परिचय: “बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी” यह हिंदी मुहावरा अनिवार्यता और नियति की स्थिति का वर्णन करता है। इसका उपयोग तब होता है जब किसी अपरिहार्य या टाले न जा सकने वाले परिणाम की ओर इशारा करना हो।
अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि किसी अनिवार्य परिणाम से बचना अस्थायी और असंभव है। यह एक विडंबनापूर्ण स्थिति का संकेत देता है, जहाँ किसी के लिए अंततः बचना नामुमकिन होता है।
प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां दीर्घकालिक परिणाम से बचने के लिए किए जा रहे अस्थायी प्रयासों की व्यर्थता पर जोर देना होता है।
उदाहरण:
-> जब एक कंपनी अपने घाटे को छिपाने के लिए लगातार झूठ बोल रही थी, तो एक विश्लेषक ने कहा, “बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी, आखिरकार सच सामने आ ही जाएगा।”
-> एक छात्र जो बार-बार परीक्षा में नकल कर रहा था, उसके शिक्षक ने कहा, “बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी, एक दिन तुम्हें अपनी मेहनत करनी ही पड़ेगी।”
निष्कर्ष: “बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी” मुहावरा हमें बताता है कि किसी भी स्थिति के अनिवार्य परिणाम से बचना केवल एक अस्थायी राहत है। यह हमें सिखाता है कि सत्य और वास्तविकता का सामना करना जरूरी है और अपरिहार्य परिस्थितियों से बचने के प्रयास अंततः निष्फल होते हैं।
बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी मुहावरा पर कहानी:
एक छोटे से गाँव में विकास नाम का एक लड़का रहता था। विकास के पास एक पुरानी मोटरसाइकिल थी, जिसे वह बहुत चाहता था। लेकिन उस मोटरसाइकिल की हालत बहुत खराब थी और वह अक्सर खराब हो जाती थी।
विकास के पिता ने उसे कई बार सलाह दी कि वह मोटरसाइकिल को बेच दे और एक नई खरीद ले, लेकिन विकास ने हर बार इसे टाल दिया। उसने सोचा कि वह मोटरसाइकिल की मरम्मत कराके उसे चलाता रहेगा।
एक दिन जब विकास अपने दोस्तों के साथ लंबी यात्रा पर निकला, तो उसकी मोटरसाइकिल रास्ते में ही खराब हो गई। विकास और उसके दोस्त सड़क पर ही फंस गए।
उस समय विकास के एक दोस्त ने कहा, “विकास, तुम्हारी मोटरसाइकिल की हालत देखकर तो यही कहा जा सकता है कि ‘बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी’। तुम्हारी इस पुरानी मोटरसाइकिल को बचाने के तुम्हारे सभी प्रयास आखिरकार विफल हो ही गए।”
विकास को तब समझ आया कि उसके पिता सही कह रहे थे। वह जितना भी प्रयास कर ले, अपरिहार्य परिणाम से बचना संभव नहीं था। उसने तब नई मोटरसाइकिल खरीदने का निर्णय लिया।
इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि “बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी” का मतलब है कि किसी अपरिहार्य स्थिति से बचने के लिए किए गए अस्थायी प्रयास अंततः विफल हो जाते हैं।
शायरी:
बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी, ये सवाल है पुराना,
जिंदगी के हर मोड़ पर, यही कहानी है बयाना।
किस्मत का लिखा टाल ना सके, कोई भी दांव चलाकर,
हर कोशिश बेकार हो जाती है, बदल ना पाए कोई तकदीर का फैसला।
चाहे छिपालो आंसू या हंसी, ज़िन्दगी के इस नाटक में,
आखिर में सच्चाई से सामना होता है, ये है जीवन की सच्ची सीख।
बकरे की मां की तरह, हम भी कब तक खैर मनाएंगे,
जिस दिन समझेंगे ये बात, उस दिन सच में जीना सीख जाएंगे।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी – Bakre ki maa kab tak khair manayegi Idiom:
Introduction: “The phrase ‘बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी’ is a Hindi idiom that describes the inevitability and destiny. It is used to indicate a situation where avoiding an inevitable or unavoidable outcome is only temporary.”
Meaning: The literal meaning of this idiom is that avoiding an inevitable outcome is temporary and impossible. It indicates an ironic situation where it is ultimately impossible for someone to escape their fate.
Usage: This idiom is commonly used in situations where the futility of temporary efforts to avoid long-term consequences is to be emphasized.
Usage:
-> When a company was continuously lying to hide its losses, an analyst said, “How long can the goat’s mother celebrate safety? Eventually, the truth will come out.”
-> To a student who repeatedly cheated in exams, the teacher said, “How long can the goat’s mother celebrate safety? One day, you will have to work hard.”
Conclusion: The idiom ‘बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी’ teaches us that avoiding the inevitable outcome of any situation is only a temporary relief. It reminds us that facing the truth and reality is essential, and efforts to escape unavoidable circumstances ultimately prove futile.
Story of Bakre ki maa kab tak khair manayegi Idiom in English:
In a small village lived a boy named Vikas. He dearly loved his old motorcycle, but it was in poor condition and often broke down.
Vikas’s father advised him multiple times to sell the motorcycle and buy a new one, but Vikas always procrastinated. He thought he could just keep repairing it and continue using it.
One day, while on a long journey with his friends, the motorcycle broke down again, leaving Vikas and his friends stranded on the road.
At that moment, one of Vikas’s friends commented, “Looking at the condition of your motorcycle, it’s like ‘How long can the goat’s mother be safe’ (a Hindi idiom). All your efforts to save this old motorcycle have ultimately failed.”
Vikas then realized that his father was right. No matter how much he tried, escaping the inevitable outcome was not possible. He decided to buy a new motorcycle.
This story teaches us that “How long can the goat’s mother be safe” means that temporary efforts to avoid an inevitable situation eventually fail.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या इस मुहावरे का कोई विशेष ऐतिहासिक संदर्भ है?
नहीं, यह एक प्राचीन हिंदी मुहावरा है और इसका कोई विशेष ऐतिहासिक संदर्भ नहीं है।
इस मुहावरे का उपयोग किस परिस्थिति में होता है?
इसे उन समयों में बोला जाता है जब कोई व्यक्ति अच्छे समय का आनंद नहीं लेता है या बुरे समय में भी कुछ अच्छा मिल जाता है।
बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी का मतलब क्या है?
इस मुहावरे का मतलब है कि अच्छी चीजों का आनंद लेना बिलकुल बंद नहीं होना चाहिए, चाहे कुछ भी हो।
क्या इस मुहावरे का अर्थ शाब्दिक होता है?
नहीं, यह मुहावरा अर्थशास्त्री रूप से नहीं समझा जाता, बल्कि यह एक उपमहाद्वारा है।
इस मुहावरे का विशेष उपयोग कहाँ होता है?
यह मुहावरा व्यक्तिगत जीवन में अच्छे-बुरे समयों के बीच संतुलन को समझाने के लिए प्रयुक्त होता है।
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