दूसरों के व्यवहार या बातों से दुखी होना आम बात है, लेकिन हमें धैर्य रखकर और समझदारी से समस्याओं का समाधान करना चाहिए। दूसरों की गलतियों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय, हमें उन्हें सही दिशा दिखाने का प्रयास करना चाहिए।

शायरी:

छोटी बातों पर जो मन मेरा खा जाता है,

वो भेजा खाना, कहाँ किसी को भाता है।

हर शब्द से जब दिल दुखे, मन हो जाए परेशान,

कहता है ये जहान, तेरा भेजा खा गया इंसान।

गुस्से में जो बातें होती, दिल से ना लगाना,

हर एक बात पर भेजा खाना, आदत ना बनाना।

जिंदगी में जब तूफान आए, दिल को ना घबराना,

भेजा खाने वाले पलों में, धीरज को अपनाना।

हर रोज़ नई कहानी में, कुछ ना कुछ सिखाती है,

जिंदगी हर पल भेजा खाती, फिर भी मुस्कुराती है।

 

भेजा खाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of भेजा खाना – Bheja khana Idiom:

Introduction: “Bheja khana” is a common Hindi idiom used when someone’s words or actions cause distress or annoyance to another person. This idiom is applicable when a person’s behavior or words trouble the mind of another, leading to mental disturbance.

Meaning: “Bheja khana” means causing mental distress or annoyance to another person through one’s behavior or words. It is used when someone’s actions or speech distress others.

Usage: This idiom is used when a person’s behavior or words irritate or trouble someone else. It reflects the insensitivity and impracticality of the person causing the distress.

Example:

-> Vikas was continuously shouting at his colleague and ended up eating his brain.

-> Pooja’s constant talking and annoying behavior led her friend to break off their friendship.

Conclusion: The idiom “Bheja khana” teaches us that causing mental distress or annoyance to others through our behavior or words is wrong. It also reminds us that we should not hurt others with our words or actions and should behave sensitively and sensibly.

Story of ‌‌Bheja khana Idiom in English:

In a small town, there lived a merchant named Munish. Munish’s business was doing well, but his neighbor Rajesh always tried to trouble him. Rajesh’s behavior greatly irritated Munish.

One day, Rajesh started spreading baseless rumors about Munish’s business. He told people that Munish’s products were of poor quality and that his business was on the verge of collapse. This caused discontent among Munish’s customers.

When Munish heard about this, he was extremely upset. He became very angry and confronted Rajesh. Munish explained to Rajesh how his actions were harming not only Munish but also his family.

Realizing his mistake, Rajesh apologized to Munish. He promised that he would not engage in such behavior in the future and would help Munish instead.

This story teaches us that “eating someone’s brain,” which means being distressed by others’ behavior or words, is common, but we should address problems patiently and sensibly. Instead of reacting to others’ mistakes, we should try to guide them in the right direction.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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