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बहुत से जोगी मठ उजाड़ अर्थ, प्रयोग (Bahut se jogi matth ujaad)

“बहुत से जोगी मठ उजाड़” यह एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है, जो अक्सर हमारे सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में प्रयोग किया जाता है। इस मुहावरे की व्याख्या, अर्थ, प्रयोग और उदाहरणों के माध्यम से हम इसके महत्व को समझेंगे।

परिचय: “बहुत से जोगी मठ उजाड़” मुहावरा भारतीय समाज और संस्कृति में गहराई से निहित है। यह मुहावरा अक्सर उन स्थितियों में प्रयोग किया जाता है जब किसी काम में बहुत सारे लोग शामिल होते हैं, लेकिन वास्तव में उस काम में कोई भी सफलता नहीं मिलती है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि जब बहुत सारे लोग एक ही काम में शामिल होते हैं तो उस काम में अव्यवस्था और असंगठन की स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे काम का नतीजा नकारात्मक या असफल होता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग व्यापार, प्रशासन, और यहां तक कि पारिवारिक संदर्भों में भी किया जा सकता है। यह विशेषकर तब प्रयोग में लाया जाता है जब एक काम में अनेक लोगों की भागीदारी होती है, लेकिन उसमें समन्वय की कमी होती है।

उदाहरण:

-> कंपनी में नया प्रोजेक्ट शुरू होने पर, बहुत सारे विभागों ने उसमें हाथ डाला, लेकिन अंततः प्रोजेक्ट विफल रहा। यहाँ ‘बहुत से जोगी मठ उजाड़’ की कहावत सटीक बैठती है।

-> जब घर में शादी की तैयारियों में सभी रिश्तेदार अपनी-अपनी सलाह देने लगे, तो व्यवस्था की जगह अव्यवस्था हो गई। यह ‘बहुत से जोगी मठ उजाड़’ का एक उदाहरण है।

निष्कर्ष: इस मुहावरे का महत्व यह है कि इससे हमें सीखने को मिलता है कि किसी भी कार्य को करते समय समन्वय और संगठनात्मक कुशलता बहुत आवश्यक है। बहुत सारे लोगों का एक साथ काम करना तभी सफल होता है जब सबकी भूमिकाएँ स्पष्ट और संगठित हों।

बहुत से जोगी मठ उजाड़ मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में ‘सुंदरवन’ नाम का एक सुंदर और शांत मठ था। वहाँ के सभी जोगी (साधु) अपने अपने काम में लगे रहते थे और मठ की देखभाल करते थे। एक दिन, गाँव के मुखिया ने सोचा कि वह मठ को और भी बेहतर बनाएगा और इसके लिए उन्होंने अन्य गाँवों से कई और जोगियों को बुला लिया।

जब नए जोगी मठ में आए, तो हर कोई अपनी-अपनी राय और तरीके से काम करने लगा। कोई कहता कि मठ की दीवारों को नीला रंग करना चाहिए, तो कोई कहता कि पीला। किसी को लगता कि मठ के बगीचे में फूलों की क्यारियाँ होनी चाहिए, तो कोई कहता कि सब्जियों की। हर कोई अपनी बात मनवाने में लगा था।

धीरे-धीरे, मठ में अव्यवस्था फैल गई। जहां पहले साधुओं के बीच एकता और शांति थी, वहाँ अब तर्क-वितर्क और असंतोष था। नतीजतन, मठ का सौंदर्य और शांति दोनों ही नष्ट हो गए।

गाँववालों ने जब यह देखा, तो उन्हें समझ आया कि “बहुत से जोगी मठ उजाड़” की कहावत कितनी सटीक है। उन्होंने महसूस किया कि किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए समन्वय और संगठित प्रयास आवश्यक हैं, न कि सिर्फ बहुत सारे लोगों का होना।

इस घटना से गाँववालों ने सीखा कि सहयोग और संगठनात्मक कुशलता के बिना, कोई भी बड़ा काम विफल हो सकता है। और इस तरह, गाँव ने फिर से अपने मठ को पुराने स्वरूप में लाने का प्रयास किया, इस बार बेहतर समन्वय के साथ।

शायरी:

बहुत से जोगी जब मठ उजाड़ने लगे,

हर दिल में एक उलझन सी जगी।

जहाँ साथ चलने की बातें थीं कभी,

वहाँ राहें अलग होने लगीं।

इक रंग में रंगा था जो मठ का आँगन,

वो रंग अब लगते हैं सब बेमानी।

हर कोई बना रहा अपनी-अपनी दीवारें,

खुद की छाया से भी हो गए अनजाने।

जिस मठ में एकता की मिसाल थी कभी,

आज वहाँ बस खंडहर की कहानी।

इस दास्तां से एक सबक ले लेना,

बहुत से जोगी, मठ न उजाड़ देना।

एकता में ही बल है, ये भूल न जाना,

बिखरे हुए ख्वाबों को फिर से सजाना।

 

बहुत से जोगी मठ उजाड़ शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of बहुत से जोगी मठ उजाड़ – Bahut se jogi matth ujaad Idiom:

“Bahut se jogi matth ujaad” is a prevalent Hindi idiom often used in our social and professional lives. Through the explanation, meaning, usage, and examples of this idiom, we will understand its significance.

Introduction: The idiom “Bahut se jogi matth ujaad” is deeply rooted in Indian society and culture. It is frequently used in situations where many people are involved in a task, but in reality, the task does not achieve any success.

Meaning: The meaning of this idiom is that when too many people are involved in a single task, it leads to disorder and disorganization, resulting in a negative or unsuccessful outcome.

Usage: This idiom can be used in business, administration, and even in family contexts. It is particularly applied when many people are involved in a task, but there is a lack of coordination.

Example:

-> When a new project started in the company, many departments got involved, but ultimately the project failed. Here, the saying “Bahut se jogi matth ujaad” fits perfectly.

-> When all relatives started giving their own advice in the wedding preparations at home, order turned into chaos. This is an example of “Bahut se jogi matth ujaad.”

Conclusion: The importance of this idiom is that it teaches us that coordination and organizational efficiency are crucial when performing any task. Working with many people is only successful when everyone’s roles are clear and organized.

Story of ‌‌Bahut se jogi matth ujaad Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there was a beautiful and serene monastery named ‘Sundarvan’. All the monks (sages) there were engaged in their respective duties and took care of the monastery. One day, the village head thought of making the monastery even better and for this, he invited many more monks from other villages.

When the new monks arrived at the monastery, everyone started working in their own way and with their own opinions. Some said the monastery walls should be painted blue, others said yellow. While some thought the garden should have flower beds, others suggested vegetable patches. Everyone was trying to impose their own ideas.

Gradually, disorder spread throughout the monastery. Where there was once unity and peace among the monks, there were now arguments and dissatisfaction. As a result, both the beauty and the peace of the monastery were destroyed.

When the villagers saw this, they realized how accurate the saying “Too Many Cooks Spoil the Broth” was. They felt that coordination and organized efforts are necessary to successfully complete any task, not just the presence of many people.

From this incident, the villagers learned that without cooperation and organizational skill, any major task could fail. And thus, the village made an effort to restore their monastery to its former state, this time with better coordination.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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