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बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता अर्थ, प्रयोग (Bandar kitna boodha ho jaye, Gulati marna nahi bhoolta)

परिचय: “बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता” यह कहावत व्यक्ति की जन्मजात प्रवृत्तियों और स्वभाविक क्षमताओं को दर्शाता है, जो उम्र के साथ नहीं बदलती। यह कहावत इस बात को उजागर करती है कि कुछ गुण या आदतें ऐसी होती हैं जो स्थायी रूप से हमारे साथ रहती हैं, चाहे हम कितने भी वृद्ध क्यों न हो जाएं।

अर्थ: इस कहावत का सीधा अर्थ है कि जैसे बंदर चाहे कितना भी बूढ़ा हो जाए, वह अपनी फुर्ती और चंचलता को नहीं खोता, उसी प्रकार इंसान भी अपनी विशेषताओं और स्वभाविक प्रवृत्तियों को नहीं छोड़ता।

प्रयोग: यह कहावत आमतौर पर उन स्थितियों में प्रयोग किया जाता है जब किसी व्यक्ति की जन्मजात या स्वभाविक क्षमताओं का उल्लेख करना हो, जो समय के साथ नहीं बदलती।

उदाहरण:

-> विनीत जी 60 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन उनका हास्य व्यंग्य करने का अंदाज आज भी वैसा ही है। “बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता।”

-> दादी जी अपनी उम्र के इस पड़ाव पर भी बच्चों के साथ खेलना और मस्ती करना नहीं भूलतीं। वाकई, “बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता।”

निष्कर्ष: “बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता” कहावत हमें यह समझाता है कि कुछ गुण, विशेषताएं या आदतें ऐसी होती हैं जो हमारी पहचान का हिस्सा बन जाती हैं और उम्र के साथ भी नहीं बदलती। यह हमें याद दिलाता है कि स्वभाविक प्रवृत्तियाँ और क्षमताएँ व्यक्ति की अनूठी पहचान बनाती हैं और उन्हें संजोकर रखना चाहिए।

बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता कहावत पर कहानी:

एक गाँव में प्रेमचंद्र नाम का एक बुजुर्ग रहते थे। प्रेमचंद्र जी की उम्र 75 वर्ष के करीब थी, लेकिन उनकी ऊर्जा और चंचलता देखकर कोई भी कह सकता था कि उम्र तो महज एक संख्या है। प्रेमचंद्र जी को बचपन से ही पेड़ों पर चढ़ने का बहुत शौक था, और उनकी यह आदत उम्र के इस पड़ाव पर भी बरकरार थी।

एक दिन गाँव में कुछ शहरी लोग आए। उन्होंने प्रेमचंद्र जी को एक बड़े पेड़ पर चढ़ते देखा। वे लोग आश्चर्यचकित थे और उन्होंने प्रेमचंद्र जी से पूछा, “आप इस उम्र में भी पेड़ पर कैसे चढ़ लेते हैं?”

प्रेमचंद्र जी ने हंसते हुए जवाब दिया, “बेटा, ‘बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता’। मेरी यह आदत बचपन से ही है और यह मेरे साथ हमेशा रहेगी।”

यह सुनकर शहरी लोग प्रेमचंद्र जी की जिजीविषा और सकारात्मकता से प्रभावित हुए। प्रेमचंद्र जी की कहानी से गाँव के लोगों को भी प्रेरणा मिली कि उम्र केवल एक संख्या है और अगर मन में जज्बा हो तो कोई भी काम किया जा सकता है।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि जन्मजात प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ कभी नहीं बदलती, चाहे व्यक्ति कितना भी वृद्ध क्यों न हो जाए। यह हमें अपनी विशेषताओं को पहचानने और उन्हें संजोकर रखने की प्रेरणा देती है।

शायरी:

उम्र के पन्नों पे लिखी, हर एक आदत की कहानी,

“बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता” जुबानी।

जिंदगी भर की यात्रा में, खुद को पहचानने का सफर,

वो बचपन की मासूमियत, उम्र ढले भी नहीं होती कमजोर।

बूढ़े बंदर की चंचलता, एक सबक है हमें यह देती,

जीवन की राहों में, अपनी अदाओं को न भूलने की रीती।

जैसे धरती नहीं भूलती, बारिश के बाद हरियाली लाना,

वैसे ही हम नहीं भूलते, उम्र के साथ अपना सानी बनाना।

ये कहानी बूढ़े बंदर की, नहीं सिर्फ एक किस्सा पुराना,

ये तो जीवन का फलसफा है, जो हर दिल में होता निर्वाना।

उम्र के हर दौर में, अपने अंदर की आग को जलाए रखना,

“बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता” ये सिखाए रखना।

 

बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of बंदर कितना बूढ़ा हो जाए, गुलाटी मारना नहीं भूलता – Bandar kitna boodha ho jaye, Gulati marna nahi bhoolta proverb:

Introduction: “No matter how old a monkey gets, it never forgets to tumble” is a proverb that showcases a person’s innate tendencies and natural abilities, which do not change with age. This saying highlights that certain qualities or habits remain with us permanently, regardless of how old we might become.

Meaning: The direct meaning of this proverb is that just like a monkey, no matter how old it gets, never loses its agility and playfulness, similarly, a human also does not let go of their characteristics and natural tendencies.

Usage: This proverb is commonly used in situations where it’s necessary to mention someone’s innate or natural abilities that do not change over time.

Example:

-> Vineet Ji has turned 60, but his style of humor and satire remains the same. “No matter how old a monkey gets, it never forgets to tumble.”

-> Even at this stage of her age, grandma doesn’t forget to play and have fun with the children. Indeed, “No matter how old a monkey gets, it never forgets to tumble.”

Conclusion: The proverb “No matter how old a monkey gets, it never forgets to tumble” teaches us that some traits, characteristics, or habits become part of our identity and do not change with age. It reminds us that innate tendencies and abilities create a person’s unique identity and should be cherished.

Story of ‌‌Hisab chukta karna proverb in English:

In a village lived an elderly man named Premchandra. Premchandra was about 75 years old, but anyone could tell by his energy and playfulness that age was just a number to him. He had a passion for climbing trees since childhood, a habit that he maintained even at this stage of his life.

One day, some city folks visited the village. They saw Premchandra climbing a large tree. Astonished, they asked him, “How can you climb trees at this age?”

Premchandra replied with a smile, “Son, ‘No matter how old a monkey gets, it never forgets to tumble.’ This has been my habit since childhood, and it will always stay with me.”

Hearing this, the city folks were impressed by Premchandra’s zest for life and positivity. Premchandra’s story also inspired the villagers that age is merely a number and anything can be achieved with passion.

This story teaches us that innate tendencies and characteristics never change, no matter how old a person may become. It encourages us to recognize our unique traits and cherish them.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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